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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :144
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2723
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-2 प्राचीन भारतीय इतिहात एवं संस्कृति - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।

अथवा
गुप्त कालीन शासन व्यवस्था के विषय में आप क्या जानते हैं?
सम्बन्धित लघु उत्तरीय प्रश्न
1. गुप्त काल में अमात्य तथा मन्त्री का कार्य बताइये।
2. गुप्त काल की जिला तथा नगर शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
3. गुप्तयुगीन सैनिक संगठन पर टिप्पणी लिखिए।
4. गुप्तयुगीन भूमि एवं राजस्व व्यवस्था पर एक लेख लिखिए।
5. गुप्त काल की प्रान्तीय शासन व्यवस्था पर प्रकाश डालिए।
6. गुप्त शासन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।

अथवा
गुप्त प्रशासन पर संक्षेप में लिखिए।

उत्तर-

गुप्तकालीन शासन व्यवस्था

गुप्त काल के सम्राटों ने अपनी अनेक विजयों के उपरान्त एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की। यह साम्राज्य अपने उत्कर्ष काल में उत्तर में हिमालय से दक्षिण में विन्ध्य पर्वत तक तथा पूर्व में बंगाल की खाड़ी से लेकर पश्चिम में सौराष्ट्र तक फैला था। इस विशाल साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र थी।

सम्राट - गुप्त साम्राज्य की शासन व्यवस्था राजतन्त्रात्मक थी। इस वंश के शासक अपनी दैवी उत्पत्ति में विश्वास करते थे तथा 'महाराजाधिराज परमभट्टारक, 'एकराट्', 'परमेश्वर' जैसी उपाधियाँ धारण करते थे। सम्राट प्रशासन का मुख्य स्रोत होता था जिसके अधिकार और शक्तियाँ असीमित थीं। वह कार्यपालिका का सर्वोच्च अधिकारी, न्याय का प्रधान न्यायाधीश एवं सेना का सर्वोच्च सेनापति होता था। युद्ध के समय वह स्वयं सेना का संचालन करता था। गुप्त युग में रानियों का भी अत्यधिक महत्व था, जो अपने पति के साथ मिलकर शासन कार्य देखती थीं। सम्राट के अधीन अनेक छोटे-छोटे सामन्त हुआ करते थे जो अपने-अपने क्षेत्रों में स्वतन्त्र रूप से शासन करते थे। ये सामन्त शासक 'महाराज' की उपाधि धारणं करते थे।

अमात्य तथा मन्त्री - अमात्य तथा मन्त्रियों का कार्य सम्राट को शासन-कार्य में सहायता देना था। अमात्य से तात्पर्य प्रशासनिक अधिकारियों से था तथा उन्हीं में से योग्यता के आधार पर मन्त्री नियुक्त किये जाते थे। सामान्यतः राजा के बड़े पुत्र को उत्तराधिकारी चुना जाता था। परन्तु कभी कभी दूसरे योग्य पुत्रों को प्रान्तीय शासकों के रूप में नियुक्त करने की प्रथा थी। गुप्त प्रशासन का पूरा उत्तरदायित्वं युवराज को संभालना होता था।

केन्द्रीय अधिकारी - गुप्तकाल में जो अभिलेख प्राप्त हुये हैं उनमें निम्नलिखित पदाधिकारियों के नाम मिलते हैं-

1. प्रतिहार एवं महाप्रतिहार - ये राजकीय दरबार के पदाधिकारी होते थे जो प्रशासन में भाग नहीं लेते थे। इनका प्रमुख कार्य सम्राट से मिलने के लिए आये हुए लोगों को अनुमति-पत्र देना होता था।

2. महासेनापति - महासेनापति सेना का सर्वोच्च अधिकारी होता था।

3. महासान्धिविग्रहिक - यह एक महत्वपूर्ण पदाधिकारी होता था। इसका कार्य यथासमय युद्ध एवं शान्ति को बनाये रखना था।

4. दण्डपाशिक - यह पुलिस विभाग का प्रधान अधिकारी होता था जो आजकल के पुलिस अधीक्षक के समान कार्य करता था।

5. विनयस्थितिस्थापक - यह धर्म सम्बन्धी मामलों का प्रधान अधिकारी होता था, जो सार्वजनिक मन्दिरों के प्रबन्ध की देख-रेख करता था एवं लोगों के नैतिक आचरण पर दृष्टि रखता था।

