बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- सामंजस्य का कला में क्या महत्व है?
अथवा
चित्र में सामंजस्य के महत्व को समझाइए।
उत्तर -
सामंजस्य का महत्व
मानव का स्वभाव व्यवस्थाप्रिय होता है। और सामान्य रुचि के अनुसार सामंजस्य को एक आवश्यक कला सिद्धान्त के रूप में माना जाता है। कला रचना के अन्तर्गत कलाकार अपने कथ्य को विभिन्न प्रकार से अभिव्यक्ति देता है, जिसमें वह पुनरावृत्ति व विरोधाभास दोनों का समावेश करता है। सामान्यतः कलाकार परम्परा से भिन्न व उलक्षनपूर्ण व जटिल संयोजनों की अपेक्षा सामंजस्यपूर्ण, परम्परानुरूप व समानुपातिक संयोजनों की रचना करता है। यही प्रवृत्ति दर्शकों में भी विद्यमान होती है, जो कलाकृति का आस्वादन करना चाहते है।
कलाकृति की रचना का उद्देश्य देखे गये रूपों इत्यादि की अनुकृति करना ही नहीं होता, वरन् विभिन्न तत्वों, रूपाकारों व विचारों आदि के मध्य एवं व्यवस्था बनाना भी होता है। सामंजस्य कलाकृति में उन रुचिकर सम्बन्धों को व्यवस्थित करने का कार्य करता है, जो सौन्दर्य अथवा आनन्द की अनुभूति कराते है। चित्र रचना में तत्वों की पुनरावृत्ति एकरसता को उत्पन्न करती है और विरोधाभास आकस्मिक व आक्रामक प्रतीत होता है अतः सामंजस्य इन दोनों विशेषताओं के गुणों को मधुर सम्बन्ध में बदलकर सामंजस्यपूर्ण स्थिति बनाता है। इस दृष्टिकोण से रचना में सामंजस्यपूर्ण व्यवस्था को महत्वपूर्ण स्थान दिया गया है।
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