बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- अधिशिक्षक की विभिन्न भूमिकाओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
(Different Roles of a Coach)
अधिशिक्षक को अधिशिक्षा के समय, खेल से पहले, खेल के दौरान तथा खेल के बाद अपनी विभिन्न भूमिकाएँ निम्नलिखित रूपों में निभानी पड़ती हैं-
(1) मित्र के रूप में - अधिशिक्षक वही सफल होता है जो खिलाड़ियों के साथ मित्र (Friend ) के रूप में रहता है। महिला खिलाड़ियों के लिए यदि महिला अधिशिक्षक हो तो बहुत ही अच्छा है। प्रशिक्षण के समय खिलाड़ियों के साथ अधिशिक्षक को मैत्री भावना से रहना चाहिए तथा प्रशिक्षण देना चाहिए | मैत्री भावना से यदि खिलाड़ियों को तकनीक सिखाई जाएँ तो उनके खिलाड़ी आसानी तथा शीघ्रता से सीख जाते हैं। खिलाड़ी आमतौर पर अधिशिक्षक के दबाव में रहते हैं तथा यदि किसी तकनीक अथवा युक्ति का पता न लगे तो वह अधिशिक्षक से उसके बारे में पूछने का साहस नहीं करते हैं। अधिशिक्षक की मैत्री - भावना से खिलाड़ी अपनी कठिनाइयों को आसानी से दूर कर लेते हैं।
(2) नेता के रूप में - अधिशिक्षक को खिलाड़ियों के साथ एक नेता के रूप में अपनी भूमिका निभानी पड़ती है। दल एवं खिलाड़ी का नेतृत्व करके सही दिशा की ओर ले जाना अधिशिक्षक का परम कर्त्तव्य है। वह खिलाड़ियों का नेतृत्व करके उन्हें स्पर्धा के लिए तैयार करता है। अधिशिक्षक दल के सभी खिलाड़ियों की भावनाओं को देखकर उनको एकजुट खेल में भाग लेने के लिए प्रेरित करता है। अधिशिक्षक नेता के रूप में खिलाड़ियों को उचित प्रदर्शन करने के लिए अनेक युक्तियाँ बताता है। अधिशिक्षक द्वारा दल एवं खिलाड़ी का सही नेतृत्व करके अच्छा प्रदर्शन करना परम उद्देश्य होता है।
(3) मनोवैज्ञानिक के रूप में - खिलाड़ियों की मानसिकता को जानने के लिए अधिशिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान होना आवश्यक है। खिलाड़ियों को किस समय, किस तरह की एवं कौन-सी क्रियाएँ कब करवानी हैं इन सभी को निश्चित करने के लिए अधिशिक्षक को मनोविज्ञान का ज्ञान आवश्यक है। स्पर्धा से पूर्व, स्पर्धा के समय एवं स्पर्धा के बाद खिलाड़ियों की मानसिकता कैसी है तथा कैसी होनी चाहिए, इसका ज्ञान अधिशिक्षक को होना आवश्यक है। खिलाड़ियों को कब और कैसे प्रेरित करना है, यह सब अधिशिक्षक पर निर्भर करता है।
(4) उपदेशक के रूप में - अधिशिक्षक समयानुसार एक उपदेशक के रूप में भी कार्य करता है। खिलाड़ियों को उपदेश देकर खेल के प्रति श्रद्धा पैदा कराना तथा सही प्रशिक्षण पाना खिलाड़ियों को सिखाया जाता है। उपदेश देकर खिलाड़ियों को गलत रास्ते पर चलने से रोकना तथा खेल के प्रति प्रेरित करना, उपदेश के द्वारा खिलाड़ियों को उनके भविष्य के बारे में बताना। यदि अच्छा प्रदर्शन दोगे तो अच्छा नाम कमाओगे तथा भविष्य सफल बनेगा। अधिशिक्षक के उपदेश का प्रभाव सभी खिलाड़ियों को अच्छे कार्य करने के लिए बाध्य करता है।
