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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।

अथवा
गुप्तों के पतन के क्या कारण थे?

सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गुप्तों के पतन का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
2. गुप्तों के पतन का कारण संक्षेप में बताइए।

उत्तर-

गुप्तों का पतन 
(Downfall of the Guptas)

शक्तिशाली गुप्त साम्राज्य गुप्त - वंशी अन्तिम महान शासक स्कन्दगुप्त की 467 ई. में मृत्यु के पश्चात् पतन की दिशा में तेजी से उन्मुख हुआ। यद्यपि स्कन्दगुप्त के उत्तराधिकारियों ने किसी न किसी रूप में 550 ईस्वी तक मगध पर अधिकार रख सकने में सफलता प्राप्त की परन्तु इसके बाद भारतीय इतिहास के पृष्ठों में स्वर्णयुग कहा जाने वाला गुप्त साम्राज्य का हमेशा के लिए पतन हो गया।

गुप्त साम्राज्य का पतन किसी कारण विशेष का परिणाम नहीं था, बल्कि विभिन्न कारणों ने इस दिशा में योगदान दिया। इस साम्राज्य के पतन के लिए निम्नलिखित कारण उत्तरदायी रहे-

1. अयोग्य उत्तराधिकारी - स्कन्दगुप्त की मृत्यु के पश्चात् कोई ऐसा गुप्त शासक नहीं हुआ जो देश को एकता के सूत्र में बांधता  बुद्धगुप्त, भानुगुप्त तथा वालादित्य को छोड़कर अन्य सभी गुप्त सम्राट अयोग्य हुए। उनमें क्रियाशीलता का अभाव था, फलस्वरूप केन्द्रीय शासन शिथिल हो गया था।

2. आंतरिक कलह व संघर्ष - चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य के पश्चात् गुप्तों की आन्तरिक कलह बढ़ती गयी जिसके फलस्वरूप उनकी शक्ति धीरे-धीरे क्षीण हो गयी। राजकुमारों की स्वार्थपरता और दलगत नीति के कारण बहुधा गुप्त साम्राज्य के उत्तराधिकारी का प्रश्न बहुत पेचीदा हो जाता था, यह उत्तराधिकार युद्ध की परम्परा बहुत प्राचीन थी। इस सम्बन्ध में समद्रगुप्त, काचगुप्त, रामगुप्त तथा चन्द्रगुप्त द्वितीय के युद्ध विशेष उल्लेखनीय हैं।

3. सामन्तों के विद्रोह - गुप्त साम्राज्य को अनेक भुक्तियों (प्रान्तों) और विषयों में (जिलों में) विभाजित किया गया था। भुक्तियों में गुप्त सम्राट के अधीन सामन्त शासन करते थे। गुप्त सम्राटों की निर्बलता से लाभ उठाकर सामन्त लोग विद्रोह करने लगे थे, तथा धीरे-धीरे अपने को स्वतन्त्र घोषित करने लगे थे। स्कन्दगुप्त की मृत्यु के पश्चात् पश्चिमी भारत गुप्तों के हाथ से निकल गया। मालवा आदि उर्वर तथा व्यापारिक प्रान्तों के निकल जाने के फलस्वरूप गुप्त साम्राज्य को आर्थिक हानि भी उठानी पड़ी।

अनेक सरदारों ने गुप्त सम्राट के विरुद्ध विद्रोह किया। उत्तर प्रदेश में धीरे-धीरे मौखरी वंश का उत्कर्ष हुआ और छठी शताब्दी के अन्त तक उन्होंने एक स्वतन्त्र राज्य स्थापित कर लिया। अवनति काल के अनेक गुप्त सामन्त बहुत बड़ी-बड़ी उपाधियाँ धारण करते थे, जो इस बात का परिचायक है कि वे स्वतन्त्र रहने के लिए सदैव उत्सुक रहते थे। पुण्डवर्धन के सामन्त ने छठी शताब्दी के उत्तरार्द्ध में गुप्त वंश की प्रभुता को ठुकरा दिया। गौड़ राजा ने तो महाराजाधिराज की उपाधि धारण कर ली और वह स्वतन्त्र शासकों की भाँति आचरण करनेलगा।

4. सांस्कृतिक उन्नति - कुछ विद्वानों के मतानुसार गुप्तकाल में हुई सांस्कृतिक उन्नति भी गुप्तों के पतन का कारण हुई। काव्य और कला की उन्नति के साथ-साथ समाज में विलासिता की भावना भी दृढ़ होती गयी। जब तक क्रियाशील और पराक्रमी राजाओं के राज्य में यह विलासिता अपने नग्न रूप में सामने आयी, देश में राजनीति के पहलू क्षीणतर हो गये। सम्राट और जनता की विलासिता के फलस्वरूप गुप्त साम्राज्य की नींव कमजोर हो गयी।

