बी ए - एम ए >> बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्यसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए बीएससी बीकाम सेमेस्टर-2 प्राथमिक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य - सरल प्रश्नोत्तर
अध्याय - 16
मानसिक स्वास्थ्य और मनोवैज्ञानिक प्राथमिक चिकित्सा
(Mental Health and Psychological First Aid)
मानसिक स्वास्थ्य या तो संज्ञानात्मक अथवा भावनात्मक सलामती के एक स्तर का वर्णन करता है अथवा किसी मनोविकार की अनुपस्थिति को दर्शाता है। सकारात्मक मनोविज्ञान या साकल्य के दृष्टिकोण से मानसिक स्वास्थ्य एक व्यक्ति के जीवन का आनन्द लेने की क्षमता तथा जीवन की गतिविधियों तथा मनोवैज्ञानिक लचीलापन हासिल करने के प्रयास के बीच सामंजस्य को शामिल करता है। वस्तुतः मानसिक स्वास्थ्य हमारी भावनाओं की अभिव्यक्ति के साथ-साथ माँग की एक विस्तृत श्रृंखला के लिए हमारे सफल अनुकूलन का प्रतीक है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार मानसिक स्वास्थ्य सलामती की एक स्थिति है। जिसमें किसी व्यक्ति को अपनी क्षमताओं का अहसास रहता है, वह जीवन के सामान्य तनावों का सामना कर सकता है लाभकारी और उपयोगी रूप से कार्य कर सकता है और समाज के प्रति अपना योगदान देने में सक्षम होता है। परन्तु मानसिक स्वास्थ्य की कोई एक मान्य परिभाषा नहीं है। परन्तु यह बात निश्चित है कि जब मानसिक स्वास्थ्य गड़बड़ाता है तो मानसिक विकार उत्पन्न होते हैं जो व्यक्ति को धीरे-धीरे मानसिक रोगों की तरफ ले जाते हैं।
मानसिक स्वास्थ्य विकार के विभिन्न प्रकार हैं जिनमें से कुछ मुख्य हैं- अवसाद, दुष्चिंता विकार, विखंडित मानसिकता तथा द्विध्रुवी विकार।
19वीं शताब्दी के मध्य में विलियम स्वीट्जर ऐसे प्रथम व्यक्ति थे जिन्होंने मानसिक स्वास्थ्य को प्रथम बार स्पष्ट रुप से परिभाषित किया जिसके परिणामस्वरूप उन्हें सकारात्मक मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देने वाले अग्रदूत के रुप में देखा जा सकता है। इसी क्रम में इसाकरे तथा डोरोथिया डिक्स का नाम भी महत्वपूर्ण है। 20वीं शताब्दी के प्रारम्भ में क्लिफर्ड बीयर्स ने राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य समिति की स्थापना की तथा संयुक्त राज्य अमेरिका में प्रथम आउट पेशेंट मानसिक स्वास्थ्य क्लीनिक की स्थापना की।
मानसिक स्वास्थ्य कई जीवन शैली कारकों से जुड़ा हुआ है जैसे आहार, व्यायाम, तनाव, नशीली दवाओं का प्रयोग, सामाजिक संबंध तथा बातचीत आदि।
मानसिक रोगों के अनेक कारक हैं यथा-न्यूरोटोस मिस, आनुवांशिकता, संक्रमण इत्यादि।
जब एक व्यक्ति ठीक से सोच नहीं पाता, उसका अपनी भावनाओं तथा व्यवहार पर काबू नहीं रहता तो ऐसी दशा को मानसिक रोग कहा जाता है। एक मानसिक रोगी आसानी से दूसरों को समझ नहीं पाता और उसे दैनिक कार्यों को ठीक ढंग से करने में कठिनाई महसूस होती है।
मोटे तौर पर मानसिक स्वास्थ्य को निम्न कारक प्रभावित करते हैं- आनुवांशिकता, गर्भावस्था से प्राप्त कोई विकार, मस्तिष्क में रासायनिक असंतुलन, मनोवैज्ञानिक कारण, आर्थिक कारण, पारिवारिक विवाद, मानसिक आघात तथा सामाजिक कारण
इन कारकों का संबंध या तो वंशानुक्रम से होता है या वातावरण से होता है और ये दोनों ही मानसिक विकास में अपना योगदान देते हैं। इन कारकों के अलावा स्कूल, पौष्टिक भोजन, पारिवारिक सदस्यों का व्यवहार भी इसके लिए उत्तरदायी है क्योंकि इनके नकारात्मक प्रभाव के कारण बालक की समस्त मानसिक शक्तियां प्रभावित होती हैं। एक सर्वे में यह भी सामने आया है कि जिन बालकों के माता-पिता की सामाजिक स्थिति उच्च होती है उन बालकों का मानसिक विकास अधिक और संयोजित रुप में होता है।
मानसिक स्वास्थ्य से जूझ रहे व्यक्ति में निम्न लक्षण दिखायी दे सकते हैं- चिड़चिड़ापन, तनावग्रस्त रहना एवं अशांत महसूस करना, बहुत सारा समय अकेले में बिताना, सामाजिक स्थितियों का सामना न कर पाना, थकावट और खिन्नता, अपर्याप्त निद्रा, आशाहीनता एवं असहाय महसूस करना खुदको नुकसान पहुंचाने के विचारका मन में आना, करना, खुद को नुकसान पहुँचाने का विचार मन में आना, पसीना, शरीर का कांपना, चक्कर आना, दिल की धड़कन बढ़ जाना आदि।
फोबिया, मनोदशा विकार, ज्ञानात्मक विकार, व्यक्तित्व संबंधी विकार, द्रव्य संबंधी विकार, अवसाद, चिंता चित्त विभ्रम आदि मुख्य मनोविकार हैं जिनकी चिकित्सा सभी संबंधित पक्षों को शामिल करके ही की जा सकती है।
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