बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
गृह-व्यवस्था की प्रक्रिया में मकान का आयोजन एक महत्त्वपूर्ण कारक है।
आवास मानव की एक मूलभूत आवश्यकता है।
शब्द 'आवास' (Housing) यद्यपि मकान से जुड़ा हुआ है, परन्तु यह 'मकान' (House) शब्द से अधिक विस्तृत अर्थ रखता है।
आर.एस. देशपाण्डे के अनुसार - “आवास मानव समूह के लिए एक शरण स्थल हैं जिसमें दीवारें, फर्श, दीवारें खिड़कियाँ तथा छत आदि होते हैं।"
ऑक्सफोर्ड शब्दकोश में दी गयी परिभाषा के अनुसार - “भवन एक संरचना है जिसमें निवास किया जाये अथवा रह जाये।"
बरनेड सेट के अनुसार - “वास्तव में जिस स्थान में पारिवारिक जीवन का वातावरण पाया जाता है, उसे घर कहते हैं, जिसका साररूप पारिवारिक जीवन में व्यक्तिगत सम्बन्ध है।"
मकान एवं गृह में वही अन्तर होता है जो जड़ और चेतन में होता है।
मकान एक निर्जीव संचरना है जबकि गृह एक सजीव एवं सचेतन व्यवस्था है जो निवास करने वालों के सम्बन्धों से फलती-फूलती है।
होटल, छात्रावास, अस्पताल तथा अन्य निवास स्थान गृह नहीं कहलाते क्योंकि इनमें रहने वाले व्यक्ति भावनात्मक बंधन में नहीं बंधे रहते।
मकान मनुष्य की मात्र एक भौतिक आवश्यकता है जबकि गृह एक मनोवैज्ञानिक आवश्यकता है।
मकान को आवश्यकता एवं परिस्थिति के अनुसार परिवर्तित किया जा सकता है परन्तु गृह को केवल विवाह के बाद ही बदला जाता है।
मकान के निर्माण में ईंट, पत्थर, सीमेंट आदि सामग्री होती है जबकि इसके विपरीत गृह निवास करने वाले व्यक्तियों के पारस्परिक प्रेम एवं भावनात्मक सम्बन्धों के द्वारा बनता है।
मकान के भवन का प्रयोग मात्र आवास के लिए ही नहीं बल्कि उसका प्रयोग दुकान, होटल, कार्यालय, छात्रावास, अथवा अन्य किसी व्यावसायिक केन्द्र के रूप में किया जा सकता है परन्तु गृह का प्रयोग मात्र आवास के लिए किया जाता है।
आवश्यकता ही किसी वस्तु की उपयोगिता तय करती है। आवास की आवश्यकता निम्न कारणों से होती है-
(1) स्थायित्व
(2) सुरक्षा
(3) क्रियाशीलता
(4) वातावरण प्रदान करना।
मनुष्य स्वभाव से स्थायित्व की कामना करता है और इसी की चाह में वह घर बनाने के लिए प्रेरित हुआ। यह भाव व्यक्ति के भटकन को समाप्त कर उसे संतुष्टि प्रदान करता है और अपना सर्वांगीण विकास करने सम्बन्धी क्रियाओं को करने के लिए प्रेरित करता है।
मनुष्य की आवास की प्रेरणा सुरक्षा कारणों से भी हुई। यह मनुष्य को आँधी-तूफान, ओलावृष्टि, धूप, सर्दी, जंगली जानवरों, चोर, डकैतों आदि सभी से सुरक्षा प्रदान करता है।
मनुष्य को अपनी विभिन्न क्रियाओं हेतु निर्धारित स्थान आवास के माध्यम से ही उपलब्ध हो पाता है।
आवास ही व्यक्ति की क्रियाशीलता में वृद्धि करता है
आवास व्यक्ति को भोजन पकाने, विश्राम एवं निद्रा की आवश्यकता को पूरा करने की समुचित सुविधा एवं वातावरण प्रदान करता है।
आवास मानव के विकास के लिए भी एक अनिवार्य तत्त्व है।
घर का वातावरण बच्चों को निर्भय एवं सहज बनाता है, बड़ों की देख-रेख में अनुशासनबद्ध बनाता है। ऐसे वातावरण में ही बच्चों को नैतिक, मानसिक तथा सामाजिक विकास का समुचित अवसर प्राप्त होता है।
आवास मनुष्य को सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्रदान करता है। वास्तव में जितना सुन्दर, सुविधापूर्ण एवं सुरुचिपूर्ण आवास होगा व्यक्ति को उतनी ही प्रतिष्ठा समाज में प्राप्त होगी।
मनुष्य अपनी जीवन रक्षा से सम्बन्धित तथा अन्य उपयोगी वस्तुओं का संग्रह अपने आवास में ही करता है।
आवास मनुष्य को उसके विभिन्न शौकों यथा-बागवानी, गृह-सज्जा, पुष्प-विन्यास, कला आदि को पूरा करने का भी अवसर प्रदान करता है।
आवास सांस्कृतिक विरासत की भी सुरक्षा करता है क्योंकि एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी को मिलाने वाली साहित्य कला, संगीत, संस्कार, परम्परायें, विभिन्न अनुष्ठान आदि आवास में फलते-फूलते हैं और सुरक्षित रहते हैं।
आवास चयन के अनेक उद्देश्य हैं, यथा-
1. निवास के लिए स्थान
2. मौसम एवं प्राकृतिक प्रदूषण से बचाव
3. हवा, प्रकाश एवं बरसात का नियंत्रण
4. आकस्मिक दुर्घटनाओं से बचाव
5. पारिवारिक गोपनीयता की सुरक्षा
6. बच्चों के पढ़ने, खेलने, व्यायाम आदि की सुविधा
7. मानसिक संतोष।
आवास का चयन करते समय निम्न बातों को ध्यान में रखना आवश्यक होता है-
1. परिवार की आमदनी
2. परिवार का आकार एवं बनावट
3. परिवार के सदस्यों की रहन-सहन की आदतें
4. परिवार के सदस्यों के क्रिया-कलाप
5. फर्नीचर के लिए आवश्यक स्थान
6. परिवार के भविष्य की आवश्यकतायें।
आवास हमें दो प्रकार से प्राप्त होता है-
(क) स्वनिर्मित आवास
(ख) किराये पर उपलब्ध आवास
निजी आवास तथा किराये पर उपलब्ध आवास, दोनों के अपने-अपने गुण और अवगुण होते हैं लेकिन यह हमेशा ध्यान रखना चाहिए कि अपना घर अपना ही होता है। जो सुख, चैन और मानसिक शान्ति अपने घर में प्राप्त होती है वह किराये के मकान में शायद ही कभी प्राप्त हो।
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