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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2740
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-4 गृह विज्ञान - सरल प्रश्नोत्तर

स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य

गृह-सज्जा को हम आन्तरिक सज्जा भी कह सकते हैं।

गृह-सज्जा गृह को सुन्दर, सुविधापूर्ण तथा आकर्षक बनाने वाली सभी कलाओं, वैज्ञानिक तथ्यों तथा सिद्धान्तों का सम्मिश्रण है।

सुन्दर राज के अनुसार - “आन्तरिक सज्जा एक सृजनात्मक कला है जो कि एक साधारण घर की कायापलट कर सकती है। यह घर में रहने वालों की मूलभूत आवश्यकताओं एवं घर में उपलब्ध स्थान एवं उपकरणों के मध्य समायोजन करने की कला है तथा घर में एक सुखद वातावरण बनाने का प्रयास है।'

यद्यपि गृह के सजाने की कला हमें विरासत में मिली है परन्तु समय के साथ होने वाले परिवर्तनों ने इस सज्जा के रूप को ही बदल दिया है। अतः आज सज्जा का पूर्ण अर्थ है-घर को आवश्यक उपकरणयुक्त करना, क्रियाशीलता को बढ़ाना तथा सुविधापूर्ण बनाना।

गृह-सज्जा की परिभाषा एवं स्वस्थ व्यक्ति की सांस्कृतिक विरासत, शैक्षणिक स्थिति तथा आर्थिक स्थिति के अनुसार बदलता रहता है फिर भी गृह-सज्जा को निम्न तत्व भी व्यापक रूप से प्रभावित करते हैं- अर्थात्- 

1. संरचनात्मक तत्व
2. वातावरण के तत्व
3. मुख्य उपकरण-फर्नीचर इत्यादि
4. अन्य तत्व (Other Elements)

गृह सज्जा को प्रभावित करने वाले वातावरण के मुख्य तत्व हैं-तापमान, प्रकाश तथा आर्द्रता एवं वायु की मात्रा।

आन्तरिक सज्जा पर कुछ अन्य तत्व भी अपना प्रभाव डालते हैं। जिनमें मुख्य हैं-

1. भारतीय साधन (Indian Material)
2. पारिवारिक आवश्यकतायें एवं रहन-सहन, तथा
3. उपलब्ध सजावट के साधन।

आन्तरिक सज्जा को प्रभावित करने वाले कारकों में 'पर्दो' का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है।

न्यू चैम्बर्स डिक्शनरी के अनुसार - 'टू फर्निश' का अर्थ है- 'घर को आवश्यक सज्जा वस्तुओं से युक्त करना' तथा 'फर्निसिंग' का अर्थ है- "आवश्यक सज्जा वस्तुयें' अर्थात् वस्तुयें जो सज्जा को परिपूर्णता दें, उसके दोष छिपाये और उसे सुन्दरता प्रदान करें।

आन्तरिक गृह सज्जा में पदों का महत्त्वपूर्ण स्थान होता है। आज ये पर्दे घर की अनिवार्यता बन चुके हैं। आन्तरिक सज्जा के विद्वानों के अनुसार जिस प्रकार वस्त्र किसी महिला को सुशोभित करते हैं ऐसे ही पर्दे खिड़कियों तथा दरवाजों को सुशोभित करते हैं, उनके दोषों को छिपाते हैं और उनका सौन्दर्यवर्द्धन करते हैं।

पर्दे घर में अनेक काम करते हैं-यथा-

1. अवांछनीय प्राकृतिक तत्वों पर नियंत्रण
2. एकान्तता प्रदान करना
3. खिड़की के दोष को छिपाना
4. सौन्दर्यवर्द्धन करना
5. प्रदूषण नियंत्रण करना
6. सज्जा में परिवर्तन लाना इत्यादि

पर्दे घर के अन्दर आने वाली अवांछनीय प्रकाश, हवा, धूप, धूल, गर्मी, सर्दी पर नियंत्रण रखते हैं। पर्दे इन्हें रोकते हैं अथवा इनकी मात्रा को कम कर देते हैं। वस्तुतः पर्दे घर के अन्दर आरामदायक स्थितियाँ उत्पन्न करने में सहायक होते हैं।

विभिन्न रंगों तथा डिजाइनों से आन्तरिक सज्जा में एकरसता समाप्त करके परिवर्तन लाया जा सकता है। पर्दे लगाने के तरीके बदलकर भी परिवर्तन का भाव सज्जा में लाया जा सकता है।

पर्दे के साथ कुशन कवर, गद्दियों के रंग बदलकर हर हफ्ते अथवा हर पक्ष में नई छवि कक्षों में उभारी जा सकती है।

पर्दे भी अनेक प्राकर के होते हैं-

(1) काँच के पर्दे
(2) बाँधने वाले पर्दे
(3) कैसमेंट के पर्दे
(4) डेयरी
(5) लपेटे जाने वाले पर्दे
(6) वेनेशन ब्लाइण्ड
(7) वेलेन्स
(8) स्वेग तथा
(9) रस्सी या तार

 

पर्दे का चुनाव करने में निम्न बातों का ध्यान रखना चाहिए-

 

1. फैशन
2. व्यक्तित्व
3. भाव
4. शैली
5. रेखा
6. खिड़कियों की संख्या
7. खिड़कियों का आकार
8. सजावट।

 

पर्दे का कपड़ा बजट के अनुरूप खरीदना चाहिए। यदि बजट में पैसा अधिक न हो तो कम कीमत का कपड़ा खरीदना चाहिए पर कम कपड़ा नहीं खरीदना चाहिए।

मेहनत कक्ष में हल्के व तटस्थ रंग के पर्दे उपयुक्त होते हैं।

कोई घर तभी आनन्ददायक प्रतीक होता है जब उसमें सुविधा के साथ-साथ सजावट को भी महत्त्व दिया जाये। सजावट विचारों तथा भावनाओं की अभिव्यक्ति होती है जिससे मन और मस्तिष्क दोनों को संतोष प्राप्त होता है।

सजावट के द्वारा छोटा व अव्यवस्थित घर भी आकर्षक बन जाता है।

किसी भी कमरे में बड़ी पृष्ठभूमि वाले क्षेत्रों में दीवार, फर्श तथा फर्नीचर को सम्मिलित किया जा सकता है।

फर्श कमरे का सबसे विस्तृत क्षेत्रफल होता है जो कि सजावट में महत्त्वपूर्ण स्थान रखता है।

फर्श की सजावट के लिए कारपेट, दरी, व गलीचों का उपयोग किया जाता है। सजावट में फर्श बिछावन ही सबसे महत्त्वपूर्ण और महँगी वस्तु होती है।"

सजावट की योजना में फर्श बिछावन महत्त्वपूर्ण स्थान रखती है-

1. फर्श बिछावन कमरे की सजावट में पृष्ठभूमि का कार्य करती है।

2. यह फर्श की टूट-फूट एवं कुरूपता को छिपाने में मददगार होती है।

3. ठण्ड के दिनों में यह कमरे को ऊष्ण रखती है।
4. यह बड़प्पन एवं ऐश्वर्यता का भाव उत्पन्न करती है।

5. दरी तथा गलीचे से वातावरण शान्त होता है क्योंकि यह चलने से उत्पन्न होने वाली पद ध्वनि को अवशोषित कर लेती है।

आन्तरिक सज्जा के लिए दरी व गलीचे का चयन करते समय कमरे की विशेषता, शैली, रंग, नमूना, मजबूती, कीमत आदि का भी ध्यान रखना आवश्यक होता है।

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