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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2732
आईएसबीएन :0

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बीकाम सेमेस्टर-2 वित्तीय लेखांकन - सरल प्रश्नोत्तर

महत्त्वपूर्ण तथ्य

स्मिथ एवं एशबर्न के अनुसार - "लेखांकन मुख्य रूप से वित्तीय व्यावसायिक व्यवहारों और घटनाओं के लिखने का विज्ञान है और वित्तीय व्यवहारों एवं घटनाओं का महत्त्वपूर्ण सारांश बनाने, विश्लेषण करने, उनकी व्याख्या और परिणामों को उन व्यक्तियों तक पहुँचाने की कला है, जिन्हें उनके आधार पर निर्णय लेने हैं।"

लारेन्स एच०सी० मैलचमैन एव एलबर्ट सलेविन के अनुसार - “लेखांकन सम्पत्ति या सम्पत्ति के अधिकारों में वृद्धि या कमी के रूप में परिवर्तनों को लिखने और वित्तीय लेनदेनों के विश्लेषण एवं व्याख्या करने की विधि है ।"

आर०आर० एंथनी के अनुसार  - "लेखांकन, व्यवसाय से सम्बन्धित सूचनाओं को मौद्रिक शब्दों में एकत्रित करने, सारांश लेखन, विश्लेषण करने और सूचित करने का एक साधन है ।"

लेखांकन की विशेषतायें

1. इसमें उन्हीं व्यावसायिक व्यवहारों को लिखा जाता है जिनको मुद्रा के रूप में मापा जा सकता है। अन्य व्यवहार इसके क्षेत्र से बाहर हैं।

2. लेखांकन का सम्बन्ध केवल वित्तीय व्यवहारों एवं घटनाओं से होता है।

3. वित्तीय लेखांकन का सीधा सम्बन्ध एवं महत्व व्यवसाय के स्वामी के लिये होता है।

4. वित्तीय लेखांकन का सम्बन्ध किसी उपक्रम की क्रियाओं को प्रभावपूर्ण तरीके से लिखने तथा उनका वर्गीकरण करके सारांश रूप में प्रस्तुत करना होता है जिससे व्यवसाय की आय और आर्थिक स्थिति की सही एवं सच्ची जानकारी प्राप्त की जा सके।

5. लेखांकन के अन्तर्गत इसके सभी पहलुओं अर्थात् रिकार्डिंग, वर्गीकरण, संक्षिप्तीकरण, विश्लेषण एवं निर्वचन, प्रस्तुतिकरण एवं रिपोर्टिंग आदि का अध्ययन किया जाता है। लेखांकन न केवल एक कला है बल्कि एक निश्चित विज्ञान (Exact Science) भी है।

6. व्यवसाय से सम्बन्धित सरकारी नीतियों एवं नियमों से वित्तीय लेखांकन सीधे रूप में प्रभावित होती है।

7. व्यवसाय की प्रगति के गत वर्षों के साथ तुलनात्मक अध्ययन करने में वित्तीय लेखांकन न केवल आवश्यक है बल्कि अनिवार्य भी है।

लेखांकन की आश्यकता

1. व्यापार में प्रतिदिन अनेक व्यवहार होते हैं, इन्हें मुँह जबानी याद नहीं रखा जा सकता। इनका लेख करना प्रत्येक व्यापारी के लिए आवश्यक होता है। लेखांकन के माध्यम से इन लेन-देनों को भली-भाँति लिखा जाता है।

2. एक व्यापारी अपने लेन-देनों को भाँति-भाँति लिखने, लेखा पुस्तकें रखने तथा अन्तिम खाते आदि बनाने के बाद ही अपने कर दायित्व की जानकारी कर सकता है। पुस्तपालन से लेन-देनों के समुचित लेखे रखे जाते हैं। विक्रय की कुल राशि तथा शुद्ध लाभ की सही प्रामाणिक जानकारी मिलती है जिसके आधार पर विक्रय कर व आयकर की राशि के निर्धारण में सरलता हो जाती है।

3. व्यापार में विभिन्न लेन-देनों में किसी प्रकार की बेईमानी व जालसाजी न हो सके, इसके लिए लेन-देनों का समुचित तथा वैज्ञानिक विधि से लेखा होना चाहिए। इस दृष्टि से भी लेखांकन को आवश्यक समझा जाता है।

4. यदि व्यापारी अपने व्यापार के वास्तविक मूल्य को जानना चाहता है या इसे उचित मूल्य पर बेचना चाहता है तो लेखा पुस्तकें व्यापार की सम्पत्तियों व दायित्वों आदि के शेषों के आधार पर व्यापार के उचित मूल्यांकन के सही आंकड़े प्रस्तुत करती हैं।

लेखांकन के लाभ

1. विभिन्न लेन-देनों को याद रखने का साधन
2. वस्तुओं की कीमत लगाना
3. अदालती कार्यों में बहीखातों का प्रमाण ( सबूत) होना
4. आर्थिक स्थिति का ज्ञान
5. पूँजी या लागत को ज्ञात करना
6. कर्मचारी के छल-कपट से सुरक्षा
7. उचित आय-कर या बिक्री कर लगाने का आधार
8. पिछले आंकड़ों से तुलना

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