बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
मानसिक स्वास्थ्य में हमारा भावनात्मक मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कल्याण शामिल होता है जो हमारे सोचने, समझने, महसूस करने तथा कार्य करने की क्षमता को प्रभावित करता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने स्वास्थ्य की परिभाषा में शारीरिक स्वास्थ्य के साथ-साथ मानसिक स्वास्थ्य को भी शामिल किया है।
चिकित्साशास्त्रियों के अनुसार सामान्य शारीरिक व्याधियां, जैसे रक्तचाप, मधुमेह, हृदय रोग आदि मानसिक कारकों के परिणामस्वरूप उत्पन्न होती हैं। मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति चिन्ता रहित, पूर्णतः समायोजित, आत्मनियंत्रित, आत्मविश्वासी तथा संवेगात्मक रुप से स्थिर होता है।
मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित करने वाले अनेक कारक हैं यथा- आनुवांशिकता, गर्भावस्था संबंधी पहलू, मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन, मनोवैज्ञानिक कारण, पारिवारिक विवाद, आर्थिक कारक, मानसिक आघात तथा सामाजिक कारण।
उपरोक्त सभी कारकों का संबंध या तो वंशानुक्रम से होता है या वातावरण से होता है।
बच्चे की बुद्धि तथा विकास पर निम्न कारकों का प्रभाव पड़ता है- आनुवांशिकता, पर्यावरण, लिंग, अभ्यास तथा स्वास्थ्य की दशायें, हार्मोन, पारिवारिक पृष्ठभूमि तथा भौगोलिक प्रभाव।
जिन बालकों के माता-पिता की सामाजिक स्थिति उच्च होती है उन बालकों का मानसिक विकास अधिक होता है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार वर्ष 2020 तक अवसाद (Depression) दुनिया भर में दूसरी सबसे बड़ी समस्या होगी। अवसाद ही हृदय संबंधी रोगों का मुख्य कारण है।
मानसिक बीमारी कई सामाजिक समस्याओं यथा बेरोजगारी, गरीबी, नशाखोरी, आदि को जन्म देती है।
वर्ष 2017 में भारत में मानसिक स्वास्थ्य देखभाल अधिनियम, 2017 लागू किया गया है जिसका मुख्य ध्येय मानसिक रोगों से ग्रसित लोगों को मानसिक स्वास्थ्य, सुरक्षा एवं सेवायें प्रदान करना है।
यह अधिनियम आत्महत्या का प्रयास करने वाले व्यक्ति को मानसिक बीमारी से पीड़ित मानता है। और भारत दण्ड संहिता की धारा 309 में संशोधन करके उन्हें दण्ड का भागी नहीं मानता।
निम्न लक्षणों वाले व्यक्तियों को पूर्णतः स्वस्थ तथा मनोरोगों से मुक्त माना गया है- चिंता तथा संघर्ष रहित व्यक्ति, पूर्णतः समायोजित व्यक्ति, आत्मविश्वास से परिपूर्ण व्यक्ति, श्रेष्ठ एवं संतुलित आत्म मूल्यांकन करने वाला व्यक्ति, निर्णय लेने में सक्षम व्यक्ति, सहनशील व्यक्ति, आत्मनियंत्रित एवं संवेगात्मक रूप से परिपक्व व्यक्ति, सामाजिक समायोजन में सक्षम व्यक्ति, स्वास्थ्य के लिए सतर्क एवं लैंगिक परिपक्वता वाला व्यक्ति।
मानसिक स्वास्थ्य का निर्माण करने में घरेलू वातावरण, विद्यालय का प्रभाव तथा सामाजिक प्रभाव महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
मनोविकारं कई प्रकार के होते हैं- बाल्यावस्था विकार, व्यग्रता विकार, मनोदशा विकार, मनोदैहिक और दैहिक रुप विकार, विघटनशील विकार, मनोविदलन तथा मनस्तापी विकार, व्यक्तित्व विकार तथा जैविक विकार।
'तनाव' शब्द की खोज हैंस शैले ने की थी।
शैले ने दो प्रकार के तनावों की संकल्पना की है-
(1) यूस्ट्रेस अर्थात् मध्यम और इच्छित
(2) द्विध्रुवी विकार
मनोरोगों के मुख्य कारण हैं-जैविक कारण, शारीरिक गठन, व्यक्तित्व तथा शरीर वृत्तिक कारण।
मानसिक रोग कई प्रकार के होते हैं- बाइपोलर डिसआर्डर, अल्झाइमर रोग, डिमेंशिया पार्किसन रोग, आटिज्म, डिस्लेक्सिया, ए.डी.एच.डी., डिप्रेशन, तनाव, चिंता तथा लत संबंधी विकार तथा शराब की लत और नशे की लत।
उदास महसूस करना, व्याकुल होना या ध्यान केंद्रित न कर पाना, अत्यधिक भय एवं चिंता, अपराधी महसूस करना, सामाजिक गतिविधियों से अलग हो जाना, भ्रम, पागलपन या मतिभ्रम, का शिकार हो जाना, दैनिक समस्याओं से निपटने में असमर्थता शराब या नशीली दवाओं का सेवन आदि मानसिंक रोगों के मुख्य लक्षण हैं।
मानसिक रोगों के निदान के लिए शारीरिक परीक्षण, लैब टेस्ट, मनोवैज्ञानिक मूल्यांकन, आदि परीक्षण करवाये जाते हैं।
इसके लिए अस्पताल में भर्ती होने से लेकर मनोचिकित्सा, दवाओं तथा वैकल्पिक उपचार की आवश्यकता होती है।
वैकल्पिक उपचार में योग, ध्यान, पौष्टिक आहार तथा व्यायाम पर विशेष ध्यान दिया जाता है।
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