बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 13
विशिष्ट आपातकालीन परिस्थितियाँ एवं आपदा प्रबंधन
(Specific Emergency Situations And Disaster Management)
मानव का आपदाओं से सम्बन्ध उसकी उत्पत्ति के साथ से ही रहा है। आपदाओं से ही लड़ते हुए उसने अपनी जीवन यात्रा प्रारम्भ की और विकास के अनेकानेक सोपान चढ़े। आपदायें प्रत्येक काल तथा समय में मानव जीवन के लिए संकट का कारण रही है। परन्तु विगत दो तीन दशको में इनकी मात्रा तथा विनाशक क्षमता में अप्रत्याशित वृद्धि हुई है जिससे पूर्व की तुलना में जनधन की हानि कई गुना बढ़ गयी है। अतः आज के समय में इसके प्रभाव को न्यूनतम करने के लिए आपदा प्रबंधन का महत्व अत्यधिक बढ़ गया है। आपदायें कहीं पर भी और किसी भी रूप में आ सकती हैं। घर पास-पड़ोस, शैक्षणिक संस्थायें, सड़क, शहर, देहात, कोई भी इनके प्रभाव से बचा नहीं है। अतः आपदा प्रबंधन ही एक मात्र उपाय है, जो इसके दुष्प्रायों को न्यूनतम करने में हमारी सहायता कर सकता है।
आपदा प्रबंधन एक अन्तः विषयक क्षेत्र का सामान्य नाम है, जो किसी संगठन की महत्वपूर्ण आस्तियों की आपदा उत्पन्न करने वाले खतरनाक जोखिमों से रक्षा करने और सुनियोजित जीवनकाल में उनकी निरन्तरता सुनिश्चित करने के लिए प्रयुक्त सामाजिक संगठनात्मक प्रबंधन, प्रक्रियाओं से संबंधित है। आस्तियां सजीव-निर्जीव, सांस्कृतिक या आर्थिक रूप में वगीकृत हैं जबकि आपदाओं का वर्गीकरण दो प्रकारों में किया गया है -
(1) प्राकृतिक आपदायें तथा
(2) मानव जनित या निर्मित आपदायें
भूकम्प, बाढ़, चक्रवात, हिमस्खलन, सूखा आदि प्राकृतिक आपदायें हैं जिनकी उत्पत्ति प्राकृतिक कारकों के कारण होती है। औद्योगिक दुर्घटना, अग्निकाण्ड, रेडियोधर्मी विकिरण, युद्ध आदि मानव जनित आपदाओं के उदाहरण हैं। वायु दुर्घटना, महामारी, बम विस्फोट, आतंकवादी घटनायें, मिट्टी का कटाव आदि भी मानव जनित आपदाओं में शामिल किये जा सकते हैं।
आपदा प्रबंधन का उद्देश्य आपदाओं के समय समाज में होने वाली हानि को दूर करना तथा लोगों को इससे मुक्त करना, जीवनदायक वस्तुओं को आपदाग्रस्त लोगों तक उचित रूप से पहुँचाकर आपदा की तीव्रता को कम करके लोगों के तकलीफ को कम करना, आपदाग्रस्त मानवीय जीवन को पूर्व स्थिति में लाना, आपदा से प्रभावित लोगो के पुनर्वसन की उचित व्यवस्था करना तथा आपदाओं के विरुद्ध संरक्षणात्मक उपायों का नियोजन करके भविष्य में ऐसी आपदाओं के दुष्परिणामों को रोकना या उसे न्यूनतम स्तर पर लाना है। इस प्रकार आपदा प्रबंधन के प्रयासों का मुख्य ध्येय विकास के लाभों को संरक्षित करना तथा जीवन, आजीविका और संपत्ति के नुकसान को न्यूनतम करना है। जिसके लिए आपदा प्रबंधन 6 तत्वों अर्थात् रोकथाम, कमी, पूर्व आपदा चरण में तैयारी और आपदा चरण में प्रतिक्रिया, पुनर्वास तथा पुनर्निर्माण पर जोर देता है।
आपदा प्रबंधन के तीन भाग हैं-
(1) पूर्व तैयारी,
(2) आपदा घटित होने के दौरान कार्यवाही
(3) आपदा घटित होने के बाद की तैयारी एवं कार्यवाही
इन तीन दशाओं में आपदा प्रबंधन का मूल आधार सहयोग, सहभागिता तथा सम्पर्क होता है। यदि इसमें से एक भी तत्व की कमी रह जाये तो आपदा प्रबंधन अपने ध्येय में सफल नहीं हो सकता है।
आपदा प्रबंधन में राज्य सरकारों को अपना प्राथमिक उत्तरदायित्व बनाये रखना चाहिए तथा भारत जैसे देश में संघीय सरकार को केवल समर्थन एवं समन्वयकारी भूमिका निभानी चाहिए। राष्ट्रीय स्तर पर आपदाओं से निपटने के लिए आपदाओं का वर्गीकरण स्थानीय, जिला, राज्य एवं राष्ट्रीय स्तर पर किया जाना उपयोगी होता है।
इन परिस्थितियों में जैसे ही किसी क्षेत्र में कोई आपदा आती है उसके तुरन्त बाद खोजने, बचाने तथा निकालने की प्रक्रिया प्रारम्भ कर देनी चाहिए। यह कार्य जोखिम को न्यूनतम रखने की दृष्टि से बहुत महत्वपूर्ण है और इस कार्य में स्थानीय स्वयंसेवी संस्थायें तथा राज्य ऐजेंसियाँ भी पर्याप्त मदद कर सकती हैं।
|