5. बौद्ध नीति का अनुसरण - गुप्त वंश के अधिकांश सम्राट वैष्णव धर्म को मानने वाले थे, उन्होंने 'परमभागवत्' की उपाधि धारण की थी। परवर्ती गुप्त सम्राटों ने वैष्णव धर्म को छोड़कर बौद्ध धर्म को धारण कर लिया। बौद्ध नीति के अनुसार सैनिक धर्म में कमी आने लगी तथा उदासीनता बढ़ने लगी। बौद्ध धर्म के प्रभाव के फलस्वरूप गुप्त साम्राज्य के परवर्ती शासकों ने सैनिकों के प्रति ध्यान देना कम कर दिया था। ह्वेनसांग ने उल्लेख किया है कि जब मिहिरकुल बालादित्य पर आक्रमण करने पहुँचा तब बालादित्य ने अपने मन्त्रियों से कहा कि "मैनें सुना है कि ये चोर आ रहे हैं और मैं उनसे युद्ध नहीं कर सकता। यदि मेरे मन्त्री मुझे अनुमति प्रदान करें तो मैं कीचड़ में छुप जाऊँ। उसने केवल यह कहा ही नहीं वरन् अपनी बहुत सी प्रजा के साथ एक द्वीप में चला गया।

6. गुप्तकालीन दण्ड नीति - गुप्तकालीन दण्ड नीति अत्यन्त नम्र थी। बड़े-बड़े अपराध पर भी अत्यधिक कठोर दण्ड नहीं दिया जाता था। उनकी इस नीति का शत्रु पक्ष ने लाभ उठाया और उनके साम्राज्य के विशाल भवन में घुन का काम कर उसे काट डाला, जिसके फलस्वरूप वह गिरकर छिन्न-भिन्न हो गया।

7. विदेशी नीति का परित्याग - परवर्ती गुप्त सम्राटों ने अपने पूर्वजों की विदेशी नीति का परित्याग कर दिया। चन्द्रगुप्त प्रथम ने लिच्छवियों के साथ समुद्रगुप्त ने विदेशी जातियों के साथ चन्द्रगुप्त द्वितीय ने वाकाटक, नाग और कदम्बों के साथ सम्बन्ध स्थापित किये थे। परवर्ती शासकों ने इस कूटनीति का परित्याग कर दिया था।

8. बाह्य आक्रमण बाह्य आक्रमण - गुप्त वंश के पतन का मुख्य कारण था। कुमारगुप्त प्रथम के समय से गुप्त साम्राज्य पर बाह्य आक्रमण होने लगे थे। स्कन्दगुप्त ने पुष्यमित्रों तथा हूणों के आक्रमण को रोकने का अत्यधिक प्रयत्न किया परन्तु उनकी मृत्यु के पश्चात् आक्रमण निरन्तर बढ़ते गये, गुप्त साम्राज्य का पतन यशोवर्मन के कारण हुआ।

इस मत को स्पष्ट करते हुए एक इतिहासकार ने लिखा है-

"According to Dr. Majumdar the death blow to the Gupta empire was death not by the Huns by the ambitious cheifs like Yasodharman. It is true that Huns caused destruction on the large scale but the force of their success was spent up very soon. However the rift caused by Yasodhraman widened gradually and ultimately the Gupta empire was completely smashed."

गुप्तों के पतन का तत्कालिक कारण यह था कि स्कन्दगुप्त के बाद शासन की बागडोर संभालने वाले राजाओं में योग्यता एवं कुशलता का अभाव था। गुप्त वंश के प्रारम्भिक शासक, जैसे- समुद्रगुप्त एवं चन्द्रगुप्त विक्रमादित्य सम्पूर्ण पृथ्वी को जीतने की आकांक्षा रखते थे, परन्तु उसके बाद के गुप्त राजाओं में वीरता एवं कार्यकुशलता के स्थान पर आपसी वैमनस्य एवं विद्वेष भाव था। गुप्त शासक अनेक छोटे राजाओं का राजा होता था। जब तक केन्द्रीय शासक शक्तिशाली रहे तब तक छोटे राजा दबे रहे परन्तु केन्द्रीय शक्ति के निर्बल होने पर अधीन राजाओं ने स्वतन्त्रता घोषित कर दी, जिसके परिणामस्वरूप गुप्त साम्राज्य पतन की ओर उन्मुख हुआ। गुप्त प्रशासन में उच्च पद वंशानुगत होते थे। इस वंशानुगत पद्धति के होते कभी-कभी अयोग्य व्यक्ति इन पदों पर नियुक्त हो जाते थे जिससे शासन सत्ता में शिथिलता आ जाती थी।

गुप्त साम्राज्य में शासकों एवं सामन्तों को विशेषाधिकार प्राप्त थे। सामन्तों को सेना रखने, अपने अधिकार क्षेत्र में जनता से 'कर' वसूलने तथा ब्राह्मणों को भूमि दान देने का अधिकार था। इससे एक ओर राज्य की आय कम हुयी, दूसरी ओर धनग्राही व्यक्ति छोटे-छोटे राजा बन गये। हूणों के बाह्य आक्रमण बार बार होने पर भी गुप्त शासकों ने उन्हें रोकने के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाये। गुप्त साम्राज्य हूणों के आक्रमण तथा आन्तरिक कलह से डावांडोल हो गया। ऐसे समय में बुद्धगुप्त और नरसिंहगुप्त जैसे राजा सेना को सुदृढ़ बनाने के बजाय बौद्ध धर्म के प्रभाव में डूबे रहे।

इस प्रकार इन सभी कारणों ने मिलकर गुप्त साम्राज्य की नींव को हिला दिया तथा अन्ततोगत्वा गुप्तों का पतन हो गया।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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