बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 मनोविज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- नाइकोटिन एवं धूम्रपान सम्बद्ध विकृति का संक्षिप्त विवरण प्रस्तुत कीजिए।
अथवा
नाइकोटिन सम्बद्ध विकृति के विभिन्न प्रकारों की व्याख्या करते हुए, इस विकृति का उपचार कैसे किया जा सकता है? समझाइए।
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
(a) नाइकोटिन निर्भरता (nicotine dependence)
(b) नाइकोटिन प्रत्याहार (nicotine withdrawl)
2. सिगरेट एवं धूम्रपान सम्बद्ध विकृति का उपचार किस प्रकार किया जा सकता है?
उत्तर-
नाइकोटिन एवं सिगरेट धूम्रपान सम्बद्ध विकृति - नाइकोटिन एक जहरीला एकालोयाड है जो तम्बाकू का मुख्य तत्व है। यह सिगरेट, खैनी, सिगार, सूँघनी आदि में पाया जाता है। आजकल नाइकोटिन का उपयोग माइकोटिन निर्यास तथा नाइकोटिन फाहा आदि के रूप में भी किया जाता है। निर्यास तथा फाहा द्वारा व्यक्ति त्वचा मार्ग के माध्यम से नाइकोटिन अपने शरीर के अन्दर लेता है जबकि खैनी में मुख मार्ग से तथा अन्य में धूम्रपानी माध्यम से नाइकोटिन व्यक्ति अपने शरीर के भीतर ग्रहण करता है। नाइकोटिन एक तरह का सामान्य उत्तेजक ही है।
नाइकोटिन सम्बद्ध विकृति के दो प्रकार बतलाए गए हैं-
(1) नाइकोटिन निर्भरता - निकोटिन एक ऐसा तत्व है जिसके सेवन से इसके प्रति व्यक्ति में तीव्र निर्भरता विकसित हो जाती है। हिल्ट्स (1994) के अध्ययन के अनुसार नाइकोटिन व्यसनी नहीं होता है परन्तु निश्चित रूप से व्यक्ति में निर्भरता उत्पन्न करता है। अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि धूम्रपान करने वाले व्यक्तियों ने अपनी इस आदत को छोड़ने की कोशिश की परन्तु उनमें से 70% ने फिर से धूम्रपान करना प्रारम्भ कर दिया। परन्तु 5% से कम को ही इसमें सफलता मिल पाती है जिसमें निकोटिन की निर्भरता विकसित की जाती है, उनमें निम्नांकित लक्षण मुख्य रूप से देखने को मिलते हैं-
(i) धूम्रपान करने के लिए बाध्यता महसूस करना।
(ii) धूम्रपान तथा निकोटिन लेने के प्रति अत्यधिक आवेष्टन दिखाना।
(iii) निकोटिन तथा धूम्रपान की आपूर्ति के लिए पर्याप्त उपाय करना।
(iv) धूम्रपान कुछ दिनों तक रोक देने पर धूम्रपान पुनः करने की तीव्र इच्छा दिखाना।
यह सर्वादित है कि धूम्रपान से मेडिकल समस्याएँ उत्पन्न होती हैं और इस ज्ञान के बावजूद भी उसका उपयोग ऐसे व्यक्तियों में निश्चित रूप से स्वास्थ्य सम्बद्ध समस्याएँ उत्पन्न करना है।
(2) नाइकोटिन प्रत्याहार - जब नाइकोटिन तथा धूम्रपान करने वाला व्यक्ति कुछ दिनों तक के लिए उसे छोड़ देता है, तो उसमें कुछ विशेष तरह का संलक्षण पाया जाता है जिसे नाइकोटिन प्रत्याहार का नाम दिया गया है। DSM-IV (TR) में नाइकोटिन प्रत्याहार की मुख्य चार कसौटियाँ बतलाई गई हैं जिनके आधार पर तय किया जाता है कि व्यक्ति में नाइकोटिन प्रत्याहार के लक्षण उपस्थित हैं अथवा नहीं।
