बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कला में सन्तुलन का महत्व समझाइये |
अथवा
सन्तुलन का चित्र संयोजन में क्या महत्व है? सविस्तार लिखिए। (कानपुर 2016)
उत्तर -
सन्तुलन का महत्व
सन्तुलन वह नियम है जिसके आधार पर चित्रभूमि के समस्त विरोधी प्रभावों को व्यवस्थित किया जाता है। जब हम किसी चित्र पर दृष्टिपात करते हैं तो हमारी दृष्टि पहले मुख्य वस्तु अथवा आकर्षण के केन्द्र पर पहुँचती है। वहाँ से वह अन्य वस्तुओं पर होती हुयी सम्पूर्ण चित्र - भूमि पर घूम जाती है मुख्य आकृति के अतिरिक्त अन्य आकृतियाँ भी हमारे मन में या तो अनुकूल प्रभाव उत्पन्न करती है या विरोध के द्वारा मुख्य आकृति के प्रभाव को बढ़ाती है। यदि चित्र के एक भाग में हम कुछ आकृतियाँ अंकित कर देते हैं और चित्र का शेष भाग रिक्त छोड़ देते हैं तो हमें रिक्तता अखरने लगती है। हम चाहते है कि उस भाग में भी कुछ अंकित हो और हमारी दृष्टि वहाँ पर भी रुक-रुक कर आकृतियों का रसास्वादन करती चले। चित्र के जिस भाग में आकृतियाँ अंकित होगी वह भारी और जिंस भाग में रिक्तता होगी वह हल्की प्रतीत होगी।
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