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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :232
मुखपृष्ठ : ई-पुस्तक
पुस्तक क्रमांक : 2701
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बी.एड. सेमेस्टर-1 प्रश्नपत्र- IV-B - मूल्य एवं शान्ति शिक्षा

प्रश्न- आतंकवाद से क्या तात्पर्य है? विश्व पटल पर इसका क्या प्रभाव पड़ रहा है? स्पष्ट कीजिए।

अथवा
आतंकवाद को परिभाषित कीजिए। अंतर्राष्ट्रीय शक्ति को भंग करने में इसकी भूमिका के विवेचन कीजिए।

उत्तर-

आतंकवाद से तात्पर्य - आतंकवाद एक प्रकार की हिंसात्मक गतिविधि के रूप में परिभाषित किया जाता है, जो कि अपने आर्थिक, धार्मिक, राजनीतिक एवं विचारधारा लक्ष्यों की क्षति पहुंचाने के लिए गैर-सैनिक अथवा नागरिकों की सुरक्षा को भी निशाना बनाते हैं। गैर-सैन्य कारकों में आतंकवाद वैश्विक स्तर की समस्याओं की श्रेणी में शामिल किया गया है। यह इसके तहत गैर-कानूनी हिंसात्मक एक युद्ध की श्रेणी को भी शामिल कर लिया गया है।

आतंकवाद शब्द की उत्पत्ति आतंक शब्द से हुई है। आतंकवाद ऐसे कार्यों को कहते हैं, जिन्हें किसी प्रकार का आतंक फैलाने के उद्देश्य से किया जाता है। इस प्रकार के कार्यों को जो करते हैं, उन्हें आतंकवादी कहा जाता है।

आज आतंकवाद एक ऐसी वैश्विक समस्या बन चुका है, जिसकी आग में सारा विश्व जल रहा है। इस समस्या के निदान के दावे होने के बावजूद भी इसकी सुरक्षा व्यवस्था में कोई कमी नहीं आई है और आतंकवाद से पूरी तरह मुक्त है। सच तो यह है कि आज यह कोई नहीं जानता कि आतंकवाद का अगला निशाना कौन बनेगा और कब बनेगा। हर देश आतंकवाद का शिकार हो रहा है। वैसे तो आतंकवाद के प्रकार अनेक हैं, परंतु इनमें से तीन एम है जिसमें पूरी दुनिया त्रस्त है - राजनीतिक, सामाजिक या गैर राजनीतिक एवं धार्मिक कट्टरता से संबंधित आतंकवाद। श्रीलंका में लिट्टे संघर्ष एवं अफगानिस्तान में तालिबान संगठनों की गतिविधियां राजनीतिक आतंकवाद के उदाहरण हैं।

जम्मू-कश्मीर में अलगाववादी गुटों द्वारा किए गए अपशब्दिक कृत्य भी राजनीतिक आतंकवाद के ही उदाहरण हैं। अल-कायदा, लश्कर-ए-तैयबा, जैश-ए-मोहम्मद जैसे संगठन धार्मिक कट्टरता की भावना से आतंकवादी कृत्यों को अंजाम देते हैं। ऐसे आतंकवाद को धार्मिक कट्टरता की श्रेणी में रखा जाता है। इन आतंकवादी संगठनों में अनेक सामाजिक राजनीतिक आतंकवाद के अनेक उदाहरण मिलते हैं। भारत में नक्सलवाद गैर-राजनीतिक आतंकवाद का उदाहरण है।

आतंकवादी हमेशा आतंक फैलाने के नए-नए तरीके अपनाते रहते हैं। भीड़ भरे स्थानों, रेलवे स्टेशनों पर बम धमाके करना, रेलवे ट्रैक उड़ाने के लिए रेलवे लाइनों की पटरियों उखाड़ देना, धार्मिक स्थलों पर अमानवीय हमले करना या राजनीतिक व्यक्तियों को बंदी बना लेना, बैंक डकैती करना आदि कुछ ऐसी आतंकवादी गतिविधियां हैं जो विश्व पटल पर देखने को मिलती हैं।

