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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2740
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 13
श्रव्य-दृश्य साधन
(Audio-Visual Aids)

दृश्य-सामग्री शिक्षण का वह साधन है जिसे देखकर ज्ञान की प्राप्ति की जाती है, जैसे पोस्टर, चित्र एवं चार्ट आदि । इसके दूसरी ओर श्रव्य सामग्री शिक्षण का वह साधन है जो केवल सुनाई. देता है जैसे रेडियो एवं टेप रिकॉर्डर । दृश्य-श्रव्य सामग्री प्रसार की वह विधियाँ हैं जो ग्रामीण लोगों के लिए सुगम एवं सुबोध होती हैं और उनका प्रभाव स्थायी होता है। महान शिक्षाविद् पेस्टोलॉजी, रूसो तथा फ्रॉबेल ने भी संचार में दृश्य-श्रव्य साधनों के महत्व को माना है। वस्तुतः इनके प्रयोग द्वारा शिक्षण को अधिक रुचिकर तथा प्रभावी बनाया जा सकता है। दृश्य-श्रव्य साधन, सुनने व देखने के कारण शिक्षार्थी के मन-मस्तिष्क में विषय-वस्तु को स्पष्ट रूप से पहुँचा सकते हैं। इससे बतायी बात अच्छी प्रकार से समझ में आ जाती है। दृश्य-श्रव्य साधन अनुभव को सार्थक बनाते हैं। प्रत्यक्ष अनुभव सम्पूर्ण ज्ञानार्जन का आधार होता है । दृश्य-श्रव्य साधन विचार, प्रक्रिया या पद्धति का मन-मस्तिष्क में सही बिम्ब बनाने में सहायक होते हैं। यह साधन प्रेरणा देने की क्रिया के आधार पर होते हैं। सीधा अनुभव होने से कही गई बातें और दिये गये विचार ग्रामीण लोगों को सदैव याद रहते हैं। यहाँ यह बात ध्यान में रखना आवश्यक है कि दृश्य-श्रव्य साधन शिक्षक के लिए मात्र सहायक का काम करती है, परन्तु वह शिक्षक का स्थान कभी नहीं ले सकती है। प्रसार कार्य का मुख्य उद्देश्य सामान्य लोगों के रहन-सहन के स्तर को उच्च बनाना, उनकी आर्थिक-सामाजिक उन्नति तथा आधुनिक वैज्ञानिक खोज एवं तकनीकी ज्ञान को सामान्य ॥ लोगों तक पहुँचाना तथा उनकी विचारधारा एवं दृष्टिकोण में परिवर्तन लाना है। इस कार्य को पूर्ण करने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित करने तथा उनमें रुचि पूर्ण करने के लिए लोगों का ध्यान आकर्षित। करने तथा उनमें रुचि उत्पन्न करने की आवश्यकता है तभी जनता की इच्छा भी कार्य करने के लिए उत्पन्न हो सकती है। इसके लिए भी उन्हें कार्य की उपयोगिता एवं महत्व को समझाया जाये और कार्यक्रम में लोगों को सम्मिलित किया जाये तभी प्रसार शिक्षा के उद्देश्य को पूर्ण किया जा सकता है। अतः प्रसार कार्य को सरल व उपयोगी बनाने के लिए दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग किया जाना आवश्यक है क्योंकि दृश्य-श्रव्य सामग्री के द्वारा लोग उन्हें निकट से देख सकते हैं। कहानी, नाटक और प्रदर्शन के रूप में उन्हें समझने के साथ-साथ रुचि पैदा होती है तथा मनोरंजन भी प्राप्त होता है। इस प्रकार देखकर सीखना सुनने की अपेक्षा ज्यादा प्रभावशाली और स्थायी होता है।

दृश्य-श्रव्य सामग्री की गृह विज्ञान शिक्षण में बहुत उपयोगिता है। गृह विज्ञान का प्रमुख उद्देश्य गृह व्यवस्था से सम्बन्धित विभिन्न कौशलों को विकसित करना है जिसके अन्तर्गत पाकशास्त्र, स्वास्थ्य शिक्षा, बाल विकास, शिशु पालन, स्वच्छता, सिलाई-कढ़ाई, प्राथमिक चिकित्सा एवं गृह सज्जा आदि विषयों को सम्मिलित किया जाता है। साथ ही लोगों को आत्मनिर्भर बनाना उनमें सामाजिक एवं नैतिक गुणों का विकास करना, उत्तरदायित्व एवं संतोष की भावना का विकास करना, सांस्कृतिक मूल्यों का विकास करना, उनमें स्वास्थ्य सम्बन्धी अच्छी आदतों का निर्माण करना आदि है। अतः गृह विज्ञान को सरल व उपयोगी बनाने हेतु दृश्य-श्रव्य सामग्री का प्रयोग किया जाना आवश्यक है क्योंकि दृश्य-श्रव्य सामग्री के द्वारा लोग उन्हें निकट से देख सकते हैं। प्रदर्शन, नाटक कहानी के रूप में उन्हें समझने के साथ-साथ रुचि पैदा होती है तथा मनोरंजन भी प्राप्त होता है। दृश्य-श्रव्य सामग्री में मनुष्य के कान व आँखें दोनों ही उपयोगी होती हैं। इससे मानव की संवेदनाएँ अधिक क्रियाशील होती हैं।

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