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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2730
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर


महत्वपूर्ण तथ्य

आपातकालीन प्रसव में शिशु का जन्म प्रसव के लिए बनाई गयी योजना के अनुसार न हो करके अन्य स्थानों या स्थितियों में होता है।

सामान्यतः माता-पिता अपने बच्चे के जन्म के बारे में पहले से ही यह योजना बना लेते हैं कि बच्चे का जन्म या प्रसव कहाँ होगा पर आपातकालीन प्रसव की दशा में यह योजना काम नहीं आती बल्कि कभी-कभी तो बच्चे का जन्म ऐसे स्थान पर हो जाता है जहाँ पर कोई मेडिकल सुविधा उपलब्ध नहीं होती। ऐसे मामलों में यदि बच्चे या माँ में कोई जटिलता उत्पन्न होती है तो वह इनके जीवन के लिए घातक साबित हो सकती हैं।

हर साल दुनिया भर में 25 लाख से अधिक महिलायें प्रसव अथवा गर्भावस्था के कारण उत्पन्न होने वाली जटिलताओं से मर जाती हैं और इसका मुख्य कारण उच्च रक्तचाप या प्रसव के दौरान होने वाला अत्याधिक रक्त स्राव होता है। आपातकालीन प्रसव की दशा में चिकित्सा सुविधा सामान्यतः नहीं मिल पाती जिसके कारण ऐसे प्रसव में यह खतरा और भी बढ़ जाता है। गर्भवती महिलायें आमतौर पर गर्भावस्था के दौरान चिकित्सा देखभाल के लिए तैयारी करती हैं और बच्चे का जन्म स्वास्थ्य देखभाल टीम के साथ बनाती हैं परन्तु आपातकालीन दशा में बच्चे का जन्म होने की दशा में यह प्रयास विफल हो जाता है।

कई शिक्षण कक्षायें आपातकालीन जन्म प्रक्रियाओं को कवर करती हैं। इनमें माता-पिता को ऐसे संकेतों को सिखाया जाता है जिनकी सहायता से वे प्रसव का आभास कर सकती हैं और तदानुसार सतर्क हो सकती हैं।

कभी-कभी आपातकालीन प्रसव के लिए घर पर इसके लिए एक किट रखने की सलाह दी जाती है।

आपातकालीन प्रसव किट में कैंची, स्टेराइज्ड दस्ताने, सैनिटरी पैड, डायपर साफ तौलिये एवं चादर तथा श्वास प्रबंधन के उपकरण शामिल होते हैं।

कुछ संकेत ऐसे भी होते हैं जो यह बता देते हैं कि प्रसूता का प्रसव सन्निकट है, अतः उसे सचेत हो जाना चाहिए और इसके लिए आवश्यक तैयारी कर लेना चाहिए। उदाहरण के लिए यदि गर्भवती स्त्री में तरल पदार्थ का कोई तेज बहाव प्रारम्भ हो जाता है तो यह स्पष्ट करता है कि एमिनियोटिक झिल्ली टूट रही है। अतः सचेत हो जाना चाहिए।

यदि ऐसे समय पर योनि से तीव्र रक्त प्रवाह हो तो यह समझ लेना चाहिए कि यह प्रसूता के जीवन के लिए संकट उत्पन्न कर सकता है।

यदि गर्भाशय में संकुचन के साथ धक्का देने जैसा लग रहा हो तो यह शीघ्र डिलीवरी का संकेत है।

प्रसव के आस-पास प्रसूता की हृदयगति, श्वसनदर, रक्तचाप, तापमान तथा आक्सीजन की मात्रा का नियमित रूप से परीक्षण होना चाहिए। इनमें कोई बदलाव गंभीर दशा का संकेत हो सकता है।

यदि शिशु का सिर योनि से निकल रहा हो तो यह समझ लेना चाहिए कि प्रसव होने ही वाला है और उसकी तैयारी अति शीघ्र कर लेनी चाहिए।

बच्चे के नार्मल पोजिशन में डिलीवरी का समय 2 से 18 घंटे तक रह सकता है। इस चरण में अधिक देखभाल की आवश्यकता होती है।

दूसरा चरण 5 मिनट से लेकर 3 घंटे का रह सकता है।

बच्चा गर्भनाल द्वारा माँ की प्लेसेंटा से जुड़ा होता है। यह आमतौर पर 2-10 मिनट में बाहर आ जाता है

परन्तु कभी-कभी इसमें 60 मिनट तक का समयं भी लग सकता है।

डिलीवरी होने से पहले प्लेसेंटा से खून का झोंका आता है और प्लेसेंटा की लम्बाई बढ़ जाती है। आपातकालीन प्रसव की जटिलताओं में सामान्य प्रसव के दौरान होने वाली जटिलतायें भी शामिल हो सकती हैं और अधिक रक्त स्राव होने पर प्रशिक्षित चिकित्सक की सेवायें आवश्यक होती हैं। इनमें प्रसव के दौरान पेरीनल का फटना, अत्याधिक रक्त स्राव, प्रसवोत्तर रक्त स्राव तथा उच्च रक्त स्राव और दौरे भी शामिल हो सकते हैं जिनकी गहन निगरानी आवश्यक होती है।

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