बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 इतिहास बीए सेमेस्टर-4 इतिहाससरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 इतिहास - सरल प्रश्नोत्तर
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स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
डलहौजी के समय में भारत में 1853 में प्रथम रेलवे लाइन मुंबई से थाना तक बिछाई गई तथा शीघ्र ही समस्त भारतीय साम्राज्य रेलवे लाइनों के सूत्र में बाँधकर एक कर दिया गया।
रेलवे प्रणाली ने व्यापार को लाभ पहुँचाया, दूरी समाप्त हुई तथा भारत देश को एकता प्रदान हुई।
1853 में बम्बई एवं थाना के मध्य रेलवे लाइन डाली गयी और दूसरी लाइन कलकत्ता और रानीगंज (बिहार) के बीच में शुरू की गयी। मद्रास में भी कुछ रेलवे लाइन बनाई गई।
ब्रिटिश शासन की आर्थिक नीति का महत्वपूर्ण पहलू रेलवे का निर्माण था जिसके आर्थिक दृष्टि से अच्छे व बुरे दोनों प्रभाव हुये।
रेलवे निर्माण के अच्छे परिणाम ये रहे कि इसने देशी व विदेशी व्यापार को प्रोत्साहित किया, भारतीय प्रान्त एक-दूसरे के निकट आये और मण्डियों का विकास हुआ।
रेलवे निर्माण का बुरा प्रभाव यह रहा कि इससे जो कुछ भी लाभ हुआ, ब्रिटिश शासन को ही हुआ, सामान्य जनता पर इससे आर्थिक बोझ बढ़ गया। रेलवे के निर्माण से भारत की वन सम्पदा भी नष्ट हुई।
रेलवे के निर्माण के बाद कम्पनी द्वारा दरिद्रता निवारण तथा रोजगार की वृद्धि के लिये आधुनिक उद्योगों के विकास पर बल दिया गया।
भारत में रेलवे व्यवस्था का प्रारम्भ सर्वप्रथम डलहौजी के कार्यकाल में हुआ जिसके अन्तर्गत 1853 ई. में बम्बई तथा थाणे के बीच 23 मील लम्बी रेलवे लाइन बिछायी गई। रेलवे व्यवस्था को प्रारम्भ करने से सेना का आवागमन सरल हो गया तथा समय की बचत होने लगी।
इंग्लैण्ड में 1825.ई. से ही रेलवे लाइनों बिछाई जा रही थीं, इसलिये भारत में भी अंग्रेज प्रशासकों ने रेलवे निर्माण की योजना बनाई जिसका उद्देश्य साम्राज्यीय हितों की पूर्ति व भारत का आर्थिक शोषण करना रहा था अर्थात भारत का कृषि उत्पादन (कच्चा माल ) इंग्लैण्ड भेजना और इंग्लैण्ड का औद्योगिक माल भारत लाना था क्योंकि भारत उसके लिये एक बाजार बन चुका था।
लॉर्ड डलहौजी के काल में भारत में 1853 ई. में प्रथम रेलवे लाइन बम्बई से थाना तक बिछाई गयी और शीघ्र ही सम्पूर्ण भारतीय साम्राज्य रेलवे लाइनों के सूत्र बाँध कर एक कर दिया गया।
1856 ई. तक अनेक लाइनों का सर्वेक्षण कर लिया गया था, जिन पर काम प्रारम्भ हो चुका था। ये सभी रेल लाइनें भारतीय सरकार के कोष से न बनाकर निजी प्रयत्नों के अधीन बनाई जा रही थीं।
रेलवे लाइनें निजी कम्पनियों द्वारा सरकारी प्रत्याभूति (Government Guarantee) के अधीन अर्थात 4.5% से 5% ब्याज की गारंटी के आधार पर बनायी गयी थीं।
व्यापक स्तर पर रेल निर्माण का वास्तविक कार्य 1859 1869 ई. के मध्य हुआ था, आर. सी. दत्त ने अपनी चर्चित कृति “ऐन इकोनामिक हिस्ट्री ऑफ इण्डिया" में रेलवे विस्तार के आंकड़े दिये है।
1900 ई. तक रेलवे के निर्माण में 22.5 करोड़ पौण्ड व्यय किये जा चुके। उसके आधार पर चार करोड़ पौण्ड का नुकसान हो गया था। यह नुकसान भारतीयों से वसूल किया गया, अपितु वाणिज्यिक खेती भी करनी पड़ी।
इस रेलवे प्रणाली ने व्यापार को गति भी प्रदान की और लाभ भी पहुँचाया। दूरी समाप्त की और भारत को एकात प्रदान की। परन्तु भारत की सम्पदा और जनता के शोषण के लिये औपरिनवेशिक शासन का यह नया रूप उभर कर समाने आया था, जिसे भारत में बिछाया जाने वाला रेल लाइनों का जाल कहा जाता है।
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