(5) आधुनिक दृढ़ानुशासनी के रूप में - अधिशिक्षक के कार्य को सफल बनाने एवं विकसित करने के लिए अधिशिक्षक का दृढानुशासनी होना आवश्यक है। खिलाड़ियों पर नियंत्रण रखने के लिए अधिशिक्षक को अनुशासन मजबूत रखना चाहिए। यदि अधिशिक्षक खिलाड़ियों पर नियंत्रण नहीं रखेगा तो खिलाड़ी अनुशासन में नहीं रहेंगे। खिलाड़ी अपने प्रशिक्षण के कार्य में तभी सफलता पा सकते हैं यदि अधिशिक्षक आधुनिक दृढानुशासनी होगा। अधिशिक्षक यदि अनुशासन वाला होगा तो स्वाभाविक ही है कि उसके द्वारा दी गई अधिशिक्षा खिलाड़ियों के कौशल्यों को विकसित करने वाली होगी। अनुशासन अच्छा होने के कारण प्रशिक्षण का कार्य भी अच्छा होगा।
(6) मार्गदर्शक के रूप में - अधिशिक्षक की मुख्य भूमिका एक मार्गदर्शक के रूप में होती है। अधिशिक्षक यदि एक अच्छा मार्गदर्शक है तो उसके खिलाड़ी अथवा दल * दिन-प्रतिदिन प्रगति करेंगे। अधिशिक्षक यदि सही मार्गदर्शन नहीं करता है तो उसके खिलाड़ी अथवा दल के सदस्य अपने कार्यक्रम में रुचि नहीं लेंगे तथा अपने कार्य में सफलता प्राप्त नहीं कर सकते। अधिशिक्षक स्पर्धा में जीतने के बाद भविष्य में खिलाड़ियों को होने वाले लाभ एवं हानियों के बारे में अवगत करवाता है तथा भविष्य में सीखे हुए खेल के कौशल्यों को कैसे उपयोग में लाया जा सकता है, अधिशिक्षक का परम कर्त्तव्य है कि वह खिलाड़ियों का मार्गदर्शन सही ढंग से करे ताकि खिलाड़ियों का भविष्य उज्ज्वल बन सके। खिलाड़ियों को समय-समय पर अधिशिक्षक का मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए। जब भी किसी खिलाड़ी को किसी कठिनाई का सामना करना पड़ता है तथा उसे कोई रास्ता न दिखाई दे तो अधिशिक्षक का मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिये। अधिशिक्षक को हमेशा ही खिलाड़ियों के मार्गदर्शन के लिए तैयार रहना चाहिये।
(7) अभिभावक के रूप में - अधिशिक्षा देते समय प्रशिक्षण की क्रियाएँ करते समय अथवा अभ्यास करते समय अधिशिक्षक या प्रशिक्षक ही वहाँ पर उपस्थित रहते हैं। अधिशिक्षक खिलाड़ियों से अभिभावकों जैसा ही व्यवहार करता है। अधिशिक्षा के कार्य को सफल बनाने के लिए अधिशिक्षक खिलाड़ियों के माता-पिता के रूप में भी कार्य करता है। अधिशिक्षक को आमतौर पर खिलाड़ियों के साथ दूसरी जगह स्पर्धाओं में भाग लेने के लिए जाना पड़ता है। यदि अधिशिक्षक खिलाड़ियों के साथ अभिभावकों जैसा व्यवहार नहीं करेगा तो वह अपने दल अथवा खिलाड़ियों का नेतृत्व सही ढंग से नहीं कर सकता है।
(8) अनुचर के रूप में - अधिशिक्षक खिलाड़ियों का अनुचर के रूप में भी कार्य करता है। खिलाड़ियों की सेवा करना भी एक मुख्य कार्य है। अधिशिक्षक समयानुसार खिलाड़ियों की सेवा भी करता है। अधिशिक्षक के इस कार्य से खिलाड़ियों में खेल के प्रतिभावना पैदा होती है। खिलाड़ियों को खेल के प्रति प्रेरणा मिलती है। खिलाड़ियों को कठिनाइयों या मुसीबतों से दूर रखने के लिए अधिशिक्षक एक सेवक के रूप में कार्य करता है।
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