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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- संयोजन किसे कहते हैं?

उत्तर -

संयोजन
(Composition)

मनुष्य अपनी विचारधारा में एक व्यवस्था चाहता है। इसी व्यवस्था को कलात्मक भाषा में संयोजन या प्रबन्धात्मकता कहते हैं। कला के तत्वों को अंतराल, सृष्टि की समस्या एवं क्षेत्रों को विभक्ति करने को व्यवस्था या संयोजन कहते हैं।

कलाकृति की सृष्टि की समस्या अंतराल तथा क्षेत्रों को विभाजित करने एवं रेखाओं, आकृतियों, वर्णों, तानों तथा वयन आदि के चयन को व्यवस्थित करने से सम्बन्धित है। अतएव कलातत्वों का पृथक-पृथक विचार करना एवं अब उनके संयोजन अथवा व्यवस्था पर विचार करना आवश्यक है। कला के तत्वों की व्यवस्था कृति के द्वारा व्यंजित किये जाने वाले विचार या भाव के स्वभाव के अनुरूप की जाती है। यही एक अच्छे संयोजन की मुख्य विशेषता है कि किसी विचार या भाव के साथ कलाकृति के अंगों में संगति हो। दर्शक कलाकृति के प्रत्येक अंग की ओर आकर्षित होते हुये भी कृति के संयोजन को एक सम्पूर्ण इकाई के रूप में अनुभव करता है।

सामान्यतया दर्शक की दृष्टि चित्र में बायीं ओर के निचले भाग में प्रवेश करती है और फिर सम्पूर्ण चित्र पर जाती है। एक कुशल चित्रकार उसकी दृष्टि को इच्छित मार्ग से आगे बढ़ाता हुआ मुख्य स्थान तक ले जाता है। वहाँ से दृष्टि बायीं से निचले स्थान तक आती है। संयोजन को प्रभावशाली बनाने में कलाकार को अपनी सामग्री के उपयोग की पूर्ण स्वतन्त्रता रहती है और इसी में उसकी कुशलता देखी जाती है।

कलातत्वों की व्यवस्था सुरुचिपूर्ण एवं सार्थक होनी आवश्यक है। इसके लिये - तत्वों की पूर्व योजना आवश्यक है। इस प्रकार कलाकार सुन्दर प्रभाव उत्पन्न करते है। उसमें विरोधी तत्वों का भी समावेश करते है। इस प्रकार संयोजन के सिद्धान्त किसी निर्दिष्ट प्रभाव को उत्पन्न करने की दृष्टि से कलातत्वों को परस्पर सूत्र - बद्ध करते हैं। वस्तुओं को परस्पर सूत्रबद्ध करने की तीन विधियाँ हो सकती हैं-

1. एक समान वस्तुओं को परस्पर सूत्रबद्ध करना, पुनरावृत्ति
2. किंचित विभिन्नता वाली वस्तुओं को सम्बन्धित करना अथवा सामंजस्य एवं संगति।
3. विरोधी अथवा संघर्षशील वस्तुओं को सम्बन्धित करना अर्थात् विरोध।

इससे संबन्धित चित्र संयोजन के सिद्धान्त निम्नवत् हैं-

(1) सामंजस्य
(2) अनुपात
(3) संतुलन
(4) प्रभाविता
(5) लय
(6) एकता 

एक अच्छे संयोजन में विविधता में एकता होती है। इन्हीं सिद्धान्त को कलाकार सुनियोजित करता है। वैज्ञानिक नियमों को स्थूल यांत्रिक साधनों और तर्काश्रित विधियों द्वारा समझा जा सकता है।

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