बी ए - एम ए >> बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत : संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोगसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-2 संस्कृत - संस्कृत गद्य साहित्य, अनुवाद एवं संगणक अनुप्रयोग - सरल प्रश्नोत्तर
महत्वपूर्ण तथ्य
कम्प्यूटर एक छोटा डिवाइस होता है जो अपरिपक्व डाटा को जो प्रोग्राम निर्देशों के अनुसार आउटपुट देता है। कम्प्यूटर का मुख्य कार्य प्रोग्राम का संचालन करना होता है।
कम्प्यूटर सूचनाओं को उत्पन्न करने के लिए डाटा का भण्डारण, पुनःप्राप्ति, प्रेषण, विश्लेषण आदि कार्य करता है। कम्प्यूटर गणितीय एवं तार्किक कार्य कर सकता है।
कम्प्यूटर की प्रमुख विशेषताओं में गति भण्डारण क्षमता, शुद्धता, स्वचालन क्षमता निरन्तर कार्य, वैज्ञानिक तरीका आदि शामिल हैं।
की बोर्ड टंकण यन्त्र की भाँति होता है। इसके माध्यम से सूचनाओं को कम्प्यूटर में अन्तरित किया जाता है। अधिकांशतया डाटा को माउस की मदद से प्रविष्ट कराया जाता है।
स्केनर से, प्रपत्र या फोटोग्राफ को स्केन करके कम्प्यूटर में स्टोर किया जाता है।
मॉनीटर ( वी.डी.यू.) , प्रिन्टर, कम्प्यूटर आउटपुट माइक्रो फिल्म ग्राफिक्स डिस्प्ले यूनिट, स्पीकर आदि आउटपुट डिवाइस है।
प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटरों का निर्माण वैक्यूम ट्यूब जैसे केथॉड रे ट्यूब (सी.आर.टी.) का प्रयोग करके किया गया था । प्रथम इलैक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर का अविष्कार पेनिसिलवेनिया यूनिवर्सिटी की मूर स्कूल ऑफ इंजीनियरिंग में जे. पी. एकर्ट तथा जॉन मुचली ने सन् 1646 में किया था । वेक्यूम ट्यूब लगी होने के कारण प्रथम पीढ़ी के कम्प्यूटर अधिक विद्युत खर्च करते थे। रेमिंग्टन कम्पनी ने सन् 1650 में यूनीवेक- 1 को विकसित किया।
दूसरी पीढ़ी की मशीनें प्रारम्भ में मेग्नेटिक ड्रम अथवा कोर स्टोरेज से बनी थीं। इस चरण में FORTRAN, COBOL, ALGOL आदि उच्चस्तरीय भाषाओं का विकास हुआ। कम्प्यूटर की द्वितीय पीढ़ी में व्यावसायिक तथा औद्योगिक क्षेत्र में इसका कार्य प्रयोग होने लगा। इसका मुख्य IBM 605 उदाहरण है।
कम्प्यूटर्स की तृतीय पीढ़ी 60 वें दशक के मध्य में कम्प्यूटरों के विकास में मील का पत्थर सिद्ध हुई । इस चरण में इन्टीग्रेटेड सर्किट्स (आई.सी.) की खोज हुई तथा एक चिप में हजारों ट्रांजिस्टर स्थापित किये जाने लगे। सी.पी.यू. का निर्माण हुआ ।
चौथी पीढ़ी के कम्प्यूटरों का 1670 के दशक के मध्य उद्भव विकास हुआ। इस अवधि में माइक्रोप्रोसेसर चिप्स का प्रयोग किया जाने लगा था। इस चरण में ADA, Pascal, C प्रोग्रामिंग की भाषायें विकसित हुयीं। कम्प्यूटरों का प्रयोग अभियंत्रण चिकित्सा तथा प्ररचना आदि क्षेत्रों में होने लगा था।
