बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
• आगत तथा निर्गत के बीच के सम्बन्ध को उत्पादन फलन कहलाता है पर उत्पादन फलन की प्रकृति अथवा किस प्रकार के साधनों के संयोजन में परिवर्तन से उत्पादन प्रभावित होता है, इस बात का कथन उत्पादन का नियम कहलाता है।
• मूल उत्पादन फलन Q =f (L, K) है। अब यदि आगत में a गुनी तथा निर्गत में b गुनी वृद्धि होती है तो उत्पादन फलन इस प्रकार व्याख्य होगा-
b.Q = Fa. (L, K)
यदि b > a अर्थात निर्गत में वृद्धि आगत में वृद्धि के अनुपात से अधिक हो तो इसे उत्पादन वृद्धि नियम कहते हैं।
यदि b = a तो उत्पादन समाफल नियम होगा।
यदि b < a तो उत्पादन ह्रास नियम होगा।
• एक साधन परिवर्तनशील हो पर अन्य साधन स्थिर हो, तो इस प्रकार के उत्पादन फलन के बीच सम्बन्ध का अध्ययन हम परिवर्तनशील अनुपात के नियम के अन्तर्गत करते हैं।
जब सभी आगतों को परिवर्तित करते हैं तथा इसके निष्कर्ष के ऊपर पड़ने वाले प्रभावों का अध्ययन करते हैं, इस स्थिति का अध्ययन पैमानों के प्रतिलाभ नियम के अन्तर्गत करते हैं। इसे दीर्घकालीन उत्पादन फलन कहते हैं।
• उत्पादन क्रिया में प्रमुख आगतों के प्रयोग से परिणमस्वरूप हमें जो निर्गत प्राप्त होता है उनके कुल योग को कुल उत्पादन कहलाता है।
• कुल उत्पादन को यदि हम उस साधन की मात्रा से भाग दे दें जिसे परिवर्तित कर रहे हैं तो यह उस परिवर्तनशील साधन का औसत उत्पाद होगा।
• श्रम का औसत उत्पाद (APL) = TP / L या ∑Q / L
• साधन की मात्रा में एक अतिरिक्त इकाई की वृद्धि के परिणाम स्वरूप कुल उत्पादन में जो परिवर्तन होता है हम उस साधन की इकाई का सीमांत उत्पाद कहेंगे।
• श्रम की नई इकाई का सीमांत उत्पाद (MPn) = (TPn - TPn₋₁)
• उत्पादन फलन उत्पत्ति के साधनों एवं उत्पादन के भौतिक मात्रात्मक सम्बन्ध को बताता है। उत्पादन फलन वास्तव में एक अभौतिकिक धारणा है।
• उत्पादन फलन में उपपादों एवं उत्पादन के मूल्यों का कोई समावेश नहीं होता। उत्पादन फलन मूल्यों से स्वतन्त्र होता है।
• उत्पादन फलन का सम्बन्ध एक समयावधि से होता है। एक समय में एक उत्पादन फलन हो सकता है जो समय बदलने पर बदल सकता है।
• उत्पादन फलन का सम्बन्ध विशिष्ट समयावधि से होता है।
• उत्पादन में कुछ साधन स्थिर तथा कुछ साधन परिवर्तनशील होते हैं। इसे स्थिति दीर्घकाल में सभी साधन परिवर्तनशील होते हैं।
• तकनीकी स्तर में परिवर्तन नहीं होता तथा पूर्व स्वीकृत तकनीकी अपनायी है।
• आगत-निर्गत के बीच बहुविधाली प्रायिकीय सम्बन्ध को सामान्यतः सम उत्पाद वक्रों के माध्यम से व्यक्त किया जाता है।
• सम उत्पादन वक्र उत्पादक के दो साधनों के उस समभाविक संयोजन को प्रदर्शित करते हैं जिनके प्रयोग से उत्पादक को समान उत्पादन प्राप्त होता है।
• सम उत्पाद वक्रों को उत्पादन तत्सम वक्र भी कहा जाता है।
• "सम उत्पाद वक्र दो साधनों के उन संभावित संयोजनों को बताती है जो कि एक समान कुल उत्पादन देते हैं।" —कोट्रेड
• "एक समवक्र वक्र वह वक्र है जिस पर उत्पादन की अधिकतम प्राप्ति दर स्थिर रहती है।" —कोट्रेड एवं कोहेन
• उत्पादन के सम्बन्ध में 'प्राविधिक प्रतिस्थापन की सीमांत दर' वह दर स्पष्ट करती है जिस पर बिना उत्पादन के स्तर में परिवर्तन किये हुए साधनों में प्रतिस्थापन किया जा सके।
MRTSLK = - ΔK / ΔL = MPL / MPK
• यदि एक साधन के द्वारा दूसरे साधन को प्रतिस्थापित किया जाता है, तो प्राविधिक प्रतिस्थापन की सीमांत दर क्रमान्तः घटते प्रवृत्ति है।
• प्राविधिक दरायें शान्त तथा स्थिर हैं।
• उत्पादन में समुप एक साधन को दूसरे से प्रतिस्थापित किया जा सकता है।
• एक निश्चित सीमा के बाद उत्पादन के एक साधन के स्थान पर दूसरे को प्रतिस्थापित नहीं किया जा सकता है।
• उत्पादन के साधनों को छोटी-छोटी इकाइयों में बांटा जा सकता है।
• फर्म केवल एक ही वस्तु का उत्पादन करती है तथा अधिकतम उत्पादन प्राप्त करने के उद्देश्य से कार्य करती है।
• समवकाल वक्र नीचे झुकी हुई सूक्षे होते हैं।
• समवकाल वक्र एक-दूसरे को काटते नहीं हैं।
• समवकाल वक्र उत्तल होते हैं।
• ऊँचे समवकाल वक्र अधिक उत्पादन दर्शाते हैं।
• समवकाल वक्र आकृतियाँ अंश स्पष्ट नहीं करती हैं।
• औद्योगिक उत्पादन तब स्थिर स्थिति में होगा जबकि उत्पादन के साधनों में पूर्ण पूरकता हो अर्थात प्रतिस्थापन शून्य हो।
• जब उत्पादन में प्रयुक्त दोनों साधन पूर्णतः स्थानापन्न हो, तो उसे रेखीय समवकाल कहते हैं।
• रेखीय समवकाल फलन की प्रयोग कोब्ब-डगलस उत्पादन फलन भी कहते हैं।
• कोब्ब-डगलस उत्पादन फलन का विस्तार-पथ उत्पादन विलय से सरल दिखा होता है।
• कोब्ब-डगलस उत्पादन फलन में दो साधनों-श्रम और पूँजी को लिया जाता है। इसको गणितीय रूप में इस प्रकार लिखते हैं–
Q = ALa K1-a
• इस उत्पादन फलन के अनुसार वस्तु का उत्पादन करने के लिए दोनों साधनों श्रम व पूँजी का होना आवश्यक है। यदि इनमें से किसी साधन का प्रयोग नहीं होता तो उत्पादन शून्य होगा।
• यह मानने के लिए फलन की प्रवृत्ति करता है।
• यह उत्पादन फलन उत्पाद क्रिया का उत्पादन फलन है।
• कोब्ब-डगलस उत्पादन फलन के अनुसार तकनीकी प्रतिस्थापन की लोच इकाई के समान होती है।
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