बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- कला अभिव्यक्ति है। संक्षेप में लिखिए।
उत्तर -
कला अभिव्यक्ति है
कला का सिद्धान्त केवल अनुकृति अथवा कल्पना तक ही सीमित नहीं रहा है। लियोनार्दो ने कहा है कि कलाकार जिन आकृतियों की रचना करता है वे उसके आन्तरिक भावों पर आधारित होती है अर्थात कला के रूपों में कलाकार के मान के भावों की अभिव्यक्ति होती है। अतः कला केवल अनुकृति अथवा कल्पना न होकर अभिव्यक्ति भी है।
कला के द्वारा भावों अथवा विचारों का सम्प्रेषण किया जाता है अतः कला एक प्रकार की भाषा अथवा अभिव्यक्ति है। जिस प्रकार भाषा द्वारा हम अपने विचार अभिव्यक्त करते है और दूसरों तक पहुँचाते है उसी प्रकार भाषा कलाकृतियों के द्वारा भी सम्प्रेषित करते है। डॉ. श्यामसुन्दर दास ने भी कला की परिभाषा देते हुए कहा है कि "जिस अभिव्यंजना में आन्तरिक भावों का प्रकाशन तथा कल्पना का योग रहता है वह कला है। इस प्रकार कलाकार द्वारा प्रकृति अथवा कल्पना का जो स्वरूप अभिव्यक्त होता है वही कला होती है। अभिव्यक्ति के दो रूप होते है-
1. आन्तरिक एवं
2. वाह्य
कला की अभिव्यक्ति वही है जो तात्विक दृष्टि से आन्तरिक और व्यवहारिक दृष्टि से वाह्य रूप कला को स्वीकार किया जाता है। कलाकार जब भी अभिव्यक्ति करता है तो वह उद्देश्य रहित नहीं होती है। कलाकार को अर्न्तज्ञान होता है और वह रुचि के प्रभाव से होता है। मानव जीवन में कला मुख्य अंग है। यह मानव की नैसर्गिक अभिव्यंजना शक्ति है।
यद्यपि कला अभिव्यक्ति है किन्तु प्रत्येक अभिव्यक्ति कला नहीं है। जिस अभिव्यजंना में आन्तरिक भावों का प्रकाशन तथा कल्पना का योग रहता है वही कला है।
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