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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2733
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

• सामान्य बोलचाल की भाषा में लगान का आशय उस भुगतान से है, जो किसी भौतिक वस्तु (Material goods) के प्रयोग के बदले किसी निर्दिष्ट काल में उस भौतिक वस्तु के स्वामी को मिलता है।

• रिकार्डो (Ricardo) के अनुसार, “लगान भूमि की उपज का वह भाग है जो भूमिपति को भूमि की मौलिक एवं अविनाशी शक्तियों के प्रयोग के लिए दिया जाता है।”

• मार्शल (Marshall) के शब्दों में, “समस्त समाज की दृष्टि से प्रकृति के निःशुल्क उपहारों से प्राप्त आय को लगान कहते हैं।”

• आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार, लगान एक साधन को वर्तमान व्यवस्था में बनाए रखने के लिए न्यूनतम पूर्ति मूल्य (minimum supply price) अर्थात् अवसर लगान (opportunity cost) के ऊपर एक बचत है।

• आर्थिक लगान को शुद्ध लगान भी कहा जाता है, क्योंकि यह केवल भूमि के प्रयोग के बदले दिया जाता है।

• आर्थिक लगान कुल लगान का एक अंश है।

• ठेके का लगान (Contract Rent) को प्रचलित लगान भी कहते हैं। यह वह लगान है जो भू-

पति और कारकत्ताओं के बीच समझौते के द्वारा तय होता है।

• ठेके का लगान अनेक परिस्थितियों से प्रभावित होकर आर्थिक लगान से अधिक कम तथा उसके बराबर हो सकता है।

• ठेके का लगान भूमि की माँग और पूर्ति से तय होता है। जब कभी भी भूमि की माँग पूर्ति से अधिक होती है, तो ठेके का लगान, आर्थिक लगान से ऊँचा होता है।

• आर्थिक लगान का निर्धारण सीमांत तथा अधिसीमांत भूमियों के अंतर से होता है।

• आर्थिक लगान पूर्व-निर्धारित नहीं होता है, इसका निर्धारण सीमांत तथा अधिसीमांत भूमियों की उपज पर निर्भर रहता है।

• ठेके का लगान हमेशा आर्थिक लगान के अंश होता है जिससे समाज का शोषण होता है।

• टॉमस के अनुसार, “लगान भूमि तथा अन्य प्रकृति-प्रदत्त निश्चित उपधरों से प्राप्त आय को लगान कहते हैं।”

समय विशेष पर जीती जाने वाली भूमि के विभिन्न टुकड़ों के एक छोर पर श्रेष्ठ भूमि जिसे 'अधि-सीमांत भूमि तथा दूसरे छोर पर निम्न कोटि की भूमि जिसे 'सीमांत भूमि' कहते हैं।

बोल्डिंग के शब्दों में, “आर्थिक लगान वह अधिकतम है जो साधन की दरात में काम करने वाले किसी उपयोगी व साधन इकाई को वर्तमान व्यवस्था में बनाये रखने के लिए उसके न्यूनतम पूर्ति मूल्य अथवा अवसर लगान पर प्राप्त होता है।”

फेल्नर (Fellner) के शब्दों में, “अधि-सीमांत भूमियों की लागत तथा कीमत के अन्तर ही रिकार्डो का लगान है।”

वह कारकत्त जो किसी एक भूमि के टुकड़े पर श्रम और पूंजी की एक इकाई के बाद दूसरी और तीसरी 'इकाइयाँ (does) को लगाता है, तो उसकी ह्रास नियम की क्रियाशीलता के कारण उत्पाद घटने लगता है।

गहन खेती में 'सीमांत भूमि' (Marginal Land) के स्थान पर 'सीमांत मात्रा' (Marginal Doses) का प्रयोग किया जाता है।

भूमि उत्पाद का साधन है।

किसी भी भूमि के टुकड़े पे लगान इसलिए मिलता है कि वह टुकड़ा सीमांत भूमि (Marginal Land) की अपेक्षा अधिक उपजाऊ है।

रिकार्डो के अनुसार जब किसी नए देश में बाहर से जनसंख्या आती है तो वह पहले-पहले सबसे अच्छी भूमि पर कृषि करती है।

मेयर्स (Meyers) के अनुसार, “अर्थशास्त्र में जब कभी एक उत्पादक का साधन उस आय से अधिक आय प्राप्त करता है जो कि उस साधन को वर्तमान व्यवस्था में बनाये रखने के लिए आवश्यक है, तो उस न्यूनतम पूर्ति कीमत के ऊपर प्राप्त आय को आर्थिक लगान कहा जा सकता है।”

ठेके के लगान का निर्धारण भूमियों के उपजाऊपन के अन्तर से नहीं, बल्कि भूमि की मांग व पूर्ति से होता है।

रिकार्डो ने लगान के सिद्धान्त की व्याख्या करते हुए पूर्ण-प्रतिस्पर्धा की कल्पना की है।

रिकार्डो का लगान सिद्धान्त, लगान रहित भूमि (No-rent Land) के विचार पर आधारित है।

रिकार्डो के लगान सिद्धान्त में सीमांत भूमि को शून्य लगान प्राप्त होता है।

रिकार्डो के लगान सिद्धान्त के अनुसार अनाज के मूल्य का निर्धारण सीमांत भूमि की उत्पादक लागत से होता है।

रिकार्डो की यह प्रसिद्ध आज भी सत्य है कि जनसंख्या के बढ़ने के साथ-साथ घटिया भूमि के टुकड़ों पर भी कृषि की जा रही है। यह प्रवृत्ति आज भी है, और भविष्य में भी रहेगी।

रिकार्डो के लगान सिद्धान्त शाश्वत है। जब तक भूमि की उत्पादकता पर ह्रास नियम लागू होता रहेगा तब तक लगान के सिद्धान्त की सत्ता बनी रहेगी।

प्रो. चीट का मानना है कि रिकार्डो का लगान सिद्धान्त “जब अनाज का वैश्विक रूप से उत्पादन होने लगेगा तभी यह सिद्धान्त बेकार हो जायेगा लेकिन उस समय के आने तक सिद्धान्त बना रहेगा।”

पूर्णतः विशिष्ट साधन वे हैं, जिनका केवल एक ही प्रयोग किया जा सकता है। इसलिये, विशिष्ट साधनों की अवसर लागत शून्य होती है।

पूर्णतः अविशिष्ट साधन वे हैं, जिनके एक से अनेक प्रयोग किये जा सकते हैं, अथवा जो साधन पूर्णतः गतिशील हैं।

आधुनिक अर्थशास्त्रियों के अनुसार, लगान एक अधिशेष है जो किसी भी साधन को प्राप्त हो सकता है।

• श्रीमती जोन रॉबिन्सन (Mrs. Joan Robinson) के शब्दों में, "किसी साधन का लगान, उस साधन में उस बिन्दु को कहा जाता है जो उसे न्यूनतम राशि के अतिरिक्त उपलब्ध होता है, जिसके कारण यह साधन उस व्यवसाय में कार्य करने के लिए आकर्षित होता है।"

• वह अधिकाल जो अवसरलाभ में भूमि को छोड़कर मानव निर्मित साधन प्राप्त करते हैं उसे आपास लगान कहा जाता है।

• आभास लगान को निम्नलिखित सूत्र द्वारा प्रदर्शित किया जाता है
  कुल आपास लगान = कुल आगम - कुल परिवर्तनीय लगान

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