6. कुमारामात्य - कुमारामात्य उच्च पदाधिकारियों का एक विशिष्ट वर्ग था जो आधुनिक आई. ए. एस. वर्ग के पदाधिकारियों की भाँति हेता था।

प्रान्तीय शासन - प्रशासन की सुविधा के लिए विशाल गुप्त साम्राज्य अनेक प्रान्तों में विभाजित किया गया था। प्रान्त को देश, अवनी अथवा भुक्ति कहा जाता था। गुप्त प्रशासन के प्रमुख प्रान्त सुराष्ट्र, पश्चिमी मालवा, पूर्वी मालवा, तीरभुक्ति, पुण्ड्रवर्धन, मगध आदि थे। भुक्ति के शासक को 'उपरिक कहा जाता था। सीमान्त प्रदेशों के शासक 'गोप्ता' कहलाते थे। उपरिक के पद पर प्रायः राजकुमार या राजकुल से सम्बन्धित व्यक्तियों की ही नियुक्ति की जाती थी परन्तु कभी कभी अन्य योग्य व्यक्तियों को भी यह पद दे दिया जाता था। इनकी नियुक्ति प्रायः पाँच वर्षों के लिए की जाती थी।

जिला तथा नगर प्रशासन - 'भुक्ति' का विभाजन अनेक जिलों में किया गया था। जिला को 'विषय' कहा गया है जिसका 'विषयपति' नामक अधिकारी प्रधान अधिकारी होता था। विषयपति की नियुक्ति सम्बन्धित प्रान्त के राज्यपाल द्वारा की जाती थी, परन्तु कभी-कभी सम्राट भी उनकी नियुक्ति करता था। विषयपति एक समिति की सहायता से जिले का शासन चलाता था। इस समिति के निम्नलिखित सदस्य होते थे-

1. नगर श्रेष्ठि- जो नगर के महाजनों का प्रमुख व्यक्ति होता था।
2. सार्थवाह - जो व्यवसायियों का प्रधान हुआ करता था।
3. प्रथम कुलिक जो प्रधान शिल्पी होता था।
4. प्रथम कायस्थ - जिसे मुख्य लेखक कहते थे।

विषय समिति के सदस्य 'विषय महत्तर' कहे जाते थे।

ग्राम शासन - ग्राम शासन की सबसे छोटी इकाई होता था जिसका प्रशासन ग्राम सभा द्वारा चलाया जाता था। इस सभा को मध्य भारत में 'पच्चमण्डली' तथा बिहार में 'ग्राम जनपद' के नाम से जाना जाता था। ग्राम सभा का कार्य गाँवों में सुरक्षा की व्यवस्था करना, निर्माण कार्य करना तथा राजस्व एकत्रित कर इसे राजकोष में जमा करना था।

न्याय प्रशासन - गुप्त युग में न्याय व्यवस्था अत्यधिक विकसित थी। सम्राट देश का सर्वोच्च न्यायाधीश होता था। वह सभी प्रकार के मामलों की सुनवाई करता था। सम्राट के अतिरिक्त एक मुख्य न्यायाधीश तथा अन्य अनेक न्यायाधीश होते थे जो साम्राज्य के विभिन्न भागों में स्थिति अनेक न्यायालयों में न्याय सम्बन्धी कार्यों को देखते थे। ग्रामों में न्याय का कार्य ग्राम पंचायतें किया करती थीं। पेशेवर वकील गुप्त काल में नहीं थे। गुप्तकाल के न्यायाधीशों को महादण्डनायक, दण्डनायक, सर्वदण्डनायक आदि कहा जाता था।

इस युग में दण्ड विधान अत्यन्त कोमल थे। मृत्युदण्ड नहीं दिया जाता था और न ही शारीरिक यातनायें ही मिलती थीं। इसके विपरीत सामान्यतः आर्थिक जुर्माने लिये जाते थे। राजद्रोह जैसा अपराध करने वाले व्यक्ति का दाहिना हाथ काट लिया जाता था।

सैनिक संगठन - गुप्त शासकों की सेना सुसंगठित एवं विशाल होती थी। सेना के सर्वोच्च अधिकारी को 'महाबलाधिकृत' कहते थे। गुप्तवंशी सम्राट स्वयं कुशल योद्धा होते थे तथा व्यक्तिगत रूप से युद्धों में भाग लेते थे व सेना का संचालन करते थे।

