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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2733
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

- फैयर चाइल्ड के अनुसार "यदि बाजार उचित प्रकार से संगठित न हो, यदि क्रेता एवं विक्रेताओं के पारस्परिक सम्पर्क में कठिनाई उत्पन्न होती हो तथा 2. अन्य व्यक्तियों द्वारा खरीदी गयी वस्तुओं और दिये मूल्य की ज्ञान करने में असमर्थ हो। तो ही ऐसी स्थिति को हम अपूर्ण प्रतियोगिता कहते हैं।"

- बाजार की वह स्थिति जिसमें पूर्ण प्रतियोगिता की आवश्यक दशाएँ मौजूद नहीं हो उसे अपूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति कहा जाएगा।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता के अन्तर्गत मूल्य का निर्धारण दो नीतियों द्वारा होता है–
  1. कुल लागत तथा कुल आगम रखाओं की नीति
  2. सीमांत एवं औसत लागत तथा आगम रखाओं की नीति

  कुल लागत तथा कुल आगम रखाओं की नीति में एकाधिकृत प्रतियोगिता फर्म का संतुलन उस बिन्दु पर होता है जहाँ कुल आगम तथा कुल लागत रखाओं के मध्य अधिकतम अंतर होता है।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता के अन्तर्गत मूल्य निर्धारण को निम्नलिखित रेखाचित्र के द्वारा प्रदर्शित किया जाता है–

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- चित्र में OQ संतुलन की मात्रा है। इस स्थिति में फर्म को अधिकतम लाभ प्राप्त हो रहा है (AB)। E₁ तथा E₂ बिन्दुओं पर फर्म को केवल सामान्य लाभ ही प्राप्त होता है। इन बिन्दुओं पर कुल लागत तथा कुल आगम बराबर हैं।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता की अवस्था में फर्म के सीमांत आगम तथा औसत आगम वक्र नीचे की ओर जाते दिखते हैं। इसमें माँग रेखा पूर्णतः लोचदार नहीं होती। यदि उसे विक्रय की मात्रा बढ़ानी है तो मूल्य घटाना पड़ेगा।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता की स्थिति में सीमांत आगम, औसत आगम से कम होता है। अल्पकाल में एकाधिकृत फर्म को अधिकतर या सामान्य लाभ या हानि तीनों अवस्थाओं का सामना करना पड़ सकता है, किन्तु दीर्घकाल में सामान्य लाभ की ही संभावना होती है।

- 1926 में सर्वप्रथम पियरो साराफ़ा ने, अपने लेख The Laws of returns under competitive condition में पूर्ण प्रतियोगिता एवं एकाधिकार की आलोचनाओं करते हुए कहा कि व्यावहारिक जीवन में ये स्थितियाँ नहीं होती हैं।

- जॉन रॉबिन्सन तथा चेम्बरलिन का मानना है कि व्यावहारिक जीवन में जो स्थिति पाई जाती है वह पूर्ण प्रतियोगिता व एकाधिकार के बीच की स्थिति होती है। इसीलिए इन्हें अपूर्ण प्रतियोगिता कहा।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता में क्रेताओं और विक्रेताओं की संख्या बहुत बड़ी है, अर्थात् बाजार की कुल पूर्ति में किसी एक फर्म की हिस्सेदारी नगण्य होती है।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्मों के उत्पाद परस्पर विविध होते हुए निकट प्रतिस्पर्धा होते हैं।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्मों का प्रवेश और बहिर्गमन स्वतंत्र होता है।

- अल्पकाल में व दीर्घकाल में लाभ को अधिकतम करना फर्मों का एक मात्र उद्देश्य होता है।

- चेम्बरलिन एक सहिष्णु मान्यता यह लेते हैं कि समूह में सभी फर्मों के आगम व लागत वक्र एक समान हैं।

- चेम्बरलिन 'उद्योग' के स्थान पर 'समूह' शब्द का प्रयोग करते हैं। और वह समूह के अन्तर्गत उन वस्तुओं को सम्मिलित करते हैं जिनके उत्पाद आधिक या तकनीकी रूप से परस्पर प्रतिस्थापन होते हैं।

- आर्थिक प्रतिस्थापन से आशय उनके मूल्यों को एक दूसरे का निकट होना है, जबकि तकनीकी प्रतिस्थापन का आशय लगभग समान आवश्यकताओं की पूर्ति करना है।

- चेम्बरलिन के अनुसार, एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्मों में यद्यपि उत्पादक फर्मों में भी भावित मूल्य पर पूर्ण नियंत्रण रहती है, किन्तु वे पूर्ण प्रतियोगी फर्मों की भाँति पूर्णतः मूल्य ग्रहणकर्ता होती हैं।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता में फर्मों का मूल्य पर थोड़ा नियंत्रण होता भी और नहीं भी।

- अपूर्ण प्रतियोगिता फर्में मूल्य पर अधिक नियंत्रण प्राप्त करने के लिए वस्तु विविध्य में बढ़ावा देती हैं।

- अपूर्ण प्रतियोगिता फर्में उत्पाद की डिजाइन, रंग, रूप पैकेजिंग इत्यादि के माध्यम से वस्तु विविध्य उत्पन्न करती हैं।

- अपूर्ण प्रतियोगिता में फर्मों का माँग वक्र एकाधिकार माँग वक्र की तुलना में अधिक लोचदार होता है।

- चेम्बरलिन अपूर्ण प्रतियोगिता विश्लेषण में विक्रय लागतों की अवधारण को सम्मिलित करते हैं।

- अपूर्ण प्रतियोगिता फर्में दीर्घकाल में सामान्य लाभ प्राप्त करती हैं।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता की स्थिति में सीमांत आगम, औसत आगम से कम होता है।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता की अवस्था में फर्म के सीमांत आगम तथा औसत आगम वक्र नीचे की ओर जाते दिखते हैं।

- प्रो. चेम्बरलिन के अनुसार, "किसी वस्तु को अपने उस समय अपूर्ण कहलाता है, जब उस वस्तु के क्रेता उसे सदैव उन विक्रेताओं से कम हेतु वांछ नहीं होते, जो उसे न्यूनतम मूल्य विक्रय हेतु तैयार होते हैं।"

- अपूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं व विक्रेताओं की संख्या पर्याप्त होती है लेकिन पूर्ण प्रतियोगिता की तुलना में यह संख्या कम होती है।

- अपूर्ण प्रतियोगिता बाजार में एक वस्तु न होकर कई वस्तुएँ विक्रय होती हैं।

- अपूर्ण प्रतियोगिता में क्रेताओं तथा विक्रेताओं के मध्य स्वतंत्रता नहीं होती है।

- अपूर्ण प्रतियोगिता में अलग-अलग वस्तुओं का अलग-अलग मूल्य प्रचलित होता है।

- एकाधिकृत प्रतियोगिता को अपूर्ण प्रतियोगिता का प्रमुख हिस्सा है।

- रसायनिकी कीरी उद्योग एकाधिकृत प्रतियोगिता का उदाहरण है। [हि.रा.वि. 2017]

- विक्रय लागत एकाधिकृत प्रतियोगिता में हर हाल में लगती है। [हि.रा.वि. 2017]

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