लोगों की राय

बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

Like this Hindi book 0

5 पाठक हैं

बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अक्रेलिक रंगों का माध्यम और तकनीक पर प्रकाश डालिये।

उत्तर -

एक्रेलिक
(Acrylic) 

स्वतन्त्रता प्राप्ति से पूर्व तक प्रायः कलाकार तैल, रंग, जल रंग, टेम्परा आदि से चित्रण करते थे परन्तु 20वीं शताब्दी में विभिन्न माध्यमों में चित्रण कार्य किया जाने लगा। एक्रेलिक जिसमें विविध विषयों को चित्रित किया गया आज कलाकार इससे प्रत्येक विषय चित्रित कर रहे है। क्योंकि समय और वातावरण के साथ यह मलिन नहीं होते है।.

एक्रेलिक रंग और एक्रेलिक माध्यम दोनों ही पानी में घुलनशील होते है। पानी में वाष्पीकरण के साथ यह रंग सूख कर स्थाई हो जाते है। उसके बाद इसमें कोई रासायनिक क्रिया नहीं होती है। अतः चित्रकार रंग की एक पर्त लगाकर उसे बिना कोई हानि पहुँचाए ग्लेज अथवा ऊपरी परतों में मनचाहा कार्य कर सकता है। यह रंग अत्यन्त चिपक वाले होते है तथा प्रत्येक पर्त एक-दूसरे से जुड़ती चली जाती है। ये रंग किसी भी पारदर्शिता तक पतले किये जा सकते है।

चित्रण भूमि - एक्रेलिक रंगों में चित्रण के लिए विविध प्रकार की सतहों का उपयोग किया जा सकता है। ऐसी कोई भी सतह जिस पर रंगों का थोड़ा अंश शोषित हो सकता हो चित्रण के लिए काम में लाई जा सकती है। जैसे कैनवास, कागज भित्ति आदि। एकैलिक रंगों की प्रकृति जल रंग के अधिक समीप है अतः चित्रण तल की स्वच्छता तथा श्वेतता चित्र के रंगों की चमक तथा रंगत को प्रभावी बनाने में सहयोगी होती है।
रंग - तेल सतहों अथवा तेल इमल्शन की सतहों पर एक्रेलिक रंगों का उपयोग नहीं करना चाहिये। कैनवास पर एक्रेलिक प्राइमर लगाकर अथवा सीधे रंग लगाकर चित्रण कार्य किया जाता है। कार्य करने से पूर्व कागज की गीला करके टेप द्वारा बोर्ड पर चिपका लेते है।

तूलिका - एक्रेलिक तरह के साथ कार्य करने में ये रंग चमकदार प्रभाव देते है किन्तु पानी के साथ यह चमक कम हो जाती है। इन रंगों को तैल रंग जैसे ही ब्रशों से लगाया जा सकता है। तथा विस्तृत क्षेत्रों में वाश लगाने के लिए जलरंग जैसे कोमल ब्रशों को प्रयोग में लाया जाता है, छोटे चित्रों में काम करने लिए तथा रेखांकन के लिए बारीक सेबल ब्रश काम में लाये जाते है।

चित्रण विधि - रासायनिक रूप से निरापद और स्थाई एक्रेलिक रंगों तकनीक के नए आयाम खोल दिये है। प्रारम्भ में चित्रकारों ने पहले से प्रयुक्त माध्यमों की भाँति ही इन रंगों को काम में लाना प्रारम्भ किया किन्तु एक्रेलिक रंगों की अपनी कुछ विशेषताओं के कारण नकल की हुयी परम्परागत तकनीके पीछे छूट गई। इन रंगों की तुलना तकनीकी दृष्टिकोण से तैल माध्यम से नहीं की जा सकती है। एक्रेलिक रंगों की प्रकृति जलरंग, ग्वाश तथा टेम्परा के समीप है। इन रंगों की पारदर्शक परतों में से कैनवास की श्वेतता से परावर्तित होकर प्रकाश रंगों को जो चमक प्रदान करता है वह अपारदर्शक सफेद लगाने से नष्ट हो जाती है। पारदर्शिता के गुण से एक्रेलिक रंगों में ग्लेज तथा अपारदर्शक रंगों का साथ-साथ प्रयोग आकर्षक टैक्सचर का प्रभाव देता है। एक्रेलिक रंगों का इम्पैस्टो तकनीक में भी उपयोग किया जाता है उभरे हुए टैक्सचर के लिए ट्यूब से निकले हुए रंग सीधे काम में लाये जाते है। एक्रेलिक रंगों को वार्निश करने की आवश्यकता नहीं होती है।

चाहे चित्र का प्रारम्भिक रेखांकन हो अथवा रेखांकन में बनाया हुआ परिपूर्ण चित्र हो एक्रेलिक रंगों में अच्छा रेखांकन किया जा सकता है। इसके लिए पतले घुले हुए रंग से बल ब्रश से लागाये जाते है। चित्रण में कैनवास की बुनावट पूर्ण चित्र का अंग बनी रह सकती है। इस प्रकार सतह या तल अपने टेक्सचर से चित्र को प्रभावित करता है। इस प्रकार एक्रेलिक रंगों में प्रयोग के लिए विस्तृत क्षेत्र खुल जाता है।

सावधानियाँ एवं रख-रखाव चित्रण कार्य करते समय तथा बाद में ब्रशों को बहुत अच्छी तरह धोना चाहिये क्योंकि ये रंग शीघ्रता से सूखते है और ब्रशों को जकड़ लेते है। गर्म पानी में ये रंग सफलता से घुलते है। सफेद प्लास्टिक की पैलेट एक्रेलिक रंगों के लिए अधिक उपयोगी होती है। लकड़ी की पैलेट की तुलना में प्लास्टिक की पैलेट से रंग आसानी से साफ किया जा सकता है।

...Prev | Next...

<< पिछला पृष्ठ प्रथम पृष्ठ अगला पृष्ठ >>

अन्य पुस्तकें

लोगों की राय

No reviews for this book