बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-4 भूगोल बीए सेमेस्टर-4 भूगोलसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-4 भूगोल - सरल प्रश्नोत्तर
स्मरण रखने योग्य महत्वपूर्ण तथ्य
किसी देश के अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का आयतन एवं मूल्य उसके विकास स्तर का महत्त्वपूर्ण परिचायक है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के सुचारू रूप से संचालन के लिए विश्व व्यापार संगठन की स्थापना 1995 में की गयी।
18वीं शताब्दी के मध्य में औद्योगिक क्रान्ति के पश्चात् ही अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप व्यापक हुआ।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के आधुनिक सिद्धान्त का मूलाधार तुलनात्मक लाभ है।
व्यापार असीमित आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु विविध वस्तुओं एवं उनके उत्पादन की सीमित क्षमता के मध्य समज्जन का साधन है।
वास्तविक जगत में अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार आपूर्ति एवं माँग की अन्तर्प्रक्रिया पर निर्भर होता है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार के विकसित होने के लिए उत्पादन प्रतिरूप में क्षेत्रीय भिन्नता का होना अनिवार्य नहीं है।
समान उत्पादन प्रतिरूप वाले देशों (जैसे विकसित औद्योगिक देशों) में भी अधिक अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार होता है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार का स्वरूप (आयतन, संरचना एवं दिशा) इन बाधाओं-सुविधाओं पर बहुत हद तक निर्भर करता है।
अन्तर्राष्ट्रीय व्यापार में सरकारों द्वारा आर्थिक-राजनीतिक कारणों से विभिन्न प्रकार के कर लगाने तथा वसूलने का अधिकार है।
सरकार के पास राष्ट्रीय सीमाओं को पार करने के अनुमति देने या न देने का भी अधिकार सुरक्षित है।
सीमा शुल्क लगाने के अपने अधिकार का उपयोग राष्ट्रीय सरकारें प्रायः अपने आर्थिक एवं राजनीतिक उद्देश्यों की पूर्ति के लिए करती हैं।
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