भूमि राजस्व - भूमि पर सम्राट का स्वामित्व होता था। राजकीय भूमि के अतिरिक्त ऐसी भी भूमि थी जिन पर किसानों का स्वामित्व होता था। मन्दिरों तथा ब्राह्मणों को जो भूमि दान में दी जाती थी उसे 'अग्रहार' कहा जाता था। इस प्रकार की भूमि करमुक्त होती थी। गुप्त राजाओं ने भूमि के विकास पर विशेष ध्यान दिया था। सिंचाई की उत्तम व्यवस्था थी। इसके लिए गुप्तकाल के शासकों ने कुएँ, तालाब, नहरों आदि का निर्माण करवाया था।

जो लोग राजकीय भूमि पर कृषि करते थे उन्हें अपनी उपज का एक भाग राजा को देना पड़ता था जो सामान्यतः उपज का छठवाँ भाग होता था। भूमिकर नकद अथवा अन्न दान के रूपों में दिया जा सकता था। इसके अतिरिक्त राजस्व की दूसरी प्रमुख स्रोत चुंगी थी जो नगर में आने वाली वस्तुओं के ऊपर लगायी जाती थी।

इस प्रकार गुप्त शासन व्यवस्था के विभिन्न पहलुओं पर विचार करने के बाद यह स्पष्ट हो जाता है कि गुप्तयुगीन शासन व्यवस्था अत्यन्त उदार एवं सुसंगठित थी। राज्य में पूर्ण शान्ति व्यवस्था का वातावरण था। गुप्तचरों एवं पुलिस अधिकारियों के आचरण से प्रजा खुश थी। गुप्त युग की शान्ति एवं समृद्धि ने संस्कृति के सभी क्षेत्रों को समुचित विकास का अवसर प्रदान किया था।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास को समझने हेतु उपयोगी स्रोतों का वर्णन कीजिए।
  2. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास को जानने में विदेशी यात्रियों / लेखकों के विवरण की क्या भूमिका है? स्पष्ट कीजिए।
  3. प्रश्न- प्राचीन भारत के इतिहास के पुरातात्विक स्रोतों की सुस्पष्ट जानकारी दीजिये।
  4. प्रश्न- प्राचीन भारतीय इतिहास के विषय में आप क्या जानते हैं?
  5. प्रश्न- भास की कृति "स्वप्नवासवदत्ता" पर एक लेख लिखिए।
  6. प्रश्न- 'फाह्यान' पर एक संक्षिप्त लेख लिखिए।
  7. प्रश्न- दारा प्रथम तथा उसके तीन महत्वपूर्ण अभिलेख के विषय में बताइए।
  8. प्रश्न- आपके विषय का पूरा नाम क्या है? आपके इस प्रश्नपत्र का क्या नाम है?
  9. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - प्राचीन इतिहास अध्ययन के स्रोत
  10. उत्तरमाला
  11. प्रश्न- बिम्बिसार के समय से नन्द वंश के काल तक मगध की शक्ति के विकास का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  12. प्रश्न- नन्द कौन थे महापद्मनन्द के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  13. प्रश्न- छठी सदी ईसा पूर्व में गणराज्यों का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  14. प्रश्न- छठी शताब्दी ई. पू. में महाजनपदीय एवं गणराज्यों की शासन प्रणाली के अन्तर को स्पष्ट कीजिए।
  15. प्रश्न- बिम्बिसार की राज्यनीति का वर्णन कीजिए तथा परिचय दीजिए।
  16. प्रश्न- उदयिन के जीवन पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- नन्द साम्राज्य की विशालता का वर्णन कीजिए।
  18. प्रश्न- धननंद और कौटिल्य के सम्बन्ध का उल्लेख कीजिए।
  19. प्रश्न- धननंद के विषय में आप क्या जानते हैं?
  20. प्रश्न- मगध की भौगोलिक सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  21. प्रश्न- गणराज्य किसे कहते हैं?
  22. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - महाजनपद एवं गणतन्त्र का विकास
  23. उत्तरमाला
  24. प्रश्न- मौर्य कौन थे? इस वंश के इतिहास जानने के स्रोतों का उल्लेख कीजिए तथा महत्व पर प्रकाश डालिए।
  25. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के विषय में आप क्या जानते हैं? उसकी उपलब्धियों और शासन व्यवस्था पर निबन्ध लिखिए|
  26. प्रश्न- सम्राट बिन्दुसार का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  27. प्रश्न- कौटिल्य और मेगस्थनीज के विषय में आप क्या जानते हैं?
