बी काम - एम काम >> बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्रसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय 7 - लागत का सिद्धान्त : अल्पकालीन एवं दीर्घकालीन लागत वक्र
(Theory of Cost : Short-run and Long-run Cost Curves)
उत्पादक को उत्पादन के विभिन्न साधनों की सेवाओं का पारिश्रमिक देना पड़ता है। उत्पादन के साधनों पर जो व्यय किया जाता है उसे उत्पादन लागत कहते हैं। कीमत सिद्धान्त में लागत की धारणा का विशेष महत्व है क्योंकि लागत और आगम पर ही एक उत्पादक यह निर्णय ले पाता है कि वह कितना उत्पादन करे ताकि उसे अधिकतम लाभ हो सके। उत्पादन लागत में केवल मौद्रिक लागत ही नहीं अपितु अन्य लागतें भी शामिल होती हैं।
किसी वस्तु के मूल्य-निर्धारण की प्रक्रिया' में लागत-विश्लेषण का अत्यन्त ही महत्वपूर्ण स्थान हैं क्योंकि कोई भी उत्पादक अपनी उत्पादन लागत से कम मूल्य स्वीकार नहीं करना चाहेगा और इतनी ही नहीं बल्कि लाभ की गणना तब तक नहीं की जा सकती जब तक कि वस्तु के मूल्य के साथ उसकी प्रति इकाई लागत का ज्ञान न हो।
उत्पादन फलन के आधार पर लागत-फलन को प्राप्त किया जा सकता है। इसलिए यह कहना गलत नहीं होगा कि लागत-फलन वस्तुतः एक प्रकार से हि्न्द उत्पादन फलन से प्राप्त किया जाता है। लागत फलन के अर्थ के सम्बन्ध में अर्थशास्त्रियों में मतभेद हैं। कभी-कभी इसे सामान्यतः किये जाने वाले व्यावसायिक व्ययों के रूप में ही ग्रहण किया जाता है, पर कभी-कभी इसमें उन व्ययों को सम्मिलित कर लिया जाता है जो वास्तव में किसी विशेष उत्पादन से सम्बन्धित नहीं होते हैं बल्कि अप्रत्यक्ष रूप से उस उत्पादन से जुड़े होते हैं। प्रो. स्टोनर के अनुसार—"लागत वह बाह्यराशि है जिसे उत्पादन की एकाइयों तथा मुद्रा के रूप में पूँजी के मालिक को निश्चित रूप से प्राप्त होना चाहिए, यदि उन्हें एकाइयों की फर्म को निरन्तर चलाना है।"
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