बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
0 5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- ललित एवं उपयोगी कलाओं में अन्तर स्पष्ट कीजिये।
उत्तर -
ललित एवं उपयोगी कलाओं में अन्तर
क्र.सं. | ललित कलायें | उपयोगी कलायें |
1. |
ललित कलाओं का सम्बन्ध मनुष्य के सांस्कृतिक विकास भावों की सौन्दर्यात्मक अभिव्यक्ति व लोकोत्तर जीवन से है। | उपयोगी कलाओं का सम्बन्ध सभ्यता के क्रमिक विकास व लौकिक जीवन से है। |
2. |
ललित कलायें हमारी मानसिक आवश्यकताओं की संपूर्ति करती है। | उपयोगी कलायें हमारी दैनिक जीवन की भौतिक आवश्यकताओं की पूर्ति करती है उपयोगी कलायें मनुष्य के भौतिक जीवन के अभावों की पूर्ति करती है। |
3. |
लालित कलायें मनुष्य के जीवन को आत्मिक आनन्द व सुख से भर देती है। | उपयोगी कलाओं का व्यवहार पूर्णतया व्यवसायिक है व केवल भौतिक जगत से ही सम्बन्धित है। |
4. |
ललित कलायें मनुष्य को ऐसी स्थिति से मिलाती है जिसे परम सत्य या परमानन्द की स्थिति कहा जा सकता है। | उपयोगी कलायें मनुष्य के भौतिक जीवन को सजाती सवारती है व जीवित रखती है |
5. |
ललित कलाये आनन्द की निधि व परलौकिक सौन्दर्य की संवाहक है, जो लोकोत्तर जीवन को सवारती है। | उपयोगी कलाओं का मूल उद्देश्य उत्पादक व उपभोक्ता के मध्य सेतु का कार्य करना है |
6. |
ललित कलायें कल्पना के सहयोग से रूप का सृजन ही इन कलाओं का सार है। | यह व्यवसाय, उत्पादक एवं बिक्री से सम्बन्धित है। |
|
अन्य पुस्तकें
लोगों की राय
No reviews for this book