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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2730
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर

अध्याय - 14
आपातकालीन प्रसव

(Emergency Birth of Child)

आपातकालीन प्रसव वह प्रसव है जिसमें शिशु का जन्म योजना में तय स्थान के अलावा अन्य स्थानों या स्थितियों में होता है। सामान्यतः अधिकांश मामलों में बच्चे के जन्मस्थान की योजना समय से पहले बनाई जाती है और यह निश्चित कर लिया जाता है कि बच्चे का जन्म घर, अस्पताल या किस अन्य स्थान पर होगा, परन्तु आपातकाल की दशा में बच्चे का जन्म इन स्थानों पर न होकर के किसी अन्य स्थान पर या इन सुविधाओं या स्थानों तक पहुँचने के पहले रास्ते में ही हो जाता है। ऐसे स्थान पर प्राय: कोई प्रशिक्षित चिकित्सा कर्मी नहीं होता। अतः ऐसे प्रसव के मामलों में जोखिम की मात्रा अधिक होती है।

समय से पहले प्रसव की घटना दुनिया भर में लगभग 12% है। समय से पहले जन्म, अनियोजित आपातकालीन प्रसव का एक महत्वपूर्ण योगदायी कारक है। प्री टर्म लेबर या समय पूर्व प्रसव को 37 सप्ताह में (40 सप्ताह से पूर्व ) होने वाले प्रसव के रूप में परिभाषित किया गया है। प्री टर्म लेबर के जोखिमों के कई कारण हो सकते हैं जिनमें मुख्य हैं -

(1) कई भ्रूणों के साथ गर्भावस्था,
(2) समय से पहले प्रसव का पूर्व इतिहास
(3) गर्भाशय ग्रीवा या गर्भाशय की असामान्यतायें
(4) मूत्र पथ, योनि आदि में संचारी रोगों का संक्रमण
(5) उच्च रक्तचाप
(6) नशीली दवाओं का प्रयोग
(7) मधुमह रोग या रक्त विकार 

अपरिपक्व भ्रूण के लिए भी टर्म इमरजेंसी डिलीवरी का सामान्य सिद्धान्त ही लागू होता है। इस प्रकार के मामलों में कई जोखिमों का भय रहता है। जन्म के समय बच्चे का कम वजन, सांस लेने में तकलीफ तथा संक्रमण का खतरा ऐसे मामलों में अधिक रहता है। अतः ऐसे प्रसव के बाद नवजात शिशु को अतिरिक्त चिकित्सीय देखभाल की आवश्यकता रहती है। इसके लिए ऐसे नवजात को अस्पताल ले जाना अधिक उपयुक्त रहता है ताकि उसे एंटीबायोटिक्स तथा श्वास उपचार की सुविधा सही मात्रा में तथा सही समय पर उपलब्ध करवायी जा सके।

बच्चे के समय से पूर्व जन्म के मामलों में बच्चे को पुनर्जीवन की आवश्यकता होती है जब ऐसा बच्चा अपने आप ठीक नहीं हो रहा है या उसके ठीक होने या सामान्य होने की प्रक्रिया अत्यंत धीमी है। बच्चे के पुनर्जीवन की प्रक्रिया आमतौर पर उसे गर्माहट प्रदान करने, शुष्क अवस्था में रखने तथा उत्तेजना प्रदान करने से प्रारम्भ होती है। यदि नवजात बच्चे को साँस लेने में दिक्कत है तो उसके श्वसन मार्ग को चूषण के साथ खोला और साफ किया जाता है और चिकित्सकों की निगरानी में आक्सीजन की आपूर्ति की जाती है। यदि बच्चे की हृदय गति 60 बीट प्रति मिनट से कम है तो सी.पी. आर. को 3.1 कम्प्रेशन द्वारा वेंटीलेशन के अनुपात में प्रारम्भ किया जाता है। इसमें निचले ब्रेस्टबोन पर संपीडन किया जाता है। यदि यह प्रक्रिया नवजात शिशु को पुनर्जीवन देने में सफल नहीं हो पाती तो एपिनेफ्रीन का दिया जाना उपयोगी हो सकता है परन्तु यहाँ पर भी एक समस्या होती है क्योंकि 22 सप्ताह से कम आयु वाले शिशुओं तथा ऐसे नवजात शिशुओं जिनका वजन 400 ग्राम से कम है, के लिए पुनर्जीवन प्रक्रिया की सिफारिश नहीं की जाती है। यदि पूर्ण पुनर्जीवन प्रक्रिया के बाद भी बच्चे का दिल धड़कना प्रारम्भ नहीं करता तो पुनर्जीवन प्रक्रिया को भी बंद किया जा सकता है। इस प्रकार आपातकालीन प्रसव की दशा में नवजात शिशु तथा प्रसूता स्त्री दोनों के लिए अनेक खतरे रहते हैं। अतः प्रसव के काफी पहले से ही ऐसी योजना बनाई जानी चाहिए कि प्रसूता स्त्री | किसी ऐसी जगह पर रहे जहाँ आवश्यकता होने पर कुछ ही समय में चिकित्सीय सुविधा उपलब्ध हो सके।

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