पिछले एक दशक में पूरे विश्व में आतंकवादी घटनाओं में बढ़ोतरी हुई है। 11 सितंबर 2001 को अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित ट्विन टावर सेंटर एवं 26 नवम्बर 2008 को मुंबई में हुआ आतंकी हमला आतंकवाद के बढ़ते प्रभाव को दर्शाता है। वैसे तो आज लगभग पूरा विश्व ही आतंकवाद की चपेट में है किंतु भारत दुनिया में आतंकवाद से सर्वाधिक त्रस्त देशों में पाकिस्तान के साथ शामिल है।

आतंकवाद वैश्विक समस्या के रूप में - आज आतंकवाद केवल भारत की समस्या नहीं वरन् यह विश्व पटल पर एक गंभीर समस्या के रूप में देखा जा रहा है। विश्व का आज तक का सबसे बड़ा आतंकवादी हमला अमेरिका के वर्ल्ड ट्रेड सेंटर को माना जाता है। 11 सितंबर, 2001 में, विश्व के सबसे शक्तिशाली देश के सबसे ऊंची इमारत पर ओसामा बिन लादेन ने आतंकवादी हमला करवाया था, जिससे चलते लाखों लोगों का नुकसान हुआ। हजारों निर्दोष लोग जिन्होंने कुछ भी नहीं किया था, मर गए। अमेरिका ने अपने सबसे बड़े दुश्मन को बड़े चतुर तरीके से मार डाला। ओसामा बिन लादेन की मारने के लिए अमेरिका ने एक ऑपरेशन चलाया जिसके तहत वह पाकिस्तान में घुसकर उसे मार गिराया गया था। अतः आतंकवाद अपने सबसे क्रूरतम रूप में विश्व को झकझोर रहा है, इसकी समस्या का निवारण नहीं हो सका है। हमें एकजुट होकर इसे पूरी तरह कुचल देने का संकल्प लें, और इसके लिए दिशा में कार्य करें।

आतंकवाद के दुष्प्रभाव (Effect of Terrorism) - आतंकवाद का मुख्य उद्देश्य सामाजिक एवं राजनीतिक तंत्र को आहत किया है। आतंकवाद का प्रभाव सबसे अधिक आम जनता पर होता है। आतंकवादी समूह देश की सरकार को बनाने के लिए सब करते हैं, लेकिन जिस घर से वे उत्पन्न लगते हैं वे उन्हीं के भाई बंधु होते हैं, मासूम होते हैं, जिनकी मासूमियत, आतंकवाद को बढ़ावा देने हेतु होती है, एक बार ऐसा कुछ होने के बाद इंसान के मन में जीवनभर के लिए डर बैठा दिया जाता है, वह घर से निकलने तक ही हिचकता है, मैं को डर रहता है, कि उसका बच्चा घर वापस आएगा कि नहीं।

आतंकवाद से लोगों में भय व्याप्त हो जाता है। वे अपने राज्य, देश में स्वयं को असुरक्षित महसूस करते हैं। आतंकवाद के सामने कई बार सरकारें भी कमजोर दिखाई देती हैं, जिससे लोगों का सरकार पर से विश्वास उठता जा रहा है। आतंकवाद के मुद्दे बनाकर किसी भी सरकार को गिराया जा सकता है। आतंकवाद के चलते लोगों की संपत्तियां नष्ट हो जाती हैं, हजारों, लाखों मासूमों की जानें चली जाती हैं, जीवन-जंतु मारे जाते हैं। मानव-जाति एक दूसरे पर भरोसा करने से डरते हैं। एक आतंकवादी गतिविधि देखने के बाद दूसरा आतंकवादी भी प्रेरित होने लगता है। इस प्रकार आतंकवाद देश, समाज के लिए अत्यंत घातक होता है और यह हमारी समाज खड़ा है।

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