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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2728
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- वाश (Wash) तकनीक से क्या समझते हैं? तकनीक में ध्यान देने योग्य बातें कौन-सी है? वाश प्रक्रिया कितने प्रकार की होती है?

उत्तर -

वाश

'तकनीक' किसी भी कार्य करने के तरीके (ढंग) को कहते हैं। यह जरूरी नहीं है कि इन ढंगों का आधार किसी सिद्धान्तों पर आधारित हो क्योंकि हर कलाकार तकनीक को अपनी सुविधानुसार अपनाया करता है। यह परिवर्तनशील व प्रगतिशील है तथा समयानुसार बनती बिगड़ती रहती है। कलाकार देश, धर्म, रुचि व लोगों की आवश्यकताओं के अनुसार अपनी तकनीक को बदलता रहता है। चित्रकला में तकनीक का आधार कलाकार की सूझ-बूझ, तूलिका शक्ति और अभिव्यक्ति का नया दृष्टिकोण होता है। तूलिका और रंगों के नये प्रयोग के द्वारा ही कलाकार की तकनीक बनती है। 'वाश' दृश्य कला में उपयोग होने वाली वह तकनीक है जिसमें अर्द्ध पारदर्शी अथवा पूर्ण पारदर्शी रंग की परत दिखाई देती है, जिसमें जलमिश्रित स्याही या जलरंग का मिश्रण होता है जिसे पेन और वाश, स्याही और वाश अथवा वाश चित्र भी कहा जाता है।

वाश एक अंग्रेजी शब्द है, जिसका अर्थ है 'धोना' और चित्र के सम्बन्ध में 'वाश' शब्द का प्रयोग करने पर यह चित्रों को धोने से सम्बन्धित वाश प्रक्रिया' हो जाता है। जल के माध्यम से दो या तीन शुद्ध रंगों का कागज पर आपस में इस प्रकार मिलना कि चित्रकार स्वयं यह अनुभव न कर पाए कि किस स्थान विशेष पर वह रंग मिल रहे हैं। उन रंगों का आपसी सुमेल व माधुर्य ही असल में वाश का उद्देश्य है। चित्र में वाश देने का अर्थ यही होता है कि चित्र में जिस रंग का आधिक्य हो उसका आभास सम्पूर्ण चित्र में दिखाई दे। उदाहरण स्वरूप प्रायः सूर्यास्त या सूर्योदय या चन्द्रिका के समय समस्त वस्तुओं पर एकसा प्रभाव पड़ता है, विभिन्न वस्तुओं के भिन्न-भिन्न रंग होते हुए भी वे लालिमा, पीलापन या सफेदी लिये हुए दिखाई पड़ते हैं।

वाश तकनीक जलरंग चित्रण का ही एक भाग है या यूँ कहें कि जलरंग चित्रण ही एक तरह का वाश है। वाश तकनीक में कार्य करने वाले देश विदेश में कई कलाकार हुए, परन्तु सबकी कृतियों में कुछ न कुछ अलग भाव प्रदर्शित होते हैं, जबकि वही तकनीक, वही रंग फिर भी भिन्नता उन सभी में दिखाई देती है।

भारतीय प्रक्रियानुसार एक रंग कागज पर लगाकर चित्र को पानी से धोने की क्रिया के पश्चात् अतिरिक्त रंग का निकलना व शेष रंग का कागज द्वारा सोख लेना ही वाश प्रक्रिया है। "यह धोने की प्रक्रिया कलाकार चित्र को और खूबसूरत बनाने के उद्देश्य से बारम्बार दोहराता है। इस तकनीक में ऐसे हाथ से बने खुरदुरे कागज का उपयोग किया जाता है जो बार-बार गीला करने पर भी उखडे नहीं।

