बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
• मौद्रिक लागत से अभिप्राय उन सभी व्ययों से लगाया जाता है जो एक उत्पादक किसी वस्तु के उत्पादन के लिए उत्पादक के विभिन्न साधनों को उस वस्तु के निर्माण के लिए पारितोषिक के रूप में देता है।
• व्यक्त लागतों के अन्तर्गत वे सभी व्यय आते हैं जो एक उत्पादक उत्पादन करने के लिए व्यय करता है।
• अप्रकट लागतों के अन्तर्गत वे व्यय आते हैं जो उस समय उपस्थित होते हैं जबकि उत्पादन-क्रिया में प्रयुक्त में आने वाले कुछ साधन स्वयं नियोजित के हों।
• सामान्य लाभ को किसी सहमति से किसी उद्योग में बनाये रखने की लागत मानते हैं और इसलिए मौद्रिक लागत में सामान्य लाभ को भी सम्मिलित करते हैं।
• औसत लागत से तात्पर्य उत्पादन की उस न्यूनतम मात्रा से है जिसके बिना कोई भी साखी किसी उद्योग में बने रहने में समर्थ नहीं होती है। इससे कम लाभ की अवस्था में वह उद्योग छोड़कर बाहर चला जायेगा।
• मौद्रिक लागत = लेखांकन लागत + अप्रकट लागत + सामान्य लाभ
• प्रत्यक्ष लागत को पहचान योग्य लागत के रूप में जाना जाता है।
• मार्शल के अनुसार—“विभिन्न प्रकार के श्रमिकों, जो कि उत्पादन क्रिया में प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से भाग लेते हैं, के परिश्रम तथा पूँजी के संचय कार्य में होने वाले कह अथवा परिश्रम को समुचित मूल्य से उस वस्तु की वास्तविक लागत कहते हैं।”
• “वास्तविक लागत का सिद्धान्त हमें सैद्धान्तिक विचारधारा तथा अवास्तविकता के दलदल में फँसा देता है।” —हेण्डरसन
• अवसर लागत को वैकल्पिक लागत, स्थानान्तरण लागत मूल्य भी कहते हैं।
• बेन्सहम के अनुसार—“मूल्य की वह मात्रा जो कि कोई एक इकाई सर्वश्रेष्ठ वैकल्पिक प्रयोग में प्राप्त कर सकती है।”
• श्रीमती रॉबिन्सन के अनुसार “वह प्रतिस्थान, जो कि किसी साधन की इकाई को किसी उद्योग में बनाये रखने के लिए आवश्यक हो, स्थानान्तरण आय अथवा कीमत कहलाती है।”
• परिवर्तनशील लागत वह लागत है जो उत्पादन के स्तर के साथ प्रत्यक्ष रूप से सम्बन्धित होती है, उत्पादन बढ़े तो इसमें वृद्धि तथा घटे तो कमी आती है।
• स्थिर लागत की धारणा का प्रतिपादन मार्शल ने किया।
• स्थिर लागत वह लागत है जिनके ऊपर उत्पादन की मात्रा का कोई प्रभाव नहीं पड़ता, चाहे उत्पादन हो या नहीं, यह लागत फर्मों को वहन करनी पड़ती है।
• उत्पादन लागत को मार्शल ने प्रारंभिक लागत या प्रक्रम लागत कहा।
• अल्पकाल में किसी फर्म की कुल उत्पादन लागत (TC) उसकी स्थिर लागत (TFC) तथा परिवर्तनशील लागत (TVC) के योग के बराबर होती है अर्थात TC = TFC + TVC
• औसत स्थिर लागत (AFC)—कुल स्थिर लागत को उत्पादित इकाइयों द्वारा भाग देने से जो भागफल प्राप्त होगा वही प्रति इकाई औसत स्थिर लागत कहलायेगी।
AFC = TFC / Q, Q =
• अल्पकाल में कुल स्थिर लागत अपरिवर्तनीय होती है।
• AFC वक्र अवतल और नीचे झुका हुआ होता है एवं यह कभी आधार अक्ष को स्पर्श नहीं करता है।
• औसत स्थिर लागत लगभग शून्य हो सकती है पर शून्य नहीं।
• AFC अनियंत्रवल वक्र होगी जिसके प्रत्येक बिन्दु पर कुल स्थिर लागत Q × AFC = TFC स्थिर बनी रहेगी।
• औसत परिवर्तनशील लागत (AVC)—औसत परिवर्तनशील लागत उत्पादन की प्रति इकाई पर लगने वाली औसत परिवर्तनशील लागत है।
• कुल परिवर्तनशील लागत को कुल उत्पादित इकाइयों द्वारा भाग देने से जो भागफल प्राप्त होगा वही औसत परिवर्तनशील लागत होगा।
• AVC = TVC / Q
• औसत कुल लागत (ATC) या औसत लागत (AC)—उत्पादन की किसी मात्रा को उत्पन्न करने के लिए लगने वाली कुल लागत को उत्पादित वस्तुओं की मात्रा से भाग देने पर जो भाजफल प्राप्त होता है वही औसत लागत है।
• ATC = TC / Q = TFC / Q + TVC / Q = AFC + AVC
• औसत लागत वक्र का ‘U’ आकार मूल रूप से परिवर्तनशील अनुपात नियम के क्रियाशीलन के कारण है।
• सीमांत लागत से आशय कुल लागत में परिवर्तन की उस मात्रा से है जो एक अतिरिक्त इकाई के उत्पादन के फलस्वरूप हो।
• उत्पादन के किसी स्तर के अनुसार यदि हम कुल लागत वक्र पर एक स्पर्श रेखा खींचे तो इस स्पर्श रेखा का ढाल सर्वाधिक सीमांत लागत के बराबर होगा।
• अल्पकालीन सीमांत लागत परिवर्तनशील लागत पर निर्भर करेगी।
• औसत लागत (AC) तथा सीमांत लागत (MC) में सम्बन्ध—

• प्रारम्भ में जब AC वक्र गिरती है तब MC वक्र एक सीमा तक गिरता है, किन्तु एक अवस्था के बाद MC वक्र बढ़ना आरम्भ हो जाता है, यथार्थ AC वक्र गिरता है।
• इस प्रकार MC सदैव घटती औसत लागत दशा में औसत लागत से कम होती है।
• जब AC न्यूनतम होता है तब MC वक्र AC वक्र को नीचे से काटता है अर्थात् न्यूनतम औसत लागत सीमांत लागत के बराबर होती है।
• जब AC वक्र बढ़ता है तो MC वक्र AC से ऊपर होता है एवं साथ ही साथ AC वक्र से तीव्र गति से बढ़ता है।
• किसी फर्म की दीर्घकालीन औसत लागत वक्र (LAC) सभी अल्पकालीन लागत वक्रों को ढँका हुआ होगा और इसलिए इसे आवरण वक्र भी कहते हैं।
|