बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
दृश्य साधन वे है, जो दिखायी देते हैं।
रेडियो के कार्यक्रम केवल उन्हीं के लिए उपयोगी होते हैं जो रेडियो सुनते हैं।
श्रव्य सामग्री के द्वारा प्राप्त ज्ञान कम स्थायी होता है।
रेडियो श्रव्य सामग्री है।
श्रव्य वे साधन हैं जो सुनायी देते हैं।
डेन्ट का कथन है कि "जो सामग्री कक्षा में या किसी भी शिक्षण स्थिति में लिखित या मौखिक शब्दों को दृश्य बनाकर समझाने में सहायक होती है, उसे भी दृश्य-श्रव्य सामग्री कहते हैं।"
विराट सम्पर्क करने का माध्यम है- रेडियो।
चक्रवर्ती का कथन है - “दृश्य-श्रव्य साधन मुद्रित या लिखित शब्द के अतिरिक्त वे साधन हैं जो वस्तु विशेष की स्पष्ट धारणा बनाने में सहायक होते हैं।”
डेमफिर एवं कोकरन के अनुसार - “दृश्य-श्रव्य साधन वे सामग्री हैं जिनके सही चुनाव और प्रयोग से किसी वस्तु के बारे में सोचने और फिर उसे समझने में सहायता मिलती है।"
सामूहिक सम्पर्क करने का माध्यम यात्राएँ हैं।
भारत में रेडियो प्रसारण की शुरुआत सन् 1927 में हुई थी।
किसी फिल्म में आवाज़ की रिकॉर्डिंग ऑप्टिकल विधि से की जाती है।
पब्लिक एड्रेस सिस्टम को साधारण भाषा में लाउडस्पीकर कहते हैं।
डिस्क पर रिकॉर्डिंग यांत्रिक विधि से की जाती है।
भारत में आकाशवाणी का प्रारम्भ 1924 में हुआ था।
अमेरिका में सबसे पहले 1916 में रेडियो पर पहला समाचार संचारित हुआ था।
रेडियो कारपोरेशन ऑफ अमेरिका की स्थापना 1919 में हुई थी। ब्रिटिश क्राडकास्टिंग कम्पनी (B. B.C.) का प्रारम्भ 1922 में रेडियो कार्यक्रमों का प्रसारण ध्वनि तरंगों के माध्यम से होता है।
विंस्टन चर्चिल का कथन है - “प्रेस अर्थात् समाचार पत्र उद्योग एक स्वतंत्र नागरिक के उन सभी प्राधिकारों को सदा जागृत रखने वाला प्रहरी होता है जो उसके लिए अनमोल होते हैं। "
विषय का विस्तृत विवेचन पुस्तकों में रहता है।
फ्लैश कार्ड का आकार 50 x 70 सेमी. का होता है।
नमूने, मॉडल एवं प्रतिकृतियाँ त्रिविम दृश्य सामग्री हैं।
चाकपट, पोस्टर एवं फ्लैश कार्ड द्विविम दृश्य सामग्री है। प्रेस रजिस्ट्रार कार्यालय की स्थापना सन् 1956 में हुई। प्रेस ट्रस्ट ऑफ इण्डिया की स्थापना सन् 1947 में हुई। टी. वी. श्रव्य दृश्य सामग्री है।
भारत में दूरदर्शन 15 सितम्बर, 1959 में प्रारम्भ हुआ था। कठपुतली दृश्य-श्रव्य सामग्री है।
पोस्टर का आकार कम से कम 20 x 30” होना चाहिए। कठपुतली चार प्रकार की होती है।
पोस्टर के प्रायः तीन भाग होते हैं।
अहलूवालिया का कथन है - “वे साधन जो विचारों को आँखों तथा कानों के द्वारा सीखने वाले के पास पहुँचाने में सहायता करते हैं, दृश्य-श्रव्य साधन कहलाते हैं।"
ओ. पी. धामा ने - फ्लैश कार्ड के बारे में कहा है कि "यह कार्ड की श्रृंखला होती है जब इन्हें दर्शकों के सामने उपयुक्त क्रम में प्रस्तुत किया जाता है तो सम्पूर्ण कहानी कहते हैं। "
चाकपट को श्यामपट्ट भी कहते हैं।
पोस्टर गैर प्रक्षेपित साधन है।
रॉबर्ट्स के अनुसार - “दृश्य - शिक्षा तक सूचना देने की विधि है, जो मनोवैज्ञानिक सिद्धान्त पर आधारित है। इसमें कोई मनुष्य पढ़कर या सुनकर शब्दों के मुकाबले में वस्तु को देखकर ज्यादा अच्छी तरह से समझ लेता है।"
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