बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्व बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - कला के मूल तत्वसरल प्रश्नोत्तर समूह
|
5 पाठक हैं |
बीए सेमेस्टर-2 चित्रकला - सरल प्रश्नोत्तर
प्रश्न- चित्र में वर्ण सामंजस्य किस प्रकार दिखा सकते है?
उत्तर -
वर्ण सामंजस्य विधि - वर्ण सामंजस्य करने के लिए निम्नलिखित विधियाँ अपनायी जा सकती है-
1. रंगत को उदासीन करके - किसी रंगत को उदासीन करने के लिए उसका पूरक रंग उसके साथ मिल देते है। जिससे रंग की तीव्रता कम हो जाती है। और रंग उदासीन हो जाता है। इस प्रकार के रंग एक-दूसरे रंगों के साथ आसानी से सामंजस्य स्थापित कर लेते है। लाल रंग का पूरक हरा रंग है। लाल रंग की तीव्रता कम करने के लिए उसमें विरोधी रंग हरा मिला दिया जाये तो लाल रंग का प्रभाव कम हो जाता है।
2. उभयनिष्ठ रंग के मिश्रण द्वारा - इस विधि द्वारा दो अत्यधिक विरोधी वर्णों का भी सामंजस्य कराया जा सकता है। जैसे पीले और नीले वर्ण में हरा रंग मिश्रित करके सामंजस्य स्थापित किया जा जा सकता है। इसी प्रकार हरे और बैंगनी को नीले रंग के मिश्रण द्वारा सामंजस्य की परिधि में लाया जाता है।
3. पारदर्शक आवरण द्वारा - किसी भी रंग का एक आवरण लगाने से सभी रंग आवरण के प्रभाव से सामंजस्य पूर्ण लगते है। इस विधि को ग्लेजिंग भी कहा जाता है। किसी संयोजन में विरोधी वर्गों पर कोई रंगीन पारदर्शक कागज रखकर इसके प्रभाव का अध्ययन किया जा सकता है।
4. उदासीन रंगों की मध्यस्थता द्वारा - जब दो रंग पास-पास लगाने से विरोध उत्पन्न करते हो तो उनके मध्य में कोई उदासीन रंग लगाने से उनका विरोधाभास कम होकर सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
5. पोत परिवर्तन द्वारा - पोत को खुरदारा या मोटा बनाने से रंगत में अन्तर आ जाता है। जिससे आकार में उत्पन्न छाया-प्रकाश, रंग की तीव्रता को कम कर देता है और सामंजस्य स्थापित हो जाता है।
6. श्रेणीक्रम द्वारा - सामंजस्य यदि चित्र में दो अतिशय स्थितियाँ अंकित हों तो उनमें सामंजस्य स्थापित करने हेतु श्रेणीक्रम (gradation) का उपयोग भी किया जाता है। इससे क्रमिकता का भाव उत्पन्न होता है। श्रेणीक्रम से परिवर्तन गति व जीवन के संकेत मिलते है। प्रकृति की व्यवस्था में श्रेणीक्रम सर्वत्र उपस्थित रहता है। उदय होते सूर्य का प्रकाश, अस्त होते सूर्य का अन्धकार क्रमशः बढ़ते जाना, ऋतु परिवर्तन, घटने-बढ़ते चन्द्रमा की लहरें इसे प्रत्यक्ष ' उदाहरण है।
वर्ण सामंजस्य को हम अनेक विधियों से उत्पन्न कर सकते हैं। सामंजस्य का चित्र संयोजन में महत्वपूर्ण स्थान है। सामंजस्य के द्वारा ही हम चित्र में एकता ला सकते है।
|