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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- फ्रेस्को सेक्को चित्रण विधि से आप क्या समझते है?

उत्तर -

फ्रेस्को सेक्को चित्रण
(Fresco Secco Painting)

भित्ती के सूखे प्लास्टर पर चित्रण को सेक्को चित्रणं कहते है। इस प्रविधि में कई प्रकार के तकनीकी संयोग तथा परिवर्तन किये जा सकते हैं। कभी-कभी निचली पर्तों में चित्रण शुद्ध फ्रैस्को (बूनों) होता है तथा ऊपर सेक्को विधि द्वारा भी इसे पूरा कर लिया जाता है। सेक्को चित्रण शुद्ध फ्रैस्को (बूनों) से सरल है क्योंकि यह पुराने सूखे प्लास्टर पर भी किया जाता सकता है।

इस विधि में भवनों आन्तरिक भागों में सभी टैम्परा रंग प्रयोग में लाये जा सकते है। पुराने सूखे प्लास्टर को लोहे की ब्रश से रगड़कर खुरदरा कर लिया जाता है इस प्रकार पुरानी कार्बोनेट की पर्त पृथक हो जाती है। इस सतह को नम कर लिया जाता है तथा इस पर चुने का एक पतला वाश दिया जाता है। इस भित्ति पर गीली अवस्था में अथवा सूख जाने के बाद अपारदर्शक रूप से अथवा ग्लेज करने की तकनीक से काम किया जा सकता है।

सेक्को चित्रण में सफेद के लिए चूने को भिगोकर सुखाकर तथा कई बार पीस कर चूर्ण बना लेना चाहिये। इस प्रकार क्षारीय चूना उदासीन कैल्शियम कार्बोनेट बन जाता है। इसको आर्गेनिक रंगों के साथ मिलाया जा सकता है। इससे चूने की बंधक शक्ति समाप्त हो जाती है। अतः इसके साथ केसीन, अण्डा आदि मिलाना आवश्यक हो जाता है। गीली अवस्था तथा सूखी अवस्था में रंगों का अन्तर सेक्को विधि में बहुत अधिक नहीं होता है।

केसीन चित्रण विधि - सेक्को चित्रण के लिए केसीन का प्रयोग भवनों के भीतरी भागों की भित्ति तथा छत पर किया जा सकता है। भवनों के बाहर जो भित्ति धूप और वर्षा से सुरक्षित हो उस पर केसीन माध्यम से चित्र बनाये जा सकते है। चूना केसीन के साथ मिलकर सूखने के बाद पानी में अघुलनशील हो जाता है। फ्रैस्को की गीली भित्ति पर केसीन माध्यम का प्रभाव अत्यन्त कोमल तथा वायवीय होती है। केसी के साथ पानी का प्रयोग करना चाहिये अन्यथा वह चिपचिपा हो जाता है।

अंडे की जरदी चित्रण - अंडे की जरदी का प्रयोग सूखी भित्ति पर परम्परागत रूप से किया जाता है अंडे की जरदी तथा चूना कठोर ठोस हो जाता है। भित्ति पर गीले स्पंज से पतली की गई जरदी का लेप लगाया जाता है। इसमें कभी-कभी हल्का रंग भी मिला दिया जाता हैं रंगों को पानी में गाढ़ा घोटा जाता है तथा इसमें बराबर की मात्रा में अंडे की जरदी भी मिलाई जाती हैं गीले चूने के अस्तर पर भी इन रंगों से काम किया जा सकता है। सभी रंगों में थोड़ा चूना मिलाने से अत्यन्त आकर्षक प्रभाव आता है। इसका प्रभाव शुद्ध फ्रेस्कों के निकट होता है। शुद्ध अण्डे की जरदी के रंगों में चंमक अधिक होती है तथा भित्ति की सतह से इसका सामंजस्य कम होता है। चित्र की यह सतह पत्थर की तरह कठोर हो जाती है।

तरल मोम - मोम को तारपीन के तेल में पिघलाकर तथा इसमें रंग पदार्थ मिलाकर बहुतायत से इजिप्ट काम में लाया जाता रहा था। प्लास्टर की हुई सतह पर तेल चित्रण प्रभावी नहीं रहता। मोम में मिलाकर पतले रंगों का उपयोग उचित रहता है। चौदहवीं शताब्दी में जर्मनी में भित्ति पर तेल चित्रण अत्यधिक प्रचलित था। मिलन नगर में लियोनार्दो का चित्र लास्ट सुपर (Last Supper) तेल रंगों में बना था। किन्तु वह शीघ्र ही खराब होने लगा था।

ग्ल्यू रंगों से चित्रण - ग्ल्यू में रंगों को मिलाकर सजावटी कार्यों को लिए चित्रण अत्यन्त उपयोगी होता है। सरेस के ओलिन, चाक अथवा बेरियम सल्फेट मिलाकर घोल बना लिया जाता है। रंगों के लिए यह आधार भूत घोल होता है, जिसमें पानी में गाढे घोटे हुए रंग मिलाये जाते है।

रंगों को अधिक से अधिक तीन पर्तों में लगाना चाहिये। निचली परतों में सरेस अधिक होना चाहिये तथा ऊपर की परतों में कम होना चाहिये। सूखने पर ग्ल्यू रंग पानी में लगभग घुलनशील बने रहते है किन्तु इन पर फार्मेलीन का घोल स्प्रे कर देने से लगभग अघुलनशील बन जाते हैं। भवनों की आंतरिक सज्जा के लिए भित्ति पर साबुन हल्का घोल लगा देना उपयोगी रहता है। इस प्रकार हम भित्ति पर सफलतापूर्वक चित्रण कार्य कर सकते है।

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