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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :160
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2730
आईएसबीएन :0

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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर


महत्वपूर्ण तथ्य

आपदा प्रबंधन में रोकथाम, शमन, प्रतिक्रिया, पुनर्वास, पुनर्निर्माण तथा क्षमता निर्माण आदि के लिए नियोजन, आयोजन समन्वय तथा कार्यान्वयन की सतत और एकीकृत प्रक्रिया का समूह शामिल है जो आपदाओं से पहले उसके दौरान तथा बाद में किये जाते हैं।

आपदा प्रबंधन का तात्पर्य है कोई आकस्मिक आपत्ति आने पर उसका सामना करने के लिए पहले से तैयार किया हुआ विशेष प्रशिक्षण प्राप्त दल, जो हर वक्त किसी भी आपदा से निपटने के लिए तत्पर रहता हो।

भारत में आपदाओं से निपटने के लिए NDMF. National Disaster Management Force' का गठन किया गया है।

आपदा एक दुखद घटना है जैसे सड़क दुर्घटना, आंग, भूकम्प, आतंकवादी हमला या विस्फोट जिसमें कम से कम एक पीड़ित व्यक्ति हो।

आपदा प्रबंधन के निम्न प्रकार होते हैं भूस्खलन, बाढ़, मिट्टी का कटाव, भूकम्प, आग इत्यादि। आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 की धारा 2 (घ) के अनुसार "आपदा का अर्थ किसी भी क्षेत्र में प्राकृतिक या मानव निर्मित कारणों से होने वाली दुर्घटना, घटना, आपदा या गंभीर घटना, या दुर्घटना या लापरवाही से है जिसके परिणामस्वरूप जीवन का पर्याप्त नुकसान होता है या मानव पीड़ा या क्षति और संपत्ति का विनाश या क्षति या पर्यावरण का विनाश होता है।

आपदा समाज की सामान्य कार्य प्रणाली को बाधित करती है और इसके कारण बहुत बड़ी संख्या में लोग प्रभावित होते हैं। इसके कारण जीवन तथा संपत्ति की बड़े पैमाने पर हानि होती है।

आपदायें दो प्रकार की होती हैं-

(1) प्राकृतिक आपदा
(2) मानव जनित आपदा

हिमस्खलन, भूकम्प, ज्वालामुखी विस्फोट, बाढ़, सूखा, सूनामी, लिम्निक, ईस्परान आदि प्राकृतिक आपदा के उदाहरण हैं। वनों में आग लगना, शीत लहर समुद्री तूफान, ताप लहर, सुनामी, आकाशीय बिजली का गिरना, बादलों का फटना भी प्राकृतिक आपदाओं की श्रेणी में आते हैं।

आपदाओं को सदैव मानव के साथ जोड़कर देखा जाता है।

औद्योगिक दुर्घटनायें, अग्निकाण्ड, आतंकवादी घटनायें, बम विस्फोट, रेडियोधर्मी विकिरण, युद्ध, महामारी आदि को मानव निर्मित आपदाओं की श्रेणी में रखा गया है।

वायु दुर्घटना, रासायनिक आपदायें, भूस्खलन, मिट्टी का कटाव, रेल दुर्घटनाओं को भी मानव जनित आपदाओं की श्रेणी में रखा गया है।

आपदा प्रबंधन का उद्देश्य विकास के लाभों को संरक्षित करना तथा जीवन और आजीविका एवं संपत्ति के नुकसान को कम करना है।

आपदा प्रबंधन के 6 आवश्यक तत्व हैं- रोकथाम, कमी, पूर्व आपदा चरण में तैयारी, आपदा चरण में प्रतिक्रिया, पुनर्वास तथा पुनर्निर्माण।

स्कूलों तथा अन्य संस्थाओं में भी आपदाओं का खतरा बराबर बना रहता है। प्रैक्टिकल के दौरान एसिड गिर जाना, विद्यालय की इमारत का ढ़ह जाना, खेलकूद में चोट आ जाना, स्कूल बस का दुर्घटनाग्रस्त हो जाना आदि स्कूल में आने वाली आपदाओं के उदाहरण हैं।

सड़कों पर भी वाहनों की भीषण दुर्घटनायें होती रहती हैं जिससे जन-धन की अपार क्षति होती है।

ग्रामीण तथा दूर-दराज के इलाके भी आपदा से मुक्त नहीं हैं। बादलों का फटना, बिजली का करन्ट लगना, भूस्खलन होना, बाढ़ आ जाना या सूखा पड़ना आदि आपदायें ग्रामीण क्षेत्रों में प्रायः होती रहती हैं।

भूकम्प से बचने के लिए भूकम्प प्रभावित क्षेत्रों में मकानों की आकृति ऐसे बनाई जाती है कि वह इन आपदाओं को झेल सकें।

भूकम्प के समय घरों से निकल कर खुली जगह पर चले जाना चाहिए। कार से नीचे उतर जाना चाहिए। पेड़ों तथा बिजली के खम्भों से दूरी बनाये रखना चाहिए तथा लिफ्ट का प्रयोग नहीं करना चाहिए।

सुनामी समुद्र के नीचे तेज कम्पन के होने से उत्पन्न होती है। ऐसा सामान्यतः तब होता है जब भूकम्प की तीव्रता रिक्टर स्केल पर 6 से ऊपर की होती है।

भूस्खलन तथा ज्वालामुखी विस्फोट के कारण भी सुनामी आ सकती है।

सूखे के दुष्प्रभावों को कम करने के लिए वर्षा का रिकार्ड रखना जरूरी है। विशेष कर वहाँ जहाँ पर अकाल जैसी दिक्कतें होती हैं।

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