एक ही रंग का प्रभाव पूरे चित्र पर देने के लिये एक चौड़े ब्रश से उस रंग का पतला घोल चित्र पर लगाकर कुछ सूखने के बाद उसे धो लिया जाता है। चित्र धोने के पश्चात् उसकी मुख्य विशेषता जो झलकती है वह है रंगों की पारदर्शिता। अगर बात की जाये रंगों की तो वाश तकनीक में उत्तम कोटी के टिक्कीनुमा रंग प्रयोग में लाए जाते हैं। इस तकनीक में कार्य करने के लिये सर्वप्रथम कागज को टेप द्वारा बोर्ड पर अच्छे से चारों कोनों पर से चिपकाया जाता है। फिर पेंसिल से रेखांकन के बाद गहरे से हल्के रंग की ओर अधिक पानी की मात्रा मिलाकर कागज पर लगा कर थोड़ा सूखने के बाद कागज को धो लिया जाता है, जिससे कुछ रंग तो कागज पर शोषित कर लिया जाता है व अन्य रंग बाहर निकल जाता है। अब इस रंग पर दूसरी गहरे रंग की परत लगाकर पुनः उसको उसी प्रकार धोने पर नीचे का रंग ऊपर पारदर्शक की तरह झलकता है। वाश तकनीक की मूल प्रक्रिया यही है। अन्य रूप में रंगों को स्थायी करने के लिए अन्तिम वाश में कच्चा दूध का प्रयोग भी किया जा सकता है।

तकनीक में ध्यान देने योग्य बातें - यह निम्नलिखित हैं-

1. रेखांकन बिल्कुल हल्की पेंसिल से किया जाये, अन्यथा चित्र को वाश करने के बाद चित्र में से रेखांकन साफ झलकता है। ऐसी स्थिति में गेरू मिले पीले (येलो आकर) रंग से पहले गोल ब्रश से आऊटलाइन करके फिर अनावश्यक पेंसिल के चिन्ह हल्के रबर से साफ कर देना चाहिए।

2. यह भी बात ध्यान देने योग्य है क़ि कागज पर कोई तैलीय अंश न हो, नहीं तो कागज पर वाश का एक सा प्रभाव नहीं आ पाएगा।

वाश प्रक्रिया दो तरह की होती है-
एकसा वाश
क्रमिक वाश

एकसा वाश (Flat Wash) - एकसा वाश करने से पूर्व सर्वप्रथम कागज पर पानी का एक वाश देकर तत्पश्चात् रकाबी (टब) में पानी भरकर उसमें अभीष्ट रंग घोला जाता है और अब एक बड़े ब्रश से घुले रंग को कागज पर एक समान लगा दिया जाता है। यह एक सा वाश कितना ही त्रुटिपूर्ण क्यों न हुआ हो परन्तु उस समय उसे सुधारना ठीक नहीं। इस अवस्था में वाश सूखने के बाद आवश्यकतानुसार दोबारा वाश कर लेना सही रहता है। इस प्रक्रिया में पूरे चित्र पर किसी एक ही रंग का आधिक्य बिल्कुल चाँदनी रात या सूर्यास्त का कोई दृश्य लगता है।

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क्रमिक वाश (Granded Wash) - क्रमिक वाश करने के लिए सर्वप्रथम कागज पर गहरा रंग लगाया जाता है फिर इसी रंग को पानी के चौड़े ब्रश से नीचे तक लाते हुए हल्का करते जाते हैं। बार-बार अन्य रंगों से इसी प्रकार वाश करने से वाश क्रमिक हो जाता है। यदि वाश करने में धब्बे आ गये हैं तो चित्र को सूखने पर पानी में डुबो दिया जाता है। वाश चित्रों में क्रमिक वाश इतना कोमल होता है कि प्रभाव अत्यन्त मृदु दिखाई देता है। यह क्रमिक वाश प्रक्रिया पारदर्शी व अपारदर्शी दोनों ही रंगों में उपयोग की जा सकती है। जिसे जापानी कलाकारों द्वारा अधिक प्रायोगिक रूप में किया गया।

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