(i) कई गत सप्ताहों से व्यक्ति नाइकोटिन का सेवन कर रहा है।
(ii) जब व्यक्ति अचानक नाइकोटिन का सेवन बन्द कर देता है या कम कर देता है तो उसमें विषादी मनोदशा, नींद की कमी, कुंठा, चिड़चिड़ापन या क्रोध, चिंता, ध्यान, एकाग्रता में कठिनाई, बेचैनी, हृदय गति में कमी; भूख अधिक लगना या शारीरिक वजन में वृद्धि; जैसे लक्षण अवश्य ही विकसित हो गए हों।
(iii) उपरोक्त बताए गए लक्षणों का स्वरूप ऐसा होना चाहिए कि उनसे व्यक्ति को सामाजिक, व्यावसायिक तथा अन्य महत्वपूर्ण जवाबदेहियों को निभाने में पर्याप्त कठिनाई तथा तकलीफ होती हो।
(iv) उक्त लक्षणों की उत्पत्ति में किसी मानसिक रोग का प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष हाथ न हो। अध्ययनों से यह स्पष्ट हुआ है कि धूम्रपान करने का आदी व्यक्ति यदि धूम्रपान बन्द कर देता है तो इससे उसमें कई तरह के चयापचयी परिवर्तन (Metabolic changes ) आ जाते हैं, साथ ही साथ धूम्रपान जैसे व्यवहार की उत्पत्ति में आनुवांशिक कारकों की भूमिका अहं है।
नाइकोटिन एवं सिगरेट धूम्रपान सम्बद्ध विकृति का उपचार - फिओर तथा उनके सहयोगियों (1990) द्वारा किए गए शोधों से यह स्पष्ट हुआ है कि अधिक धूम्रपान करने वाले व्यक्ति परामर्श प्रोग्राम या किसी प्रकार के चिकित्सा या सुझाव से ही धूम्रपान करना छोड़ देते हैं।
कुछ केसेज में व्यवहार चिकित्सा, सामूहिक परामर्श तथा चिकित्सक के राय मात्र से काफी उन्नति होती देखी गयी है परन्तु इस बात का कोई स्पष्ट सबूत नहीं है कि ये सभी उपाय नाइकोटिन प्रतिस्थापन चिकित्सक की अनुपस्थिति में उत्तम ढंग से कार्य करते हैं जो धूम्रपान करने वाले व्यक्ति किसी वैकल्पिक विधि से अपनी इस बुरी आदत को छोड़ने में असमर्थ रहते हैं, उनके लिए मनोरोग विज्ञानियों तथा नैदानिक मनोविज्ञानियों द्वारा नाइकोटिन प्रतिस्थापन चिकित्सा प्रदान करके उनकी बुरी लतों की गम्भीरता को कम करने में पर्याप्त सफलता मिलती है। नाइकोटिन प्रतिस्थापन चिकित्सा में नाइकोटिन निर्यास या गोंद या नाइकोटिन फाहा व्यक्ति के शरीर के किसी भाग के चमड़े पर साट दिया जाता है। त्वचा धीरे-धीरे नाइकोटिन को अपने में सोख लेती है। इस तरह के चिकित्सा का उद्देश्य व्यक्ति में नाइकोटिन की उपलब्धि को सीमित समय तक बनाए रखते हुए धूम्रपान व्यवहार को कम करना होता है। शरीर में इस तरह से प्रवेश कराया हुआ नाइकोटिन का प्रभाव धूम्रपान के समान प्रभाव नहीं डालता है तथा धूम्रपान के प्रत्याहार लक्षणों एवं लालसा को निश्चित रूप से कम करता है।
अतः स्पष्ट हुआ कि नाइकोटिन सम्बद्ध विकृतियों का समुचित उपचार भी सम्भव है।
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