बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञानसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 1
आवास
(Housing)
आवास की आवश्यकता मानव की प्राथमिक आवश्यकताओं में से एक है जिससे आवास की महत्ता अपने आप स्पष्ट हो जाती है। मानव आदिकाल से ही अपनी तथा अपने परिवार की सुरक्षा हेतु उचित स्थान की तलाश में लगा रहा। जंगलों में पेड़ों की छाँव से लेकर पहाड़ों की गुफाओं से होती हुई उसकी यह यात्रा आज बहुमंजिली इमारतों तक आ पहुँची है। सभ्यता तथा विज्ञान के विकास के साथ- साथ आज अत्याधुनिक प्रकार के सुविधाजनक आवासों का निर्माण होने लगा है। वस्तुतः 'आवास' का तात्पर्य निवास की इकाई अथवा रिहायशी संरचना से है। यह मानव समूह के लिए एक शरणस्थल है। जिसमें दीवारें, फर्श, दरवाजे, खिड़कियाँ तथा छत आदि होते हैं। मकान के लिए कभी-कभी 'गृह' शब्द का भी प्रयोग किया जाता है परन्तु दोनों में काफी भिन्नता है। इन दोनों में वही अन्तर हैं जो जड़ और चेतन में होता है। वास्तव में मकान एक निर्जीव संरचना है जबकि गृह एक सजीव और सचेतन व्यवस्था है जो उसमें निवास करने वाले के आपसी स्नेहपूर्ण सम्बन्धों से फलती-फूलती है। होटल, छात्रावासं, अस्पताल तथा इसी प्रकार की अन्य संरचनायें गृह नहीं होतीं, क्योंकि इनमें रहने वाले व्यक्ति परस्पर भावनात्मक बंधन में नहीं बँधे होते हैं। मानव को आवास की आवश्यकता इसलिए होती है क्योंकि आवास ही उसे स्थायित्व, सुरक्षा क्रियाशीलता तथा स्नेहपूर्ण वातावरण प्रदान करता है। इतना ही नहीं यह मनुष्य को मनोरंजन विश्रान्ति तथा सामाजिक प्रतिष्ठा भी प्रदान करता है। जहाँ पर उसकें रुचि और शौक की भी पूर्ति होती है और उसे सांस्कृतिक संरक्षण भी मिलता है। आवास अपना निजी भी हो सकता है, और किराये का भी हो सकता है लेकिन अपने निजी आवास में रहने से जो सुकून मिलता है, वह किराये के आवास में शायद कभी नहीं मिल पाता।
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