बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- जयपुर फ्रेस्को से आप क्या समझते है?
उत्तर -
(Fresco)
भित्ती चित्रण के प्रधान केन्द्र जयपुर तथा राजस्थान में जिस प्रणाली का विकास हुआ उसे मोराक्सी, आलागीला और आरायश नाम से प्रसिद्धि मिलि। अधिक सुविधा तथा अनुकूल वातावरण प्राप्त होने के कारण जयपुर में यह विशेष रूप से प्रचलित हुई। यहाँ के कारीगर देश के अन्य भागों से भी इस कार्य के लिए बुलाये जाते हैं।
चित्रण - सामग्री एवं विधान के दृष्टिकोण से चित्रण तकनीक में भित्ती चित्रण सबसे पृथक विधा है, विस्तृत अन्तराल, दृढ़ चित्रभूमि की तैयारी, रंगों का चुनाव तथा रंगों की प्रकृति का अनुभव और परम्परागत सिद्ध अनुभव आदि के कारण जितना परिश्रम तथा दक्षता भित्ति चित्रण में अपेक्षित हैं अन्य तकनीकों में नही हैं। भित्ती चित्र के लिए शिल्पगत कौशल, शैली का साधारणीकरण, रीतिबद्ध नियम तथा रंगों के अधिक योजनागत प्रयोग की आवश्यकता होती है।
यदि चित्र तल तथा रंगों को नियमानुसार नहीं लगाया जायेगा तो उच्चकोटि की कलाकृति भी शीघ्र नष्ट हो जाती है। भवनों के भीतरी भागों में बने चित्र शताब्दियों तक सुरक्षित रहते है। अजन्ता के भित्ती चित्र इसके अद्वितीय उदाहरण है। भवनों के बाहर ऐसी भित्तियों का चुनाव करना चाहियें जिस पर वर्षा, धूप अथवा बर्फ सीधी न पड़ती हो। भित्ती चित्रण की दो प्रणलिया प्रचलित हैं-
1. फैस्को बूनो (Fresco Buono) - चूने के प्लास्टर से बनी चित्रभूमि पर गीली अवस्था में किये गये चित्रण को फैस्को बूनो नाम दिया गया।
2. फ्रेस्को सेक्को (Fresco Secco) - सूखे प्लास्टर पर किये गये चित्रण को फ्रैस्को सेक्को नाम दिया गया। सूखे प्लास्टर पर टैम्परा रंगों से किए गये चित्रण को टैम्परा चित्रण कहा गया।
चित्र भूमि पर रंग लगाना - भित्ती पर रंग लगाकर नैले से ठोकते है। इस प्रकार रंग प्लास्टर पर गहरे पैठ जाते हैं पूर्ण चित्र पर मुलायम कपड़े की गंदी फेरने से जहाए से उस पर रंग लगता है उस स्थान को नैले से पुनः ठोकते है। इसके बाद नारियल को पानी में घिस कर हथेली से चित्र पर लगाते है तथा अकीक पत्थर से घुटाई करते है, इस प्रकार सारा चित्र दयर्ण की भाँति चमकदार हो जाता है।
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