  28. प्रश्न- मौर्यकाल में सम्राटों के साम्राज्य विस्तार की सीमाओं को स्पष्ट कीजिए।
  29. प्रश्न- सम्राट के धम्म के विशिष्ट तत्वों का निरूपण कीजिए।
  30. प्रश्न- भारतीय इतिहास में अशोक एक महान सम्राट कहलाता है। यह कथन कहाँ तक सत्य है? प्रकाश डालिए।
  31. प्रश्न- मौर्य साम्राज्य के पतन के कारणों को स्पष्ट कीजिए।
  32. प्रश्न- मौर्य वंश के पतन के लिए अशोक कहाँ तक उत्तरदायी था?
  33. प्रश्न- चन्द्रगुप्त मौर्य के बचपन का वर्णन कीजिए।
  34. प्रश्न- अशोक ने धर्म प्रचार के क्या उपाय किये थे? स्पष्ट कीजिए।
  35. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौर्य साम्राज्य
  36. उत्तरमाला
  37. प्रश्न- शुंग कौन थे? पुष्यमित्र का शासन प्रबन्ध लिखिये।
  38. प्रश्न- कण्व या कण्वायन वंश को स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- पुष्यमित्र शुंग की धार्मिक नीति की विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- पतंजलि कौन थे?
  41. प्रश्न- शुंग काल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  42. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - शुंग तथा कण्व वंश
  43. उत्तरमाला
  44. प्रश्न- सातवाहन युगीन दक्कन पर प्रकाश डालिए।
  45. प्रश्न- आन्ध्र-सातवाहन कौन थे? गौतमी पुत्र शातकर्णी के राज्य की घटनाओं का उल्लेख कीजिए।
  46. प्रश्न- शक सातवाहन संघर्ष के विषय में बताइए।
  47. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख के माध्यम से रुद्रदामन के जीवन तथा व्यक्तित्व पर प्रकाश डालिए।
  48. प्रश्न- शकों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  49. प्रश्न- नहपान कौन था?
  50. प्रश्न- शक शासक रुद्रदामन के विषय में बताइए।
  51. प्रश्न- मिहिरभोज के विषय में बताइए।
  52. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - सातवाहन वंश
  53. उत्तरमाला
  54. प्रश्न- कलिंग नरेश खारवेल के इतिहास पर प्रकाश डालिए।
  55. प्रश्न- कलिंगराज खारवेल की उपलब्धियों का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  56. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - कलिंग नरेश खारवेल
  57. उत्तरमाला
  58. प्रश्न- हिन्द-यवन शक्ति के उत्थान एवं पतन का निरूपण कीजिए।
  59. प्रश्न- मिनेण्डर कौन था? उसकी विजयों तथा उपलब्धियों पर चर्चा कीजिए।
  60. प्रश्न- एक विजेता के रूप में डेमेट्रियस की प्रमुख उपलब्धियों की विवेचना कीजिए।
  61. प्रश्न- हिन्द पहलवों के बारे में आप क्या जानते है? बताइए।
  62. प्रश्न- कुषाणों के भारत में शासन पर एक निबन्ध लिखिए।
  63. प्रश्न- कनिष्क के उत्तराधिकारियों का परिचय देते हुए यह बताइए कि कुषाण वंश के पतन के क्या कारण थे?
  64. प्रश्न- हिन्द-यवन स्वर्ण सिक्के पर प्रकाश डालिए।
  65. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - भारत में विदेशी आक्रमण
  66. उत्तरमाला
  67. प्रश्न- गुप्तों की उत्पत्ति के विषय में आप क्या जानते हैं? विस्तृत विवेचन कीजिए।
  68. प्रश्न- काचगुप्त कौन थे? स्पष्ट कीजिए।
  69. प्रश्न- प्रयाग प्रशस्ति के आधार पर समुद्रगुप्त की विजयों का उल्लेख कीजिए।
  70. प्रश्न- चन्द्रगुप्त (द्वितीय) की उपलब्धियों के बारे में विस्तार से लिखिए।
  71. प्रश्न- गुप्त शासन प्रणाली पर एक विस्तृत लेख लिखिए।
  72. प्रश्न- गुप्तकाल की साहित्यिक एवं कलात्मक उपलब्धियों का वर्णन कीजिए।
  73. प्रश्न- गुप्तों के पतन का विस्तार से वर्णन कीजिए।
  74. प्रश्न- गुप्तों के काल को प्राचीन भारत का 'स्वर्ण युग' क्यों कहते हैं? विवेचना कीजिए।
