बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धनसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-2 शारीरिक शिक्षा - खेल संगठन एवं प्रबन्धन - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- विद्यालय बजट की आन्तरिक समस्याओं का वर्णन कीजिये।
उत्तर -
विद्यालय बजट की आन्तरिक समस्याएँ निम्नलिखित हैं-
(1) साधारण सेवाओं की व्यवस्था - शिक्षा अपनी जिम्मेदारियों को तभी पूरा कर सकती है जब वह न्यूनतम आधारभूत आवश्यकताओं को प्रदान करे, जैसे कि भवन, उपकरण तथा अन्य भौतिक सुख-सुविधाओं की आवश्यकताएँ जो कि प्राथमिक खर्च हैं। इसके अतिरिक्त भौतिक सुविधाओं को पूरा करने के लिए शैक्षणिक तथा अन्य स्टॉफ की आपूर्ति करने के लिए वित्त की आवश्यकता होती है और शैक्षिक वित्त की संरचना में मानवीय सेवाऐं एक महत्त्वपूर्ण सार्थक तत्त्व हैं।
(2) शैक्षिक सुविधाओं का प्रसार - स्वतन्त्रता प्राप्ति तथा प्रजातंत्र के साथ शिक्षा का प्रसार बहुत तेजी से हो रहा है समाज के सभी स्तरों से विद्यार्थियों की वृहद् संख्या विद्यालयों एवं महाविद्यालयों में प्रवेश कर रही है जो कि शैक्षिक सुविधाओं (भौतिक एवं मानवीय) के अधिक से अधिक प्रसार की माँग को उठा रहे हैं।
(3) शैक्षिक अवसरों में असमानताओं को दूर करना - प्रजातन्त्र व्यवस्था अवसरों की समानता की माँग करता है जोकि केवल निःशुल्क शिक्षण तथा निःशुल्क पाठ्यपुस्तक एवं निःशुल्क सेवाओं को प्रदान करके नहीं किया जा सकता है। औद्योगिक अर्थव्यवस्था के साथ ही आय एवं सम्पन्नता में असमानता बढ़ती गई है। केवल राज्यों में शैक्षिक अवसरों, शैक्षिक नेतृत्व के सन्दर्भ में ही अलग नहीं है। बल्कि एक ही राज्य में विभिन्न क्षेत्रों में असमानता दिखाई देती है। जैसे कि जो विद्यालय के प्रति विद्यार्थी अधिक धन खर्च करते हैं वहाँ उत्तम शैक्षिक व्यवस्था मिलती है।
(4) शैक्षिक सुविधाओं पर व्यय - वैज्ञानिक एवं तकनीकी औद्योगिक विकास या शैक्षिक विकास ने शिक्षा के क्षेत्र में तेजी से परिवर्तन किया है। शिक्षा के क्षेत्र में पुन: विचार करने पर जोर दिया है। इसी के साथ कुछ विशिष्ट एवं आवश्यक सेवाओं को पूरा करने के लिए अधिक वित्त की माँग हुई है। आज नागरिक उत्तम शिक्षा तथा अतिरिक्त सेवाओं की माँग करते हैं जैसे - मनोवैज्ञानिक सेवाऐं, निर्देशन एवं परामर्श सेवाऐं, कार्यानुभव, व्यावसायिक एवं तकनीकी शिक्षा, प्रभावशाली एवं विकलांगों की शिक्षा, कक्षा आकार में कमी, शिक्षा का समाजीकरण तथा वैयक्तिकरण इत्यादि।
|