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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वर्ण प्रयोग क्या है? वर्ण नियोजन पर प्रकाश डालिये।

उत्तर -

वर्ण प्रयोग
(Use of Colours )

वर्ण प्रयोग से तात्पर्य है कलाकृति में वर्णों को प्रयोग से है। कला स्थान में वर्ण प्रयोग तीन नियमों पर आधारित हैं -

वर्ण नियोजन अथवा वर्ण संयोजन (Colour Schemes ) - कला रचना की प्रक्रिया में असीमित वर्ण नियोजन के क्रम स्थापित किये जा सकते हैं। मुख्य रूप से वर्ण नियोजन की निम्न प्रक्रियायें हो सकती हैं -

1. वर्ण शून्यता (Achromatic) - काले व सफेद रंगों को रंग की श्रेणी में नहीं गिना जाता है। अतः इस श्रेणी में काले व सफेद रंग के नियोजन किये जाते हैं। .

2. एक वर्णीय (Monocromatic) - यह सबसे सरल वर्ण नियोजन है। इसमें एक ही वर्ण में श्वेत या श्याम वर्ण के मिश्रण से प्राप्त रंगतें होती हैं।

3. समीपस्थ वर्ण (Analogous or Related Colour Scheme) - वर्ण चक्र में जो रंगते पास-पास आती हैं वे समीपस्थ या एक ही जाति के वर्ण कहे जाते है। इनकी रंगतों से किया जाने वाला वर्ण नियोजन समीपस्थ वर्ण नियोजन की श्रेणी में आता है। जैसे पीला, पीला- हरा, हरा आदि। इन रंगों को विभिन्न मान व सघनता के क्रम में लगाया जा सकता है।

 

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4. पूरक रंग (Complementary Colours) - वर्ण चक्र में जो रंग एक-दूसरे के आमने-सामने आते है, वे पूरक रंग कहे जाते है। इसमें पूरक रंगों को विभिन्न मान व सघनता से प्रयुक्त किया जाता है। जैसे लाल + हरा, नीला + नारंगी, पीला बैंगनी। ये रंग संगति बच्चों को बहुत पसन्द आती है।

 

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5. दिपूरक वर्ण-नियोजन Complementary Colour Scheme) (Double - इस वर्ण नियोजन में दो समीपस्थ वर्णों के दोनों के पूरक वर्णों का प्रयोग किया जाता है। जैसे लाल नारंगी + लाल के साथ नीला हरा + लाल आदि।

 

 

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6. विभाजित पूरक वर्ण नियोजन (Split Complementary) - इस नियोजन में किसी भी एक वर्ण और उसके पूरक वर्ण के दोनों ओर के दो वर्ण लिये जाते हैं अर्थात इसमें द्वितीयक पूरक वर्ण दो खण्डों में विभक्त होकर प्रयुक्तं किया जाता है। जैसे लाल, पीला हरा (Yellow - Green), नीला-हरा ( Blue - Green) आदि।

 

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7. त्रिवर्ण नियोजन (Triad Colour Scheme) - इस वर्ण नियोजन में वे वर्ण आते हैं जो वर्ण चक्र में समान दूरी पर स्थित होते है, अर्थात त्रिकोणों को स्पर्श करने वाले रंग इस नियोजन में प्रयुक्त किये जायेंगे। जैसे तीनों मुख्य रंगतें तथा तीनों द्वितीय रंगतें।

 

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8. चतुष्क वर्ण नियोजन (Tetrad Colour Scheme) - वर्ण चक्र में समान दूरी पर स्थिति कोई भी चार वर्णों का प्रयोग चतुष्क वर्ण नियोजन के अर्न्तगत आता है। जैसे लाल + पीला नारंगी + हरा नीला बैंगनी आदि।

 

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9. बहुवर्णीय रंग योजना (Poly Chromatic) - इस वर्ण नियोजन में विभिन्न रंगतों का प्रयोग किया जाता है। परन्तु यह एक जटिल वर्ण नियोजन है और इसका सफल प्रयोग कलाकार की कुशलता पर निर्भर करता है।

10. प्रखर एवं मन्द वर्ण नियोजन (High or Low Key Colour Scheme) - इस वर्ण नियोजन में हल्की तान वाली रंगतों का चुनाव किया जाता है, अधिक मान वाली रंगतों का नहीं।

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