बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- पितृसत्ता के हितों की रक्षा के लिए क्या आवश्यक है?
उत्तर- समाज के विभिन्न सदस्यों के बीच शक्ति सम्बन्धों का मिश्रण पितृसत्ता के आधार को निर्मित करता है। ये शक्ति सम्बन्ध पुरुषों और महिलाओं के बीच हो सकते हैं तथा ये दो पुरुषों या दो महिलाओं के बीच भी हो सकते हैं। किन्तु भी पितृसत्तात्मक व्यवस्था में शक्ति एक व्यवस्थित असन्तुलन के रूप में मौजूद रहती है। इसका अर्थ है कि यह शक्ति सम्बन्ध पुरुषों की रक्षा के लिए अत्यन्त महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। परिवार में शक्ति माँ के पास भी हो सकती है। यहाँ तक कि वह अपने बच्चों या अपनी बहुओं का नियंत्रण या शारीरिक प्रताड़ना कर सकती है, दमन भी हो सकता है। इस तरीके से शक्ति सम्बन्ध पितृसत्ता के समाज को पुनरुत्पादित करते हैं, जो इस आधारहीन हिंसा की दिशा में अपना योगदान देता है। ऐसा प्रायः और हिंसा अभी भी दमन के रूप में होता है। कानून जैसे रूप कार्यरत रहते हुए शक्ति की व्यवस्थिति को बनाए रखती है ताकि असमानता विरासत में दी जा सके। पितृसत्ता एक संरचनात्मक सिद्धान्त है जो शक्ति सम्बन्धों को पारम्परिक रूप से भारत पुरुषों के प्रभुत्व वाला एक समाज रहा है जहाँ अपने दैनिक जीवन में महिलाएँ शारीरिक और मानसिक अत्याचारों के अधीन रही हैं। सार्वजनिक परिवहन सेवाओं में महिलाओं से छेड़खानी, उनका यौन शोषण, उन्हें लूटना या उनके साथ बलात्कार महिलाओं के जीवन का प्रतिदिन यथार्थ बन चुके हैं। किसी राष्ट्र की समृद्धि का मूल्यांकन केवल आर्थिक और सांस्कृतिक कारकों के रूप में ही नहीं किया जाता, बल्कि यह समृद्धि सामाजिक क्षेत्र में अपराध के स्तर पर भी एक बड़ी सीमा तक निर्भर रहती है।
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