बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
समत्पाद रेखा को अंग्रेजी में Iso-quant कहते हैं जो कि Iso तथा quant से मिलकर बना है, जिसका सामूहिक अर्थ होता है - समान मात्रा।
समत्पाद वक्र माँग सिद्धान्त तत्स्थता वक्र की भाँति ही होता है।
प्रो. बिलिंग के अनुसार, "समत्पाद रेखाएँ दो साधनों के संयोजन के उन विभिन्न संयोजनों को प्रकट करती हैं जिनकी सहायता से एक वस्तु की एक समान मात्रा का उत्पादन कर सकते हैं।"
प्रो. सेम्यूलसन के अनुसार, "समत्पाद रेखा विभिन्न उत्पादन संयोजनों को प्रकट करती है जो उत्पादन की एक जैसी हुई मात्रा को उत्पन्न करेंगे।"
• “समत्पाद रेखा दो साधनों के उन सम्मिलित संयोजों को बताती है जो कि एक समान कुल उत्पादन देते हैं।”
- विस्वेतर
• समत्पाद रेखाओं की प्रमुख मान्यताएँ निम्नलिखित हैं -
(i) उत्पादन प्रक्रिया में केवल दो ही उत्पादन के साधनों का प्रयोग किया जाता है।
(ii) उत्पादन के साधन छोटी-छोटी इकाइयों में विभाज्य होते हैं।
(iii) उत्पादन की तकनीकी दशाएँ स्थिर होती हैं।
(iv) साधनों की दी हुई तकनीकी दशाओं में पूरी सम्भव कुशलता के साथ संयोजन किया जाता है।
• समत्पाद वक्र बाँये से दाएँ नीचे की ओर झुके हुए होते हैं। समत्पाद वक्र क्षैतिजीय नहीं होते हैं।
• समत्पाद वक्र ऊपर की ओर उठते हुए झुकावयुक्त नहीं हो सकते हैं।
• बाँयी ओर का समत्पाद वक्र दाँयी ओर के समत्पाद वक्र की तुलना में अधिक उत्पादन प्रदान करता है।
• समत्पाद वक्र ऋज रेखाओं में भी हो सकते हैं।
• दो समत्पाद वक्रों के मध्य अनेक समत्पाद वक्र हो सकते हैं।
• प्राचीन अर्थशास्त्रियों के अनुसार उत्पादन के निम्नलिखित तीन प्रमुख साधन हैं - भूमि, पूँजी तथा श्रम। एक प्रसिद्ध अर्थशास्त्री प्रो. मार्शल ने चौथा साधन उद्यम भी इसमें शामिल किया है।
• विभिन्न साधनों को इस अनुपात में मिलाया जाये कि न्यूनतम मूल्य पर अधिकतम उत्पादन हो अर्थात् इकाई लागत न्यूनतम हो जाये, तब तब को अनुकूलतम संयोजन कहते हैं।
• जब कोई उत्पादक अनुकूलतम संयोजन स्थापित करता है तब वह साधनों को इस प्रकार मिलाता है कि प्रत्येक साधन की भौतिक सीमांत उत्पादकता तथा उसके मूल्य का अनुपात समान रहे।
• मार्शल के विचार से किसी वस्तु के उत्पादन में एक मूल्य तक ही अन्य साधनों को प्रतिस्थापित कर के उसे कार्यशील करना चाहिए।
• उत्पादन की मात्रा को जैसे-जैसे हम प्रयत्न किए बिना, उनके amongst में अनेकों बाधाएँ आती हैं। ये बाधाएँ उत्पादन की मात्रा को सीमाएँ निर्धारित कर देती हैं। इन सीमाओं को जिन रेखाओं द्वारा विभक्त किया जाता है, उन्हें ही ऋज रेखाएँ कहते हैं।
• दो रेखाएँ समत्पाद वक्र के अनुकूलतम बिन्दुओं को स्पर्श करती हैं।
• ऋज रेखाओं के बीच का क्षेत्र उत्पादन के संयम विस्तार को बताता है।
• सम लागत रेखा उत्पादन के दो घटकों अर्थात् उत्पादन कारकों का मूल्य तथा मुद्रा की लागत जो कि उत्पादक लगाना चाहता है के विभिन्न संयोजनों को इंगित करती है।
• विस्तारपथ यह दर्शाता है कि साधन अनुपात कैसे परिवर्तित होते हैं जब साधन कीमतें स्थिर रहते हुए उत्पादन में परिवर्तन होता है।
• अल्पकाल में विस्तार के अन्तर्गत फर्म अपने उत्पादन को बढ़ाने के लिए केवल परिवर्तनशील साधनों को बदल सकती है न कि स्थिर साधनों को।
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