बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कला के तत्वों पर निबन्ध लिखिए।
अथवा
चित्रकला के कितने तत्व है? विस्तार से लिखिए।
अथवा
चित्रकला के मूल भूत तत्वों के लिखिए
उत्तर -
कला मानव के भावों का दृश्यमान रूप है। इसके प्रस्तुतीकरण के लिए मानव निश्चित मानदण्डों व तत्वों का सहारा लेता है। कलाएं अपने-अपने माध्यमों के अनुरूप तत्वों को व्यवस्थित रूप में हमारे सम्मुख प्रस्तुत करती है। मनुष्य मनोवैज्ञानिक और सामाजिक कारणों से अपने चारों ओर के वातावरण को व्यवस्थित करना चाहता है। यही प्रवृत्ति कला के तत्वों में भी कार्य करती है।
कलाकृति एक प्रकार की व्यवस्थित आलेख (डिजाइन) अथवा संयोजन है। किसी कृति में अंकित वस्तु वास्तव में वस्तु रंगों, रेखाओं आदि का सुनियोजित समूह मात्र है, अतः कलाकृति को देखने का अर्थ उसमें अंकित वस्तुओं को देखना नहीं है बल्कि उसमें प्रयोग किये गये रंगों रूपों, रेखाओं आदि को देखना है जिनसे उस कृति की रचना की गयी है। कलाकृति की रचना में माध्यम तथा तत्व दोनों का प्रयोग होता है। ये माध्यम ही सामग्री है। जैसे कैनवास। किन्तु जब हम लाल अथवा हरी रंगत का विचार करते है तो ये तत्व है। कागज अथवा प्रत्येक तत्व किसी न किसी माध्यम में ही व्यक्त होता है अतः कहा जा सकता है कि माध्यम का भौतिक पक्ष सामग्री है और दृश्य पक्ष तत्व है। दृश्य कलाओं के निम्नलिखित तत्व है जो प्रधानतः चित्रकला में व्यवहार्य है किन्तु मूर्ति एवं वास्तु में भी इनका प्रयोग होता है।
दृश्य अथवा रूपप्रद कलाओं में रेखा, रूप, वर्ण, तान, पोत अन्तराल आदि तत्वों के द्वारा अनेक रूप प्रस्तुत किये जाते है, इन तत्वों के ज्ञान में हमें बुद्धि की आवश्यकता नहीं रहती बल्कि ये ज्ञानेन्द्रियों के माध्यम से हमें प्रभावित करते हैं। इस प्रकार इनका प्रभाव अधिक गहरा और आधार भूत है। ये सीधा चाक्षुष प्रभाव डालने हैं और तुरन्त सशक्त प्रतिक्रिया उत्पन्न करते है।
कला के तत्वों - इस शीर्षक के लिये अध्याय 2, 3, 4, 5, 6 व 7 देखें।
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