पंचम पीढ़ी के कम्प्यूटरों का विकास 1660 के पश्चात् हुआ।
कम्प्यूटर की आधारभूत कार्य इकाइयाँ
मैमोरी यूनिट वहां होती है सभी आँकड़े एकत्र होते हैं। इनपुट यूनिट से आँकड़े पढ़े जाते हैं तथा भेजे जाते हैं जहाँ उनका प्रक्रियायन होता है। नियन्त्रण इकाई कम्प्यूटर की अन्य सभी इकाइयों के मध्य सामंजस्य स्थापित करती है। यहाँ निर्देशों को डीकोड करके मानव द्वारा पढ़े जाने योग्य रूप में परिणामों से आउटपुट निर्धारित किया जाता है।
एनालॉग कम्प्यूटर भौतिक मापन एवं मात्राओं पर कार्य करता है।
डिजिटल कम्प्यूटर खण्डित मात्राओं के साथ कार्य करते हैं। वे डेटा को परिवर्तित करते हैं तत्पश्चात् उन्हें अपने कार्य के उद्देश्य पर निर्भर रहते हुए उनकी प्रक्रिया करते हैं।
कम्प्यूटर एक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण है तथा यह प्रोग्राम निर्देशों के सैट के अनुसार विभिन्न प्रकार के कार्य कर सकता है।
हार्डवेयर कम्प्यूटर भौतिक एवं दृश्य उपकरणों का प्रतिनिधित्व करता है।
सॉफ्टवेयर कार्यक्रमों के सैट का प्रतिनिधित्व करता है जो कि कम्प्यूटर प्रणाली के कार्यों को नियन्त्रित करता है तथा हार्डवेयर को संचालित रखता है।
ऑपरेटिंग सिस्टम एक कार्यक्रम है जो कि प्रयोगकर्ता तथा हार्डवेयर के बीच interface की भाँति कार्य करता है।
कम्प्यूटर की विकास यात्रा का शुभारम्भ अबेकस से हुआ था । एनिक ( ENIAC : Electronic Numerical Integrator and Calculator) , जोकि प्रथम इलेक्ट्रॉनिक कम्प्यूटर माना जाता है, 1646 में विकसित हुआ था। धीरे-धीरे एड्वेक (EDVAC) एडसेक (EDSAC) आदि कम्प्यूटर विकसित हुए। ये कम्प्यूटर वेक्यूम ट्यूब पर आधारित थे।
1650 के दशक से इसका व्यवसाय प्रयोग शुरू हुआ। वर्तमान में घरेलू कार्यों तक में इसका प्रयोग किया जा रहा है।
कम्प्यूटर का आशय इलेक्ट्रॉनिक एवं मैकनिकल घटकों के संयोग से बने एक उपकरण (device) है। कम्प्यूटर एक प्रणाली है। कम्प्यूटर प्रणाली निम्नलिखित पाँच कारकों के संयोग की प्रणाली है -
(i) हार्डवेयर,
(ii) सॉफ्टवेयर,
(iii) उपयोगकर्त्ता,
(iv) आँकड़े/सूचनाएँ ।
कम्प्यूटर एक यन्त्र है जो आँकड़ों को व्यवस्थित रखता है। आँकड़े वे तथ्य होते हैं जो कम्प्यूटर में एकत्र किये जाते हैं। कम्प्यूटर सूचना को प्रदर्शित करने के लिए आँकड़ों का संग्रह, पुनर्प्राप्ति, प्रेषण, सुधार एवं विश्लेषण कराता है।
भौतिक उपकरण तथा घटक, जिन्हें हम कम्प्यूटर प्रणाली में देख सकते हैं, छू सकते हैं तथा अनुभव कर सकते हैं, को हार्डवेयर कहा जाता है।
हार्डवेयर भौतिक घटक है। हार्डवेयर में अग्राँकित को शामिल किया जाता है -
(i) इनपुट उपकरण,
(ii) केन्द्रीय प्रक्रियायन इकाई (सी.पी.यू.) .
