बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
पुष्प सज्जा की कला कोई गुप्त रहस्य नहीं है और न ही इसके कठोर व निश्चित नियम एवं विधान हैं ऐसी व्यवस्था जिसे किसी व्यक्ति ने अपने मौलिक रूप में प्रस्तुत किया है वह उसके व्यक्तित्व और मौलिकता को ही प्रदर्शित करता है।
पुष्प व्यवस्था का शाब्दिक अर्थ है - “पुष्पों के माध्यम से की गयी व्यवस्था। यहाँ व्यवस्था का अर्थ है "विचारपूर्वक किया गया कार्य। अतः जब हम पुष्प एवं पुष्पों से संबंधित सामाग्री को विचारपूर्वक किसी आकार में प्रस्तुत करते हैं तो वही कला पुष्प व्यवस्था' 'पुष्प सज्जा' या 'पुष्प-'विन्यास' कहलाती है।
रट के अनुसार - “पुष्प व्यवस्था को पुष्पों, अन्य पौध सामग्रियों और फूलदान के अनुरूपता युक्त संगठन के रूप में परिभाषित कर सकते हैं जिसमें स्वरूप, पोत तथा रंगों के मध्य एकरूपता स्थापित की जाती हैं।"
अरनाल्डो का कथन है कि - "पुष्प व्यवस्था कला का एक स्वरूप है जिसे कोई भी व्यक्ति सीख सकता है और अपने प्रयास में आनन्द प्राप्त कर सकता है। ऐसा चित्र जिसकी रचना आपने की है वह आपके स्वयं के व्यक्तित्व और वैयक्तिकता को परावर्तित करते हैं।"
फ्लारेंस के अनुसार - “पुष्प व्यवस्थित करने से आनन्द की प्राप्ति होती है। पुष्प व्यवस्था पूर्ण होने पर संतोष प्राप्त होता है।"
सुडेल के अनुसार - "आज के संदर्भ में पुष्प व्यवस्था से अर्थ है, एक ऐसी रचना करना जिसमें संयोजन रेखा, स्वरूप तथा रंगों का मिश्रण हो।"
विनिता आदम के अनुसार - “पुष्पों को व्यवस्थित करने से मन को शांति मिलती है और साथ ही प्रतिकूल स्थितियों में धैर्य और साहस की अनुभूति होती है ।"
पुष्प व्यवस्था के लिए कुछ तत्व आवश्यक हैं, यथा-
1. एक फूलदान (A Flower pot)
2. पुष्प एवं पुष्पों से संबंधित सामग्री,
3. अभिव्यक्ति एवं आकार तथा
4. स्वरूप, पोत तथा रंगों के मध्य एकरूपता।
पुष्प व्यवस्था सांस्कृतिक विकास का एक साधन है जिसे बिना गृहकार्य में बाधा डाले कोई भी गृहिणी सीख सकती है। इस कला के विकास में आर्थिक पक्ष भी बाधक नहीं है।
पुष्प सज्जा का हमारे दैनिक जीवन में अनेक दृष्टिकोणों से महत्त्व है-
1. स्वास्थ के दृष्टिकोण से,
2. सौन्दर्य के दृष्टिकोण से,
3. मनोवैज्ञानिक दृष्टिकोण से,
4. सजावट के दृष्टिकोण से,
5. व्यक्तित्व विकास के दृष्टिकोण से,
6. संतुष्टि की दृष्टिकोण से तथा
7. आर्थिक दृष्टिकोण से।
पुष्प सज्जा की कई शैलियाँ भी हैं-
1. प्रारम्भिक अमेरिकन शैली,
2. कोलोनियम शैली,
3. फेडरल क्लासिक शैली,
4. जापानी शैली तथा
5. आधुनिक शैली
पुष्प सज्जा हेतु अनेक प्रकार की सामग्रियाँ उपयोग में लायी जाती हैं जिसमें फूलदान तथा स्टेम होल्डर।
फूलदान सामान्यतः निम्न प्रकार के होते हैं-
1. ताजा या तश्तरीनुमा प्याला,
2. प्याला,
3. जलपात्र,
4. अण्डाकार,
5. बेलनाकार,
6. टबनुमा,
7. टोकरीनुमा
8. शंखनुम,
9. पात्र के लिए उपयोग में लाई जाने वाली अन्य वस्तुयें
10. दोहरे उद्देश्य वाले पात्र।
स्टेम होल्डर भी कई प्रकार के होते हैं, यथा-
1. पिन - पॉइन्ट होल्डर (Pin Point Holder) 2. रेडीमेड होल्डर (Readymade Holder)
3. प्लास्टिक फोम होल्डर (Plastic Foam Holder)
4. चिकन वायर होल्डर (Chicken Wire Holder)
5. हार्डवेयर के कपड़े का होल्डर (Hardware Cloth Holder) तथा
6. जल अवरोधक टेप होल्डर (Water Proof Tape Holder)
पुष्प सज्जा कुछ नियमों के अनुसार की जाती है। ये नियम निम्न हैं-
1. पात्र के माप की नियम
2. टहनी लगाने का नियम
3. टहनी की लम्बाई में विविधता का नियम
4. टहनी के आपस में उलझे न होने का नियम
5. स्थान के सिद्धांत का नियम
6. सरलता का नियम
7. त्रिभुज रूप से संबंधित नियम
8. नकली पुष्पों के प्रयोग का नियम
9. दक्षता एवं विवेक के प्रयोग का नियम
10. संबंधित साहित्य के अध्यापन का नियम।
पुष्प व्यवस्था के कई प्रकार भी हैं-
1. रेखीय डिजाइन में पुष्प व्यवस्था
2. समूह शैली में पुष्प व्यवस्था
3. मिली-जुली पुष्प व्यवस्था तथा
4. लघु व्यवस्था
पुष्प व्यवस्था एक कला है। अतः इसमें कला के भी कुछ तत्वों का समावेश आवश्यक रूप से होता है। ये तत्व हैं-
1. रेखा एवं स्वरूप (Line and Shape),
2. स्पर्श (Texture) तथा 3. रंग (Colour)
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