  75. प्रश्न- रामगुप्त की ऐतिहासिकता पर विचार व्यक्त कीजिए।
  76. प्रश्न- गुप्त सम्राट चन्द्रगुप्त द्वितीय विक्रमादित्य के विषय में बताइए।
  77. प्रश्न- आर्यभट्ट कौन था? वर्णन कीजिए।
  78. प्रश्न- स्कन्दगुप्त की उपलब्धियों का संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  79. प्रश्न- राजा के रूप में स्कन्दगुप्त के महत्व की विवेचना कीजिए।
  80. प्रश्न- कुमारगुप्त पर संक्षेप में टिप्पणी लिखिए।
  81. प्रश्न- कुमारगुप्त प्रथम की उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  82. प्रश्न- गुप्तकालीन भारत के सांस्कृतिक पुनरुत्थान पर प्रकाश डालिए।
  83. प्रश्न- कालिदास पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  84. प्रश्न- विशाखदत्त कौन था? वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- स्कन्दगुप्त कौन था?
  86. प्रश्न- जूनागढ़ अभिलेख से किस राजा के विषय में जानकारी मिलती है? उसके विषय में आप सूक्ष्म में बताइए।
  87. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - गुप्त वंश
  88. उत्तरमाला
  89. प्रश्न- दक्षिण के वाकाटकों के उत्कर्ष का संक्षिप्त परिचय दीजिए।
  90. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वाकाटक वंश
  91. उत्तरमाला
  92. प्रश्न- हूण कौन थे? तोरमाण के जीवन तथा उपलब्धियों का उल्लेख कीजिए।
  93. प्रश्न- हूण आक्रमण के भारत पर क्या प्रभाव पड़े? स्पष्ट कीजिए।
  94. प्रश्न- गुप्त साम्राज्य पर हूणों के आक्रमण का संक्षिप्त विवरण दीजिए।
  95. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - हूण आक्रमण
  96. उत्तरमाला
  97. प्रश्न- हर्ष के समकालीन गौड़ नरेश शशांक के विषय में आप क्या जानते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  98. प्रश्न- हर्ष का समकालीन शासक शशांक के साथ क्या सम्बन्ध था? मूल्यांकन कीजिए।
  99. प्रश्न- हर्ष की सामरिक उपलब्धियों के परिप्रेक्ष्य में उसका मूल्यांकन कीजिए।
  100. प्रश्न- सम्राट के रूप में हर्ष का मूल्यांकन कीजिए।
  101. प्रश्न- हर्षवर्धन की सांस्कृतिक उपलब्धियों का वर्णन कीजिये?
  102. प्रश्न- हर्ष का मूल्यांकन पर टिप्पणी कीजिये।
  103. प्रश्न- हर्ष का धर्म पर टिप्पणी कीजिये।
  104. प्रश्न- पुलकेशिन द्वितीय पर टिप्पणी कीजिये।
  105. प्रश्न- ह्वेनसांग कौन था?
  106. प्रश्न- प्रभाकर वर्धन पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिये।
  107. प्रश्न- गौड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  108. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - वर्धन वंश
  109. उत्तरमाला
  110. प्रश्न- मौखरी वंश की उत्पत्ति के विषय में बताते हुए इस वंश के प्रमुख शासकों का उल्लेख कीजिए।
  111. प्रश्न- मौखरी कौन थे? मौखरी राजाओं के जीवन तथा उपलब्धियों पर प्रकाश डालिए।
  112. प्रश्न- मौखरी वंश का इतिहास जानने के साधनों का वर्णन कीजिए।
  113. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - मौखरी वंश
  114. उत्तरमाला
  115. प्रष्न- परवर्ती गुप्त शासकों का राजनैतिक इतिहास बताइये।
  116. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासकों के मौखरी शासकों से किस प्रकार के सम्बन्ध थे? स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- परवर्ती गुप्तों के इतिहास पर टिप्पणी लिखिए।
  118. प्रश्न- परवर्ती गुप्त शासक नरसिंहगुप्त 'बालादित्य' के विषय में बताइये।
  119. वस्तुनिष्ठ प्रश्न - परवर्ती गुप्त शासक
  120. उत्तरमाला

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