बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- प्रमाण' पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
उत्तर -
प्रमाण का अर्थ आकृतियों के अनुपात का ठीक ज्ञान करना है। प्रमाण के अन्तर्गत आकृतियों के माप, लम्बाई-चौड़ाई, सीमा, रचना, कद, कौड़ा आदि आकृति का विवरण आ जाता है। प्रमाण के द्वारा मूल वस्तु का ज्ञान चित्र में भरा जा सकता है। अनुपात के लिए उचित ज्ञान को 'प्रमा' के नाम से सम्बोधित किया गया है। किसी विशाल पर्वतमाला या सागर तट को किसी दीवार के धरातल पर अंकित करने से पहले पर्वत, आकाश, वक्ष या सागर, नौका तट आदि के लिए अनुपतानुसार छोटा करके यथा स्थान अनुपात में रखना होगा। यही हमारी प्रमा शक्ति का कार्य माना गया है। प्रमा इस अनन्त सृष्टि या सीमित जगत को मापने, देखने, समझने के लिए हमारे अन्तःकरण का मापदण्ड है। प्रमा से न केवल निकट या दूरी का ज्ञात होता है बल्कि किसी वस्तु का कितना भाग चित्र में प्रस्तुत करें जिससे चित्र आकर्षक लगे इसका भी प्रमा ही निर्धारण करती है। प्रमा के द्वारा ही हम पुरुष तथा स्त्री अनुपात की विभिन्नता, पशु-पक्षी आदि की भिन्नता तथा भेदों को ग्रहण करते हैं। पुरुष तथा स्त्री की लम्बाई-चौड़ाई में भेद, उनके अंगों की रचना किस क्रम में होनी चाहिए अथवा देवताओं, राजाओं और साधारण मनुष्य के चित्रों के कद का क्या अनुपात है ये तत्त्व प्रमा के द्वारा ही निश्चित किए जाते हैं।
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