बी एड - एम एड >> बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षासरल प्रश्नोत्तर समूह
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा
प्रश्न- अंतर्राष्ट्रीय सत्यमना का अर्थ बताइए एवं शिक्षा के द्वारा इसका विकास कैसे किया जा सकता है?
उत्तर-
अंतर्राष्ट्रीयता का अर्थ- अंतर्राष्ट्रीयता से तात्पर्य एक ऐसी भावना से है जिससे प्रेरित होकर राष्ट्र अन्य राष्ट्रों के साथ आदान-प्रदान सहयोग, सहानुभूति, मैत्री, भाई-चारा आदि रखता है। एक राष्ट्र विशेष के नागरिक अपने राष्ट्र की सीमाओं में बंधे न रहकर समस्त विश्व को अपना निवास स्थल एवं कार्य-स्थल समझने लगते हैं। इसका लक्ष्य मानव मात्र का कल्याण करना एवं सभी प्राणियों पर समान दृष्टि रखना है। इस प्रकार यह भावना विश्व बंधुत्व की भावना पर आधारित है 'आत्मा ग्लोबलाइजेशन' की कल्पनामय- "अंतर्राष्ट्रीयता एक भावना है जो व्यक्ति को, वस्तुओं को वह भाव अपनाने की प्रेरणा देती है। नहीं वस्त्र विश्व को एक परिवार के रूप में देखता है और दूसरे राष्ट्रों के प्रति अपनापन प्रकट करता है।
दूसरे श्बदों में - अंतर्राष्ट्रीयता को आधुनिकता से प्रभावित किया जा सकता है। आज संचार-क्रांति ने इसे और बल प्रदान किया है। यात्रा संचार तथा समाचार पत्रों एवं पत्रिकाओं के माध्यम से आधुनिकता रूप से सभी इनकी प्रवृत्तियों एवं संस्कृति का ज्ञान न रख पाएँ उसे व्यक्ति अच्छा नहीं कह सकते। हमें, उसकी जाति, उसकी भाषा, उसकी राष्ट्रीयता न देखें।
अंतर्राष्ट्रीय सत्यमना विकसित करने के उपाए- अंतर्राष्ट्रीय सत्यमना विकसित करने के लिए निम्नवत साधनों का प्रयोग अत्यंत जरूरी है-
(1) अंतर्राष्ट्रीय संस्थाएँ- अंतर्राष्ट्रीय सत्यमना के विकास में अंतर्राष्ट्रीय संस्थाओं की महत्वपूर्ण भूमिका हो सकती है। इन संस्थाओं के माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय सत्यमना का विकास कार्य आसानी से किया जा सकता है। इन संस्थाओं में यूनिसेफ, डब्ल्यू.एच.ओ., ओ.ए.एफ., रोटरी इंटरनेशनल आदि प्रमुख हैं।
(2) शिक्षण संस्थाएँ- शिक्षण संस्थाएँ जैसे, स्कूल, कॉलेज, विश्वविद्यालय आदि में स्वस्थ वातावरण दिया जाना चाहिए जिससे ये संस्थाएँ विश्व प्रेम एवं विश्व बंधुत्व का संदेश फैला सकें।
(3) खेलकूद आदि का प्रसार- खेलकूद एवं अधिवेशन; इंटरनेशनल पेज, फ्रेंडशिप आदि कुछ ऐसे माध्यम हैं जिनके माध्यम से अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर एकता बढ़ सकती है। यह खेल अवसरों से बढ़कर मिलन एवं सहयोग की भावना विकसित कर सकते हैं। ओलंपिक स्पोर्ट्स एवं इंटरनेशनल हॉकी चैंपियनशिप से भी ऐसी भावना का विकास अच्छी तरह होता है।
(4) संवेदनात्मक एवं स्थायी भावनात्मक साधन- संवेदनात्मक एवं स्थायी भावनात्मक अनुभूति के विकास से भी यह दृष्टिकोण हो सकता है। इस प्रकार के अनुभूति कई ढंग से प्राप्त किए जा सकते हैं, उदाहरणार्थ-
(i) मानवता की परमार्थ के उत्तराधिकारी की भावना
(ii) समूर्ण मानवता की सेवा की भावना
(iii) सहिष्णुता, दान, त्याग, सहयोग, श्रावण एवं सत्प्रवृत्तियाँ
(iv) झूठे प्रचार को दूर करना, सत्यता का प्रचार करने से अंतर्राष्ट्रीय भावना उत्पन्न हो सकती है।
(5) अध्यापक के माध्यम से विचारों का आदान-प्रदान - अध्यापक एवं विद्यार्थियों के सद्भाव एवं उत्तम विचार एवं इनका पारस्परिक आदान-प्रदान हो। आधुनिक समय में विश्व के सभी राष्ट्रों के अध्यापक एक दूसरे देश में जाकर अध्ययन एवं स्वयं अध्यापन करते हैं। ऐसी व्यवस्था छात्रों के लिए भी है। इससे विभिन्न सभ्यताओं में समता स्थापित होती है। इसके अलावा समाज के नेताओं एवं व्यापार एवं अन्य दृष्टिकोणों से विभिन्न देशों के लोगों में यह भावना जाग्रत होती है।
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