बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
रट के अनुसार - “उपसाधन वह तत्व है जो कमरे में आकर्षकता, वैयक्तिकता और जीवन्तता लाते हैं।"
गृह-सज्जा को आकर्षक बनाने, सँवारने तथा सुन्दर दिखने के लिए कुछ उपसाधनों की आवश्यकता होती है। गृह सज्जा में फर्नीचर, पर्दे, रंग, प्रकाश, दरी, कालीन, चित्र आदि के अतिरिक्त उपसाधनों का भी महत्त्वपूर्ण स्थान होता है यद्यपि इसका अनुभव लोगों को बहुत कम होता है।
उपसाधन वे तत्व होते हैं जो उपयोग में लायी गयी परिसज्जा की शैली को अन्ततः भाव प्रदान करते हैं।
उपसाधनों के अभाव में कमरे में सजावटी प्रभाव उत्पन्न करने की कल्पना नहीं की जा सकती। उपसाधनों की सहायता से गृहिणी को अपनी मौलिकता तथा व्यक्तित्व को अभिव्यक्त करने का विशिष्ट अवसर प्राप्त होता है।
उपसाधनों को कमरे के महत्त्वपूर्ण बिन्दुओं पर स्थापित किया जाना चाहिए और इनकी स्थिति इस प्रकार की हो कि आँखों को सुखद एवं आरामप्रद अनुभव हो और यह रुचि को बिन्दु पर केन्द्रित कर सके और साथ ही कमरे की डिजाइन को सरलता तथा एकरूपता प्रदान कर सकें।
उपसाधनों के चुनाव के अनेक निर्धारक तत्व होते हैं- यथा-
1. अभिव्यक्ति,
2 रेखा और स्वरूप
3. रंग।
ऐसे उपसाधनों का चुनाव करना चाहिए जिनके द्वारा उन्ही भावों की अभिव्यक्ति होती हो जिन-भावों की अभिव्यक्ति स्वयं घर द्वारा होती हों।
केवल सुन्दरता की अपेक्षा ऐसे उपसाधनों का चयन करना चाहिए जो कि कमरे के भावों को प्रदर्शित करें।
कुछ उपसाधना इस प्रकार के हो सकते हैं- यथा किताबें, मैगजीन, पौधे, सुन्दर हाथ का कार्य और शौक की अन्य वस्तुयें जैसे- भली प्रकार से समूहबद्ध किये गये टिकट, सिक्के, फोटाग्राफ नक्शे आदि भी गृह सज्जा के लिए सुन्दर उपसाधन होते हैं।
उपसाधनों की रेखा तथा स्वरूप भी घर की सज्जा पर व्यापक रूप से प्रभाव डालती हैं।
पारम्परिक और अपारम्परिक या आधुनिक परिसज्जाओं में केवल उन उपसाधनों को सम्मिलित करना चाहिए जो फर्नीचर की समान्य रेखा और स्वरूप के समान हों।
उपसाधनों को जहाँ लगाया जाना हो उस कमरे की परिसज्जा को रंग से सावधानी पूर्वक संबंधित होना चाहिए।
चित्रों का घर की सज्जा में महत्त्वपूर्ण स्थान है।
घर की सजावट में प्रयोग किये गये चित्रों से गृहस्वामी तथा गृहस्वामी के सौन्दर्यात्मक एवं कलात्मक स्तर का अनुमान भली प्रकार लगाया जा सकता है।
प्रकृति के चित्र उठने-बैठने के कक्ष तथा मिलने-जुलने की बैठक में आकर्षक लगते हैं।
समुद्रीय, पहाड़ी या कोई भी देश-भुदृश्य सबको पसंद आता है।
सागार की लहरों या बर्फीले लैण्डस्केपों के व सफेद तथा नीले रंगों के टिकट सहज ही कमरे के पीले, नारंगी, भूरे रस्ट जैसे गर्म रंगों से मेल खाते हैं।
जानवरों के चित्र बालकों के कमरों के अत्यंत उपयुक्त होते हैं विशेष बिल्ली, कुत्ते, घोड़े और उनके बच्चों के चित्र क्योंकि बच्चे जानवरों से स्वाभाविक रूप से प्यार करते हैं।
फूलों तथा फलों के चित्रों को बैठक और खाने के कमरे में लगाया जा सकता है।
लोक नृत्य, देहातों का घरेलू जीवन, खेतों में काम करते हुए किसानों और मजदूरों के चित्र का रोचक विषय होते हैं। ऐसे चित्र सोने या खाने के कमरों की अपेक्षा उठने-बैठने के कमरे तथा हाल या बरामदे में अधिक उपयुक्त प्रतीत होते हैं।
पुस्तकों, फलों, फूलदानों, मिट्टी, चीनी व शीशे के सुन्दर आकारों के बर्तन, सितार, दिलरुबा, गिटार आदि विभिन्न प्रकार के वाद्ययंत्रो के चित्र भी लुभावने लगते हैं यदि इनके रंग कमरे की रंग योजना से मेल खाते हों।
घरों के लिए चित्रों का चुनाव करते समय सौन्दर्यात्मक और विषयवस्तु संबंधी मार्मिकता दोनों पर ध्यान देना चाहिए।
एक दर्शक की दृष्टि से सौन्दर्यात्मक मार्मिकता प्रधानतः रंग और रूप से संबंधित होती हैं।
विषयवस्तु की मार्मिकता सदैव सौन्दर्यात्मक मार्मिकता के अनुकूल होनी चाहिए।
विषयवस्तु की मार्मिकला का सर्वाधिक स्पष्ट प्रकार कहानी-कथन जैसे डूबते हुए आदमी को बचाता हुआ कुत्ता, बर्थ डे पर दिये गये भोज का चित्र आदि सर्वाधिक उपयुक्त माने जाते हैं।
एक कमरे के सभी चित्रों की बनावट, अनुपात, विषय-वस्तु तथा रंग में उचित समायोजन होना चाहिए।
गृह-सज्जा में निम्न उपसाधनों का प्रयोग किया जा सकता है-
1. पुस्तकें,
2. घड़ी,
3. दर्पण,
4. पर्दा,
5. उपहार,
6. चिड़िया,
7. मछली,
8. छोटी मूर्तियाँ आदि
किसी भी कमरे के उपसाधनों को फर्नीचर के समूह, लैम्प और चित्रों के आधार पर सावधानीपूर्वक स्थापित करना चाहिए।
उपसाधनों को मौलिक और रुचिप्रद तरीके से व्यवस्थित करना चाहिए।
उपसाधनों को तीन के समूह में व्यवस्थित करना चाहिए यथा पुष्प व्यवस्था के आस-पास मोमबत्ती के दो स्टैण्ड।
रहने के कमरे की टेबल या डेस्क पर एक लैम्प और दो वस्तुयें पर्याप्त होती हैं।
बड़ी और नीच काफी टेबल पर दो या तीन नई पत्रिकायें, सिगरेट की ट्रे और पौधे या कटे हुए फल पर्याप्त रहते हैं।
भोजन कक्ष में अधिक उपसाधन नहीं होने चाहिए। इसमें सामान्यतः चीनी काँच या चाँदी के बर्तनों की दवार में बनी आलमारियों में सजाया जाता है।
फलों का प्याला, फूल या बड़ी, आकर्षक तश्तरी के भोजन की मेज पर रखा जा सकता है।
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