(iii) आउटपुट उपकरण,
(iv) द्वितीयक उपकरण,
(v) अन्य उपकरण
सॉफ्टवेयर वे प्रोग्राम हैं जो एक कम्प्यूटर को प्रारम्भ करने एवं संचालित करने हेतु आवश्यक कार्य करते हैं।
सी.पी. यू. कम्प्यूटर का दिमाग होता है। सी.पी. यू. में ए. एल. यू. शामिल है जो कि सभी अंकगणितीय गणनाओं को करता है तथा औचित्यपूर्ण निर्णय लेता है। इसके द्वारा कुछ औचित्यपूर्ण कार्य जैसे आँकड़ों की तुलना आदि किये जो सकते हैं।
कम्प्यूटरों के विभिन्न प्रकार होते हैं। इनको अग्राँकित वर्गों में बाँटा जा सकता है -
(i) एनालॉग एवं डिजिटल कम्प्यूटर
(ii) हाईब्रिड कम्प्यूटर
(iii) विशेष उद्देश्यीय एवं सामान्य उद्देश्यीय कम्प्यूटर
एनालॉग कम्प्यूटर - संख्याओं का भौतिक मात्रा जैसे लम्बाई, वोल्टेज आदि में प्रतिनिधत्व करते हैं, सभी एनालॉग कम्प्यूटर मापनों के रूप में अपने आँकड़े व्युत्पन्न करते हैं। डिजिटल कम्प्यूटर आँकड़ों का प्रतिनिधित्व संख्याओं या पृथक इकाइयों के रूप में करते हैं।
एनालॉग कम्प्यूटर किये गये मापनों की सत्यता तक सीमित होते हैं जबकि डिजिटल कम्प्यूटर आवश्यकतानुसार कई स्थितियों एवं संख्याओं का प्रयोग करते हुए सटीक रूप में प्रतिनिधित्व कर सकते हैं।
हाईब्रिड कम्प्यूटर एनालॉग एवं डिजिटल कम्प्यूटरों के संयोग से बना सर्वोत्तम यन्त्र है। हाईब्रिड कम्प्यूटर में एनालॉग कम्प्यूटर की गति होती है। तथा डिजिटल कम्प्यूटर की सटीक निष्कर्ष निकालने की क्षमता होती है। विशेष उद्देश्यीय कम्प्यूटरों में सामान्य उद्देश्यों वाली कई विशेषताएं होने के साथ-साथ इनमें विशिष्टीकृत आँकड़ों का प्रक्रियायन कार्यों को करने की भी क्षमता होती है।
आकार के अनुसार कम्प्यूटर को माइक्रो, मिनी, मेनफ्रेम तथा सुपर कम्प्यूटर में बाँटा जाता है।
प्लाटर एक डिवाइस है। इसका उपयोग चार्ट, डायग्राम एवं अन्य लाइन आधारित ग्राफिक्स बनाने में होता है।
कार्ड रीडर से डाटा को कम्प्यूटर सिस्टम में सीधे प्रवेश कराया जाता है ।
सी.पी. यू. के तीन भाग होते हैं-
(i) कंट्रोल यूनिट
(ii) अर्थमेटिक लॉजिकल यूनिट (यू.एल.यू.)
(iii) मेमोरी यूनिट
कंट्रोल यूनिट कम्प्यूटर प्रणाली की अधिकांश गतिविधियों के निदेशन व सामंजस्य हेतु जिम्मेदार है।
अर्थमेटिक/लॉजिक यूनिट वे समस्त अर्थमेटिक एवं लॉजिकल कार्य करती है जो जोड़ते हैं, गुणा करते हैं, विभाजन करते हैं तथा तुलना करते हैं।
सी.पी. यू. के अन्दर एक अस्थाई मेमोरी होती है जो कि आँकड़ों को स्वीकृत, संग्रहीत एवं अन्तरित है।
पंच कार्ड यह एक प्राचीनतम इनपुट उपकरण है। हर्मन होलेरिथ ने सन् 1866 में इसका प्रयोग किया था। इसमें 80 कालम तथा 12 पंक्तियाँ होती हैं।
स्केनर कम्प्यूटर की आँखें कहा जाता है। इस उपकरण के द्वारा किसी दस्तावेज या फोटोग्राफ को कम्प्यूटर में संग्रहीत किया जा सकता है। यह फोटो स्टेट मशीन की भाँति कार्य करता है।
मदरबोर्ड कम्प्यूटर प्रणाली का अत्यन्त महत्वपूर्ण भाग है तथा इस बहुधा कम्प्यूटर प्रणाली का स्पाइन कार्ड कहा जाता है।
कैश मेमोरी, प्रोसेसर तथा आर.ए.म. के बीच सेमी कन्डक्टर की भाँति कार्य करती है। यह बफर मेमोरी है तथ इसकी गति अत्यन्त तीव्र होती है।
बस के तीन प्रकार होते हैं जैसे एड्रेस बस, डेटा बस तथा कंट्रोल बस।
पर्सनल कम्प्यूटर का विकास तीव्र गति से हुआ है। प्रथम माइक्रोप्रोसेसर 1671 में विकसित हुआ था जो कि इनटेल - 4004 (intel 4004 ) था । इसमें 4 बिट माइक्रो प्रोसेसर थे। इसकी मेमोरी क्षमता 1 के बी थी
पर्सनल कम्प्यूटर की मूल इकाइयाँ सिस्टम यूनिट, वीडियो डिस्प्ले टर्मिनल (वी डी टी) की बोर्ड तथा माउस है।
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