बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाजसरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-C - लिंग, विद्यालय एवं समाज
प्रश्न- लिंग असमानता के कितने सिद्धांत हैं?
उत्तर-
लिंग असमानता के प्रमुख तीन सिद्धांत हैं—
उदारवादी— उदारवादी के अनुसार लिंग असमानता का प्रमुख कारण समाजीकरण में भेदभाव है और असमान समाजीकरण में यह शिक्षा दी जाती है जो आगे चलकर पुरुष को विशिष्टाधिकार प्रदान करता है और स्त्री को विभिन्न प्रकार के शोषण और निगरानियों में ढकेल देता है और पुरुष प्रधान सामाजिक मूल्यों को विकसित करता है। सामाजिक और सांस्कृतिक प्रथाएँ भी नारी शोषण को बढ़ावा देती हैं और लिंग असमानता का पोषण करती हैं। मार्क्सवादी— मार्क्सवादी की मान्यता है कि लिंग असमानता अर्थात् नारी शोषण का प्रमुख कारण पितृसत्तात्मक सामाजिक व्यवस्था एवं पूँजीवाद है। इनका कहना है कि समाज पुरुष प्रधान है। सत्ता पुरुष के पास रहती है। पिता से पुत्र को सत्ता हस्तांतरित होने के कारण नारी का समाज में निम्न स्थान है। पूँजीवादी समाज होने के कारण नारी पर अनेक प्रतिबन्ध लगाए जाते हैं।उग्र उन्मूलनवादी- उग्र उन्मूलनवादी समुदाय समाज में नारी की निम्न स्थिति का कारण पूँजीवाद, समाज की पितृसत्तात्मक व्यवस्था और समाजीकरण की प्रक्रिया का परिणाम नहीं मानता है। उग्र उन्मूलनवादियों या रेडिकल समाजशास्त्रियों का कहना है कि लिंग असमानता अर्थात नारी की निम्न स्थिति का कारण अज्ञानता एवं परम्परता है। लिंग असमानता पुरुषों के हाथ महिलाओं पर नियंत्रण करने का सोचा-समझा सामूहिक प्रयासों एवं योजनाओं का परिणाम है, जिसके माध्यम से महिलाओं पर अपनी सत्ता को सामूहिक रूप से थोपते हैं। पुरुषों ने नारियों पर अपने प्रभुत्व पर नियंत्रण लाकर, उनके अपने परिचर्या दर्शनीय कर दी है।
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