बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- बालक में सामाजिकता का विकास करने वाले प्रमुख तत्व कौन-से हैं?
उत्तर-
समाजीकरण प्रक्रिया दीर्घ व जटिल है। इस कार्य में अनेक संस्थाओं और समूहों का योगदान होता है। बालक में सामाजिकता का विकास करने या उसके समाजीकरण में सहायता देने वाले प्रमुख साधन अथवा तत्व निम्नलिखित हैं—
परिवार - समाजीकरण करने वाली संस्था से परिवार सर्वोत्तम महत्वपूर्ण है। क्योंकि बालक परिवार में ही जन्म लेता है। उन्हीं के सम्पर्क में आता है। कुछ विद्वान परिवार को समाजीकरण का सबसे स्थायी साधन मानते हैं। माँ-बाप की भूमिका अत्यधिक महत्वपूर्ण होती है। उनके सम्बन्ध परस्पर सौहार्दपूर्ण है तो बालक का समाजीकरण उचित ढंग से हो, तो समाजीकरण में विभेद हो जाता है।
पड़ोस - परिवार के बाद पड़ोस की भूमिका समाजीकरण पर गहरा प्रभाव डालती है। इसी कारण अच्छे लोग किराये के लिये मकान लेने से पूर्व वहाँ के बाहर पड़ोसियों द्वारा रखते हैं कि पड़ोस कैसा है? पड़ोस के बालकों अथवा बड़ों की संगति में बालक शिक्ष ग्रहण कर सकते हैं और अनुशासित भी रह सकते हैं। वस्तुतः पड़ोस एक प्रकार का बड़ा परिवार है। वैसे शहरों की तुलना में गाँवों में पड़ोस का अधिक प्रभाव होता है। पड़ोस के लोग बालक को स्नेह व प्यार में कई नयी बातों का ज्ञान करा देते हैं तथा उसकी प्रशंसा तथा निंदा द्वारा उसे समाज, सम्मत व्यवहार करने को प्रेरित करते हैं।
विद्यालय - परिवार व पड़ोस के बाद बालक के समाजीकरण में विद्यालय का सर्वोधिक प्रभाव पड़ता है। विद्यालय में ही उसे सामाजिक एवं सांस्कृतिक आदर्शों एवं मान्यताओं की शिक्षा प्राप्त होती है। विद्यालय में बालक अन्य पारिवारिक पृष्ठभूमियों से आये अन्य बालकों के सम्पर्क में आता है। इससे उसका समाजीकरण तीव्र गति से होने लगता है। विद्यालय में बालकों को कुछ निश्चित नियमों का पालन करना पड़ता है इससे उसमें धीरे-धीरे आत्म-नियंत्रण व संयम के विकास होने लगते हैं। विद्यालय में प्रायः बालकों का कोई-न-कोई अध्यापक अवश्य मॉडल होता है जिसके गुणों को बालक ग्रहण करना सीखता है।
मित्र समूह - समाजीकरण की दृष्टि से बालकों के लिये मित्रों का समूह अर्थात् खेल समूह एक महत्वपूर्ण प्राथमिक समूह है। खेल समूह में बालक खेल के नियमों का पालन करना सीखता है, वह दूसरों के नियंत्रण में रहना अनुशासन का पालन करना भी सीखता है। उसमें नेतृत्व के गुणों का विकास होता है तथा वह लोगों पर नियंत्रण करना व अनुशासन अनुकूलन करना भी सीखता है। इसके साथ ही वह खेल में पारस्परिक सहयोग प्रतिस्पर्धा एवं स्वस्थ सम्बन्ध की भावनाएँ भी ग्रहण करता है। रिजनेर "खेल समूह वर्तमान समय के समाजीकरण का एक अत्यधिक महत्वपूर्ण समूह है।"
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