बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
प्रसार शिक्षण एक व्यावहारिक शिक्षण पद्धति है।
प्रसार शिक्षण पद्धति में नमनीयता का विशेष महत्व है।
प्रसार शिक्षा में पहला चरण Satisfaction है।
प्रसार कार्य आरम्भ करते समय संस्कृति, रीति-रिवाज एवं भाषा का ध्यान रखना चाहिए।
रेडियो, दूरदर्शन द्वारा सम्पर्क विराट सम्पर्क कहलाता हैं।
प्रसार विधियों के द्वारा प्रसार कार्य को प्रभावी बनाया जाता है।
ग्रामीण लोगों को ऐच्छिक रूप से प्रसार कार्य में भाग लेना चाहिए।
जब एक व्यक्ति या लघु समूह दूसरे व्यक्ति से वैयक्तिक रूप में मिलता है, तो वह सम्पर्क व्यक्तिगत सम्पर्क कहा जाता है।
जब एक व्यक्ति अथवा समूह दूसरे समूह से मिलता है तो उसे सामूहिक सम्पर्क कहा जाता है।
प्रसार कार्य का महत्वपूर्ण पक्ष मूल्यांकन है।
प्रसार कार्य लम्बे समय तक चलने वाला कार्य है।
तीव्र बुद्धि के व्यक्ति मन्द बुद्धि के व्यक्ति की अपेक्षा शीघ्र सीखते हैं।
नाटक कठपुतली प्रसार शिक्षण की दर्शनीय विधि के अन्तर्गत आते हैं।
एन्समिंजर का कथन है कि - "प्रसार की विधियाँ प्रसार कार्यकर्ता के लिए उतनी ही आवश्यक है जितनी एक मैकेनिक के लिए मशीन, रिंच, पेचकस, घन और हथौड़ा आवश्यक है।"
प्रसार कार्य आरम्भ करते समय संस्कृति, रीति-रिवाज एवं भाषा का ध्यान रखना चाहिए।
लिखित प्रसार शिक्षण विधि के अन्तर्गत पत्र-पत्रिकाएं, परिपत्र एवं व्यक्तिगत पत्र आते हैं।
कार्यकुशलता से तात्पर्य है कि किस दशा में कौन-सी विधि कितना प्रभाव जन मानस पर डालती है।
सर्वश्रेष्ठ शिक्षण विधि वह होती है जो विषय-वस्तु के अनुरूप हो।
रेड्डी का कथन है - "प्रसार शिक्षा सामुदायिक विकास के लक्ष्यों की प्राप्ति का साधन है।"
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