बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 10 - रिज रेखाएँ, साधनों का अनुकूलतम (अथवा न्यूनतम लागत) संयोजन तथा विस्तार पथ
[Ridge Lines, Optimum (or Least Cost) Factor Combination and Expansion Path]
समत्पाद वक्र ठीक उसी प्रकार दो स्थानापन्न उत्पादन साधनों के विभिन्न मात्रात्मक संयोजनों से प्राप्त समान भौतिक उत्पादन स्तर को प्रदर्शित करते हैं जिस प्रकार उपयोग क्षेत्र में उदासीनता वक्र दो उपभोग वस्तुओं के विभिन्न संयोजनों से प्राप्त समान उपयोगिता को दर्शाते हैं।
समत्पाद रेखाओं की प्रमुख विशेषताएँ -
(1) समत्पाद वक्र लम्बवत् नहीं होते हैं।
(2) समत्पाद वक्र मूल बिन्दु की ओर उतलत: होते हैं।
(3) समत्पाद वक्र एक-दूसरे को काटते नहीं हैं।
(4) समत्पाद वक्र की आकृति साधनों के परस्पर प्रतिस्थापन की सुगमता पर निर्भर करती है।
(5) समत्पाद वक्र दर्शायी गयी उत्पादक की इकाईयाँ कल्पनिक होती हैं।
(6) समत्पाद वक्र किसी एक ही वस्तु के स्तर को दर्शा सकते हैं।
जब विभिन्न वैकल्पिक संयोजन उपलब्ध होते हैं तो उन संयोजन का चुनाव करते हैं जिसकी न्यूनतम लागत पर श्रेयस्कर उत्पादन की प्राप्ति की जा सकती है। साधनों का श्रेयस्कर संयोजन वह मात्रा होती है जो किसी निर्दिष्ट व्यय-लागत रेखा तथा समत्पाद वक्र को स्पर्श करती है।
लागत रेखा वह रेखा होती है जो किसी निर्दिष्ट व्यय पर दो वस्तुओं (या दो उत्पादन साधनों) की स्थिति होती है। इस स्थिति में यह माना जाता है कि लागत स्थिर है। यदि साधनों की कीमत स्थिर रहती है और लागत में परिवर्तन हो जाता है तो उत्पादन सन्तुलन पर पड़ने वाला प्रभाव क्या होगा? उत्पादन लागत में परिवर्तन होने पर उत्पादन सन्तुलन में भी परिवर्तन होगा।
मान्यताएँ : श्रम एवं पूँजी की सभी इकाईयाँ समरूप हैं।
- श्रम की कीमत स्थिर है।
- पूँजी की कीमत स्थिर है।
- श्रम व पूँजी उत्पादन के दो साधन हैं जो परिवर्तनशील हैं।
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