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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्य एवं दायित्व का उल्लेख कीजिए।

उत्तर-

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कार्य - अंतर्राष्ट्रीय संगठनों में अनेक महत्वपूर्ण कार्य सम्पादित किए हैं। इनकी कार्यों की श्रृंखला तो बहुत ही विस्तृत हो, लेकिन जो कुछ कार्य हैं, वे अत्यंत अहम माने जाते हैं। इनके कुछ प्रमुख कार्य निम्नलिखित हैं -

(1) संधिकरण - अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का पहला प्रमुख कार्य संधियाँ (Treaties) करना है। यह उनकी शांति का अधिकार भी है। यह अधिकतर विभिन्न संगठनों की संधियों पर आधारित है। यदि संधिवान में शांति करने का अधिकार का स्पष्ट या अप्रत्यक्ष उल्लेख नहीं होता, यद्यपि विवक्षित तौर पर यह शक्ति उन्हें प्रदत्त रहती है। संयुक्त राष्ट्र संघ चार्टर के अनुच्छेद 104 में यह कहा गया है कि, “संयुक्त राज्य का यह कर्तव्य है कि वह अपने संगठनों को ऐसी शक्तियाँ अथवा स्वत्व प्रदान करे जिससे वे अपने कर्तव्यों एवं कृत्यों का आरामिनी से निभावन एवं निर्वाह कर सकें।”

संयुक्त राष्ट्र विशेषाधिकार एवं उन्मुक्ति अभिसंधि, 1946 में यह कहा गया है कि संयुक्त राष्ट्र संघ का एक विधिक व्यक्तित्व है। उसे (क) संविदा करने (ख) अचल एवं चल सम्पत्ति अर्जित करने (ग) ऐसी सम्पत्ति का व्ययन करने (घ) विधिक कार्यवाहियाँ करने के अधिकार हैं।

संयुक्त राष्ट्र संघ ने राज्यों एवं अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के साथ अनेक संधियाँ की हैं। संयुक्त राष्ट्र संघ एवं अन्य संगठनों ने साथ मुद्राधारित दस्तावेज रखे तथा समझौता करार किया है। यह करार अंतर्राष्ट्रीय संधियाँ (International Treaties) माने जाते हैं।

(2) अंतर्राष्ट्रीय दावा करना - अंतर्राष्ट्रीय संगठन अंतर्राष्ट्रीय दावा (International Claims) करने में सक्षम रहते हैं। यह उनका एक प्रमुख कार्य भी है। यह कार्य - (क) विधिक व्यक्तित्व की क्षमता (ख) उद्देश्यों (ग) संधियों एवं करारों (घ) अंतर्राष्ट्रीय व्यवस्थाओं आदि पर आधारित है।

(3) क्रियात्मक संरक्षण - प्रत्येक अंतर्राष्ट्रीय संगठनों को प्रत्येक संवैधानिक राज्य में कुछ कार्य करने की क्षमता प्रदान की गई है।

उदाहरण स्वरूप अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन को प्रत्येक संवैधानिक राज्य के राज्य क्षेत्र में ऐसे विशेष कार्य करने की क्षमता प्राप्त है जो उसके कार्य के संचालन एवं संपादन के लिए आवश्यक हो यथा- (क) संगठन का हित (ख) प्रशासनिक तंत्र का सुव्यवस्थित संचालन (ग) सम्पत्ति तथा परिसम्पत्ति का संरक्षण आदि।

(4) प्रमुख प्रभुसत्ता की रक्षा - अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं संस्थाओं का एक प्रमुख कार्य राज्यों की प्रभुसत्ता (Sovereignty of States) की रक्षा करते हुए उनकी विभिन्न सामाजिक प्रणालियों के बावजूद उनमें परस्पर शांतिपूर्ण सहयोग का प्रवर्तन करना है। सदस्य राज्यों के बीच परस्पर सहयोग संधियों का संरक्षण तथा उनके हितों की रक्षा करना अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का प्रमुख दायित्व है।

(5) प्रतिस्पर्धा के स्वतंत्र को बनाए रखना - अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं संस्थाओं का एक और अहम कार्य व्यक्तियों राज्यों के बीच चल रही प्रतिस्पर्धा (Competition) के स्वतंत्र को शांतिपूर्ण तरीके से बनाए रखना है।

अंतर्राष्ट्रीय संगठनों का दायित्व - कार्यों, कृत्यों एवं कर्तव्यों के साथ-साथ अंतर्राष्ट्रीय संगठनों के कुछ दायित्व (Responsibilities) भी हैं।

अंतर्राष्ट्रीय संगठन तथा उसके सदस्य बाअसर हैं उस अंतर्राष्ट्रीय संगठन द्वारा किए गए कार्यों से कारित क्षति के लिए उत्तरदायी हैं। इस सम्बन्ध में कई संधियाँ और करार किए गए हैं यथा-

(क) चन्द्रमा तथा खगोलीय के सम्मिलित करके बाह्य अंतरिक्ष, समवेक्षण तथा प्रयोग के राज्यों क्रियाकलापों को शांतिपूर्ण करने वाले सिद्धान्त पर संधि।

(ख) अनतरिक्ष यात्रियों के बचाव, अंतरिक्ष यात्रियों की वापसी तथा बाह्य अंतरिक्ष में स्थित उपग्रहों की वापसी पर करार, 1967।

(ग) अंतरिक्ष उपग्रह द्वारा कारित क्षति के लिए अंतर्राष्ट्रीय दायित्व अभिसमय, 1971 आदि।

इस तरह अंतर्राष्ट्रीय संगठनों एवं संस्थाओं के अनेक महत्वपूर्ण कार्य एवं दायित्व हैं।

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