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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2733
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 व्यावसायिक अर्थशास्त्र - सरल प्रश्नोत्तर

महत्वपूर्ण तथ्य

कुल आय — किसी विक्रेता को वस्तुओं की बेची गई कुल मात्रा से जो मुद्रा प्राप्त होती है, वही उन वस्तुओं के विक्रय से उसकी कुल आय कहलाएगी।
दूसरे शब्दों में किसी फर्म की कुल आय या आय वस्तु की एक इकाई कीमत तथा कुल विक्रय की गई इकाइयों के गुणनफल द्वारा प्राप्त किया जाता है।
कुल आय = कुल विक्री से प्राप्त राशि
= विक्री इकाइयों × प्रति इकाई की कीमत
जब वस्तु की बेची गई मात्रा शून्य है तो कुल आय भी शून्य होगी।

औसत आय (AR) — औसत आय बेची गई वस्तु की प्रति इकाई पर प्राप्त होने वाली औसत आय को प्रदर्शित करता है।
इस प्रकार यदि हम कुल आय को वस्तु की बेची गई मात्रा से भाग दे दें तो प्राप्तफल औसत आय प्रदर्शित करेगा।
औसत आय = कुल आय / वस्त्र की बेची गई मात्रा
वास्तविकता यह है कि फर्म या विक्रय इकाई के लिए जो प्रति इकाई प्राप्त होने वाली आय या औसत आय है वही उपभोक्ताओं की दृष्टि से प्रति इकाई दिये जाने वाला मूल्य है।

सीमांत आय (MR) — बाजार में उत्पादन की एक अतिरिक्त इकाई के विक्रय से कुल आगमान में जो वृद्धि होती है उसे सीमांत आय कहते हैं।
सीमांत आय की धारणा का प्रतिपादन एक साथ स्वतंत्र रूप से प्रो० जोएन मेहता तथा श्रीमति रॉबिन्सन ने किया।
सीमांत आय कुल आय में परिवर्तन की दर को बताता है।

MRn = TRn - TRn₋₁
पूर्ण प्रतियोगिता की स्थिति में सीमांत आय एवं औसत आय वक्र समान होते हैं अर्थात
AR = MR
यदि औसत आगम वक्र एक वक्र के रूप में उपलब्ध होता है तो उससे सम्बंधित सीमांत आगम भी एक
वक्र का ही रूप अपनाता है।
यदि औसत आगम वक्र मूल बिन्दु की ओर अवनतवक्र होता है तब AR वक्र के किसी बिन्दु से
y अक्ष पर डाले गए लम्ब के मध्य बिन्दु से MR वक्र का बिन्दु दायीं ओर उपलब्ध होगा।
यदि AR वक्र मूल बिन्दु की ओर उत्थानई है तो AR वक्र से y अक्ष पर खींचे गये लम्ब को
MR वक्र y अक्ष से कम पर काटेगा।
श्रीमती रॉबिन्सन के अनुसार—
AR = MR (e / e−1)\

MR = AR (e−1 / e)\

यदि e = 1
तब MR = AR (1−1 / 1) = 0
अर्थात MR = 0

यदि e = ∞
तब MR = AR (∞−1 / ∞)

= AR - [(1/ 0} - 1) / 1 = AR.1

अर्थात MR = AR

यदि e > 1 (माना e = 2)
तब MR = AR [2−1 / 2] = AR / 2​
अर्थात जब तक e > 1, MR धनात्मक होगा।

यदि e < 1 (माना e = 1 / 2
तब MR = AR  ({1/2 - 1} / (1 / 2} = ऋणात्मक

अर्थात e < 1 होने पर MR ऋणात्मक हो जाता है।

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